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ब्लैक फंगस पर बोले स्वास्थ्य मंत्री- बिहार में है सभी व्यवस्था, इन अस्पतालों में करा सकते हैं इलाज

बिहार सरकार ने ब्लैक फंगस को महामारी घोषित कर दिया है. इसके रोकथाम के लिए तैयारी शुरू कर दी गई है. राज्य के मेडिकल कॉलेज अस्पतालों में इसके इलाज की व्यवस्था की जा रही है. स्वास्थ्य विभाग की ओर से मेडिकल कॉलेज अस्पताल में एंफोटरइसिन के वायल उपलब्ध करा दिए गए हैं. इसके अलावा आरएमआरआई में दवाओं का भंडारण किया जा रहा है.

Government declaring Black Fungus an epidemic and start preparation
Government declaring Black Fungus an epidemic and start preparation
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Published : May 23, 2021, 10:39 PM IST

Updated : May 23, 2021, 10:56 PM IST

पटना: बिहार में कोरोना महामारी के बीच मिल रहे ब्लैक फंगस के मरीजों की संख्या को लेकर राज्य सरकार ने इसे भी महामारी घोषित कर दिया है. ब्लैक फंगस बीमारी को लेकर सरकार सचेत है और इस बार किसी तरह की लापरवाही बरतना नहीं चाहती है. इस बीमारी की रोकथाम के लिए एक्शन प्लान तैयार किया जा रहा है.

ये भी पढ़ें- कोरोना के बीच बढ़ा 'ब्लैक फंगस' का खतरा, पटना में 10 मरीजों में पुष्टि, बांका में 2 की मौत

सरकार ने एक्शन प्लान के मुताबिक राज्य के सभी मेडिकल कॉलेज अस्पताल में ब्लैक फंगस के मरीजों के लिए इलाज की व्यवस्था कर दी है. वहां एंफोटरइसिन दवा उपलब्ध करा दी गई है. पटना एम्स और आईजीआईएमएस में अलग व्यवस्था किए गए हैं. वार्ड बनाया गया है. राज्य सरकार ने ब्लैक फंगस से संक्रमित मरीजों को फ्री में दवा उपलब्ध करवाने के निर्देश दिए हैं.

स्वास्थ्य मंत्री ने दिया आश्वासन
बिहार सरकार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने कहा है कि हम ब्लैक फंगस बीमारी को लेकर गंभीर हैं. बिहार के मेडिकल कॉलेज अस्पताल में 6 हजार एंफोटरइसिन के वायल उपलब्ध करा दिए गए हैं. इसके अलावा आरएमआरआई में दवाओं का भंडारण किया जा रहा है. इसके अलावा उन्होंने कहा कि सरकार निजी अस्पतालों को भी दवा उपलब्ध करा रही है. निजी अस्पताल संचालक स्वास्थ्य विभाग से इजाजत लेकर ब्लैक फंगस की दवाई हासिल कर सकते हैं.

पेश है रिपोर्ट

आंकड़ा पहुंचा 175 के पार
बता दें कि बिहार में ब्लैक फंगस के रोज नए मामले सामने आ रहे हैं. राज्य में यह आंकड़ा 175 के पार चला गया है. वहीं, बांका के रजौन प्रखंड के अंतर्गत खैरा गांव निवासी धनंजय यादव और बब्लू उर्फ नवल किशोर शर्मा की 'ब्लैक फंगस' से मौत हो गई.

क्या है ब्लैक फंगस?
भारतीय चिकित्सा विज्ञान परिषद (आईसीएमआर) के मुताबिक, 'ब्लैक फंगस' एक विशेष तरह का फंगस है. यह फंगस शरीर में बहुत तेजी से फैलता है. यह इंफेक्शन उन लोगों में देखने को मिल रहा है जो कि कोरोना संक्रमित होने से पहले किसी दूसरी बीमारी से ग्रस्त है. इसके अलावा यह उन्हीं लोगों में देखने को मिल रहा है, जिनकी इम्यूनिटी कमजोर है.

खतरनाक है ब्लैक फंगस!
इस बीमारी से मस्तिष्क, फेफड़े और त्वचा पर भी असर देखने को मिलता है. इसके कारण आंखों की रोशनी भी चली जाती है. वहीं कुछ मरीजों के जबड़े और नाक की हड्डी तक गल जाती है. अगर समय रहते इसका उपचार नहीं किया गया तो तो मरीज की मौत हो जाती है

डॉ. सुनील कुमार, चिकित्सक

'घबराने की जरूरत नहीं'
हालांकि चिकित्सकर डॉ. सुनील कुमार ने इस बीमारी को लेकर कहा कि न्यू कार माइक्रोसिस आज के दौर में ब्लैक फंगस के नाम से काफी प्रचलित बीमारी है. ये एक फंगल इंफेक्शन है, जो फंगस से होता है. लेकिन ये रेयर डिसऑर्डर है और अगर इलाज नहीं किया जाए तो खतरनाक हो सकता है. ये कॉमन बिमारी नहीं है. इसलिए लोगों को घबराना नहीं चाहिए. कोरोना से जो मरीज रिकवर हो गए हैं उनमें किसी किसी में ये देखा जा रहा है. इसका कारण ये हो सकता है कि उस मरीज को काफी दिन ऑक्सीजन चढ़ा हो, उन्हें काफी दिन स्ट्रायड दिया गया हो. हो सकता है कि वो अनकंट्रोल डायबेटिक हो, अगर वेंटिलेट पर गए हैं या फिर काफी दिनों तक इमोनो मॉडलेटिंग ड्रग्स दिया गया हो. वैसे मरीजों में कुछ एक में ये फंगल इंफेक्श देखा गया है. रेयर होने के कारण लोगों को इससे घबराने की जरूरत नहीं है.

ब्लैक फंगस पर बोले स्वास्थ्य मंत्री- बिहार में है सभी व्यवस्था, इन अस्पतालों में करा सकते हैं इलाज

पटना: बिहार में कोरोना महामारी के बीच मिल रहे ब्लैक फंगस के मरीजों की संख्या को लेकर राज्य सरकार ने इसे भी महामारी घोषित कर दिया है. ब्लैक फंगस बीमारी को लेकर सरकार सचेत है और इस बार किसी तरह की लापरवाही बरतना नहीं चाहती है. इस बीमारी की रोकथाम के लिए एक्शन प्लान तैयार किया जा रहा है.

ये भी पढ़ें- कोरोना के बीच बढ़ा 'ब्लैक फंगस' का खतरा, पटना में 10 मरीजों में पुष्टि, बांका में 2 की मौत

सरकार ने एक्शन प्लान के मुताबिक राज्य के सभी मेडिकल कॉलेज अस्पताल में ब्लैक फंगस के मरीजों के लिए इलाज की व्यवस्था कर दी है. वहां एंफोटरइसिन दवा उपलब्ध करा दी गई है. पटना एम्स और आईजीआईएमएस में अलग व्यवस्था किए गए हैं. वार्ड बनाया गया है. राज्य सरकार ने ब्लैक फंगस से संक्रमित मरीजों को फ्री में दवा उपलब्ध करवाने के निर्देश दिए हैं.

स्वास्थ्य मंत्री ने दिया आश्वासन
बिहार सरकार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने कहा है कि हम ब्लैक फंगस बीमारी को लेकर गंभीर हैं. बिहार के मेडिकल कॉलेज अस्पताल में 6 हजार एंफोटरइसिन के वायल उपलब्ध करा दिए गए हैं. इसके अलावा आरएमआरआई में दवाओं का भंडारण किया जा रहा है. इसके अलावा उन्होंने कहा कि सरकार निजी अस्पतालों को भी दवा उपलब्ध करा रही है. निजी अस्पताल संचालक स्वास्थ्य विभाग से इजाजत लेकर ब्लैक फंगस की दवाई हासिल कर सकते हैं.

पेश है रिपोर्ट

आंकड़ा पहुंचा 175 के पार
बता दें कि बिहार में ब्लैक फंगस के रोज नए मामले सामने आ रहे हैं. राज्य में यह आंकड़ा 175 के पार चला गया है. वहीं, बांका के रजौन प्रखंड के अंतर्गत खैरा गांव निवासी धनंजय यादव और बब्लू उर्फ नवल किशोर शर्मा की 'ब्लैक फंगस' से मौत हो गई.

क्या है ब्लैक फंगस?
भारतीय चिकित्सा विज्ञान परिषद (आईसीएमआर) के मुताबिक, 'ब्लैक फंगस' एक विशेष तरह का फंगस है. यह फंगस शरीर में बहुत तेजी से फैलता है. यह इंफेक्शन उन लोगों में देखने को मिल रहा है जो कि कोरोना संक्रमित होने से पहले किसी दूसरी बीमारी से ग्रस्त है. इसके अलावा यह उन्हीं लोगों में देखने को मिल रहा है, जिनकी इम्यूनिटी कमजोर है.

खतरनाक है ब्लैक फंगस!
इस बीमारी से मस्तिष्क, फेफड़े और त्वचा पर भी असर देखने को मिलता है. इसके कारण आंखों की रोशनी भी चली जाती है. वहीं कुछ मरीजों के जबड़े और नाक की हड्डी तक गल जाती है. अगर समय रहते इसका उपचार नहीं किया गया तो तो मरीज की मौत हो जाती है

डॉ. सुनील कुमार, चिकित्सक

'घबराने की जरूरत नहीं'
हालांकि चिकित्सकर डॉ. सुनील कुमार ने इस बीमारी को लेकर कहा कि न्यू कार माइक्रोसिस आज के दौर में ब्लैक फंगस के नाम से काफी प्रचलित बीमारी है. ये एक फंगल इंफेक्शन है, जो फंगस से होता है. लेकिन ये रेयर डिसऑर्डर है और अगर इलाज नहीं किया जाए तो खतरनाक हो सकता है. ये कॉमन बिमारी नहीं है. इसलिए लोगों को घबराना नहीं चाहिए. कोरोना से जो मरीज रिकवर हो गए हैं उनमें किसी किसी में ये देखा जा रहा है. इसका कारण ये हो सकता है कि उस मरीज को काफी दिन ऑक्सीजन चढ़ा हो, उन्हें काफी दिन स्ट्रायड दिया गया हो. हो सकता है कि वो अनकंट्रोल डायबेटिक हो, अगर वेंटिलेट पर गए हैं या फिर काफी दिनों तक इमोनो मॉडलेटिंग ड्रग्स दिया गया हो. वैसे मरीजों में कुछ एक में ये फंगल इंफेक्श देखा गया है. रेयर होने के कारण लोगों को इससे घबराने की जरूरत नहीं है.

Last Updated : May 23, 2021, 10:56 PM IST
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