रायपुर/पटना: राजधानी में बिहार की बिजली कंपनी और रोड डेवलपर्स कॉर्पोरेशन के नाम फर्जी चेक से टाटीबंध स्थित केनरा बैंक से 3 करोड़ 60 लाख रुपए की धोखाधड़ी करने का केस सामने आया है. आमानाका थाना प्रभारी भरत बरेठ ने बताया कि बैंक में दोनों कंपनी के जो चेक जमा किए गए हैं. उन नंबरों के चेक दोनों सरकारी दफ्तरों में सुरक्षित रखे हैं और यहां ठगों ने उन्हीं चेक से पैसे निकाल लिए हैं.
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पुलिस ने बताया कि ठग ने क्लोन चेक के माध्यम से ठगी की वारदात को अंजाम दिया है. बैंक प्रबंधन की ओर से एजीएम के. भानुमूर्ति ने आमानाका पुलिस में रिपोर्ट दर्ज कराई है. इसके बाद अब केनरा बैंक प्रबंधन के कुछ जिम्मेदार अधिकारी भी जांच के घेरे में हैं. आखिर इतनी बड़ी रकम बिना कंपनी के अफसरों को सूचना दिए कैसे पेमेंट कर दी गई.
खुद को लैंड डेवलपर्स बता निकाले पैसा
फिलहाल इस पूरे मामले की जांच आमानाका पुलिस कर रही है. बैंक प्रबंधन से बैंक से पैसे निकालने आए व्यक्ति के सीसीटीवी फुटेज की भी मांग की गई है. पुलिस ने शिकायत पर आरोपी सुहास हरीश चंद्र काले के खिलाफ धोखाधड़ी, जाली दस्तावेज तैयार करने सहित साजिश रचने की धाराओं में अपराध दर्ज किया है. आरोपी ने स्वयं को विष्णु लक्ष्मी लैंड डेवलपर्स और रायपुर बिल्डर्स का डायरेक्टर बताया था और बैंक में कुल 7 चेक जमा कर नकद पैसे निकाल लिए थे. जमा किए गए चेक बिहार के सरकारी विभागों के चेक की कॉपी है.
बिहार के सरकारी विभाग से निकाला गया पैसा
बिहार की दोनों कंपनियों ने जब बैंक प्रबंधन से संपर्क किया कि पैसे कैसे निकल रहे हैं और किस आधार पर पेमेंट हो रहा है, तो बैंक ने दोनों विभागों के दफ्तर में 7 चेक की कॉपी भेज दी. जिसके बाद कंपनी के अफसरों को होश उड़ गए और उन्होंने बताया कि उनकी ओर से रायपुर की किसी कंपनी को चेक नहीं जारी किया गया है. आरोपी ने जिस नंबर का चेक बैंक में जमा किया है, वह उनके दफ्तर में मौजूद है.
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एक-एक कर 7 चेक से निकाले पैसे
आरोपी काले ने पूरी साजिश के तहत इस धोखाधड़ी को अंजाम दिया है. काले ने पहले टाटीबंध स्थित बैंक में जाकर 8 मार्च को खाता खुलवाया और लोकल एड्रेस दिखाने के लिए देवेंद्र नगर के एक मकान का किरायानामा बैंक में जमा किया और पंडरी में अपनी कंपनी का ऑफिस बताया. इसके ठीक 15 दिनों बाद पहला चेक 48 लाख रुपये का बैंक में जमा किया और पूरे पैसे नकद निकाल लिया. इसके बाद धीरे-धीरे 5 मई तक आरोपी काले ने 7 चेक जमा कर कुल राशि 3 करोड़ 60 लाख रुपए निकाले और इस तरह से धोखाधड़ी के पूरे खेल को अंजाम दिया.
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