ETV Bharat / state

IPS Vikas Vaibhav Exclusive: बोले आईपीएस विकास वैभव- 'जो बात गोली से नहीं हुई बोली ने कर दी..' - Bihar IPS Vikas Vaibhav

बिहार के सुपरकॉप आईजी विकास वैभव 'लेट्स इंस्पायर बिहार' नाम का एक अभियान चला रहे हैं. उनके इस मिशन में अब तक 56 हजार से ज्यादा लोग जुड़ चुके हैं. एक्सक्लूसिव बातचीत में उन्होंने ईटीवी भारत को बताया कि किस तरह से उन्होंने अपने गौरवशाली इतिहास की बदौलत, लोगों को जोड़कर बिहार में क्राइम कंट्रोल किया. बिहार में अकल्पनीय को धरातल पर उतार दिया, पढ़ें-

Etv Bharat
Etv Bharat
author img

By

Published : Jan 17, 2023, 10:49 PM IST

Updated : Jan 18, 2023, 6:40 AM IST

विकास वैभव, आईजी, बिहार

हैदराबाद : बिहार के तेज तर्रार आईपीएस विकास वैभव ने ईटीवी भारत से खास बातचीत की. उन्होंने बताया कि किस तरह से वो बिहार में क्राइम कंट्रोल करने की रणनीति पर काम करते थे. आईपीएस विकास वैभव ने कहा कि जब वो बिहार आए थे तो उनके मन में था कि उन्हें बिहार के लिए कुछ करना है, जिससे प्रदेश में परिवर्तन हो. अपने जीवन काल में मैं एसपी के रूप में बगहा गया तो वहां के लोगों का कहना था कि यहां क्राइम खत्म हो ही नहीं सकता. यहां क्राइम वाल्मीकि के समय से चल रहा है. इसीलिए अंग्रेजों ने लिखा था कि ये 'क्राइम का विश्वविद्यालय' है. लेकिन लोग जब अपने इतिहास से जुड़े, अपने पूर्वजों की सोच से जुड़े और जब मैने उस दृष्टिकोण को साझा किया तो जो अकल्पनीय था वो संभव हो गया.

ये भी पढ़ें- IPS विकास वैभव फ्री में करवाएंगे बिहार के बच्चों को IIT-NEET की तैयारी, इंस्पायर हो रहे बिहार के युवा

'प्रेरणा से क्राइम का समाधान': आईजी विकास वैभव के मुताबिक तब बगहा में हर साल किडनैपिंग का केस 100-150 तक दर्ज होतीं थीं. लेकिन जब हम लोगों ने वहां के लोगों की दृष्टि को बदला तो उसका फर्क साफ दिखने लगा. उन्होंने वाल्मीकि का उदाहरण देते हुए कहा कि अगर रत्नाकर, रत्नाकर ही रहे होते तो विश्व भला किस वाल्मीकि को जानता?

'जो बात गोली से नहीं हुई बोली ने कर दी': आईजी ने बताया कि यही बातें जब वहां डकैतों के परिवारों से की गई तो मन की बात उनको छू गई. जो बात गोली से काम नहीं आई वो बोली से आ गई. हम लोगों ने उसी सोच पर काम करके क्राइम कम किया. ऐसा ही कुछ रोहतास में भी हुआ था. शुरूआत में कोई तिरंगा नहीं फहराता था. 15 अगस्त और 26 जनवरी को लोग काले झंडे लहराते थे. जबकि उग्रवादियों के विरुध ढेरों ऑपरेशन चले, लेकिन नतीजा उससे नहीं निकला. विकास वैभव बताते हैं कि क्राइम देखते-देखते उन्होंने अनुभव किया कि जब तक लोगों को नहीं जोड़ेंगे तब तक उग्रवाद को कंट्रोल नहीं किया जा सकता.

''रोहतास में लोगों को पूर्वजों के इतिहास से कनेक्ट किया, तो वहां के आदिवासियों में पुलिस के प्रति सहयोग की भावना आने लगी. नहीं तो वो इससे पहले उग्रवादियों का ही सपोर्ट करते थे. ऐसे में पर्यटन तो दूर की बात आम लोग भी ऐसे इलाके में जाना नहीं चाहते थे. उस वक्त भय का माहौल था. गोलियां मुझपर भी चलीं. लेकिन मेहनत रंग लाई वहां के लोगों ने नक्सलियों से सवाल पूछना शुरू कर दिया और एक दिन तस्वीर बदल गई. लोगों ने उग्रवादियों को बाध्य कर दिया जिन्होंने कभी पुलिस के हथियारों को लूटा था.'' - विकास वैभव, आईजी, बिहार

अखंड भारत के मूल में बिहार : आईजी विकास वैभव ने बताया कि बगहा और रोहतास में रहते हुए एक बड़ी दृष्टि मेरे मन में उमड़ी कि बात क्राइम तक ही क्यों रहे? बिहार की स्थिति को एक समय देखें तो जब न रोड था, न कोई कम्युनिकेशन था तब क्या बात थी कि हम व्यक्ति को व्यक्ति से जोड़ पा रहे थे? इस रूप में हमने बिहार के लोगों को जोड़ा कि अखंड भारत का निर्माण किया. कैसे बिहार की सत्ता पश्चिम में अफगानिस्तान के पार तक थीं, हिमालय के उत्तर में और दक्षिण में सागर तक थी और पूर्वोत्तर के पार थीं.

जब कैम्ब्रिज भी नहीं था उससे हजार साल पहले बिहार में विश्वविद्यालय : हम लोगों ने समझा कि बिहार क्या था? बिहार की विरासत को समझाते हुए विकास वैभव ने कहा कि इस बिहार में लोग दूर-दूर से पढ़ने आते थे. कैम्ब्रिज और ऑक्सफोर्ड से पहले यहां प्राचीन विश्वविद्यालय थे. उनमें क्या भावना थीं? जातियां तो तब भी थीं. लेकिन हम उस वक्त जातिवाद के विकार से ग्रसित नहीं थे. तभी तो नंदवंश का उदय हो सका. जो समाज के निम्न वर्ग से आते थे. उस समय ऐसी कल्पना पूरे भारत में नहीं थी. हमें जाति वाद से ऊपर उठना होगा. तभी तो हमारे पूर्वज अखंड भारत का निर्माण कर सके. तभी हम उस वक्त विश्वविद्यालय स्थापित कर सके.

इतिहास से सीखने और प्रेरित होने की जरूरत: उस बिहार में कभी चम्पा स्थापित थी, इसको पूरे पूर्वी एशिया में लोग मानते थे. 1500 वर्षों तक वियतनाम चंपा के नाम से जाना गया. तब व्यापारी आते थे तो बिहार के नगरों से प्रेरित होते थे. दक्षिण पूर्वी एशिया में घूम लीजिए वहां आज भी बिहार के गांवों के नाम पर वहां स्थान मिलेंगे. उस उद्यमिता को जगाना है तो बिहार के युवाओ को जागरूक करना होगा. उद्योग लगाने कोई बिहार अपने आप नहीं आएगा. उस भावना को जागृत करना होगा.

लेट्स इंस्पायर बिहार कैसे करता है काम: विकास वैभव ने कहा कि उनकी अपील है कि आप उनको सहयोग कीजिए जिनको आपकी आवश्यकता है. आप जहां स्थापित हैं वहां से अपने क्षेत्र के एक यूथ को अगर मेंटर कर सकें कि कैसे स्टॉर्ट-अप स्टार्ट करें, तो निश्चित ही चीजें बदलेंगी. लेट्स् इंस्पायर कैम्पेन से इसमें 52 हजार से ज्यादा लोग जुड़े हैं. पटना की बात करें तो इसमें महिलाएं शनिवार और रविवार को गार्गी पाठशाला 5 थानों में चला रहीं हैं. 500 के करीब ऐसे बच्चे हैं जो स्लम्स में रहते हैं उनको पढ़ाती हैं. शिक्षा दान योजना में ऐसे अनेक टीचर जुड़े भागलपुर, पटना में हम लोग 40 बच्चों को निशुल्क पढ़ा पा रहे हैं.

क्या है लेट्स इंस्पायर? : 'लेट्स इंस्पायर बिहार' एक मुहिम है. जो एक स्वैच्छिक सामाजिक, सांस्कृतिक और शैक्षिक पहल है. ये बिहार के लिए बेहतर भविष्य की स्थापना में योगदान देने के लिए शिक्षा, समतावाद और उद्यमिता के विषयों को बढ़ावा देने और उन पर काम करने की कोशिश करती है. इसका उद्देश्य ऐसे प्रतिबद्ध व्यक्तियों को जोड़ना है. जिन्होंने स्वैच्छिक आधार पर किसी भी मुख्य विषय पर भविष्य के निर्माण में योगदान देने का विकल्प चुना है. बिहार की शानदार विरासत से निकली प्रेरणा, जिसने सबसे प्राचीन काल से तत्कालीन समकालीन दुनिया में अपनी छाप छोड़ी थी. यही इस पहल के पीछे मुख्य प्रेरक शक्ति है. ज्ञान की भूमि के रूप में, समतावादी राजनीतिक परंपराओं के साथ सैन्य शक्ति की भूमि के रूप में और उद्यमिता की भूमि के रूप में बिहार के अतीत को गर्व से याद करते हुए, यह पहल वर्तमान पीढ़ी को इस पर विचार करने के लिए प्रोत्साहित करने का प्रयास करती है.

2003 बैच के बिहार कैडर के आईपीएस ऑफिसर है विकास वैभव : बिहार के आईपीएस विकास वैभव जितना अपनी दिलेरी के लिए जाने जाते हैं उतना ही इन्हें बिहार का भविष्य सुधारने के लिए लगातार प्रयास हेतु भी जाना जाता है. इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, कानुपर से अपनी ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी करने वाले विकास वैभव 2003 बैच के बिहार कैडर के आईपीएस ऑफिसर हैं. वह बिहार और यहां के युवाओं को लेकर जितने संवेदनशील हैं उतने ही सख्त वह अपराधियों के लिए हैं.

विकास वैभव, आईजी, बिहार

हैदराबाद : बिहार के तेज तर्रार आईपीएस विकास वैभव ने ईटीवी भारत से खास बातचीत की. उन्होंने बताया कि किस तरह से वो बिहार में क्राइम कंट्रोल करने की रणनीति पर काम करते थे. आईपीएस विकास वैभव ने कहा कि जब वो बिहार आए थे तो उनके मन में था कि उन्हें बिहार के लिए कुछ करना है, जिससे प्रदेश में परिवर्तन हो. अपने जीवन काल में मैं एसपी के रूप में बगहा गया तो वहां के लोगों का कहना था कि यहां क्राइम खत्म हो ही नहीं सकता. यहां क्राइम वाल्मीकि के समय से चल रहा है. इसीलिए अंग्रेजों ने लिखा था कि ये 'क्राइम का विश्वविद्यालय' है. लेकिन लोग जब अपने इतिहास से जुड़े, अपने पूर्वजों की सोच से जुड़े और जब मैने उस दृष्टिकोण को साझा किया तो जो अकल्पनीय था वो संभव हो गया.

ये भी पढ़ें- IPS विकास वैभव फ्री में करवाएंगे बिहार के बच्चों को IIT-NEET की तैयारी, इंस्पायर हो रहे बिहार के युवा

'प्रेरणा से क्राइम का समाधान': आईजी विकास वैभव के मुताबिक तब बगहा में हर साल किडनैपिंग का केस 100-150 तक दर्ज होतीं थीं. लेकिन जब हम लोगों ने वहां के लोगों की दृष्टि को बदला तो उसका फर्क साफ दिखने लगा. उन्होंने वाल्मीकि का उदाहरण देते हुए कहा कि अगर रत्नाकर, रत्नाकर ही रहे होते तो विश्व भला किस वाल्मीकि को जानता?

'जो बात गोली से नहीं हुई बोली ने कर दी': आईजी ने बताया कि यही बातें जब वहां डकैतों के परिवारों से की गई तो मन की बात उनको छू गई. जो बात गोली से काम नहीं आई वो बोली से आ गई. हम लोगों ने उसी सोच पर काम करके क्राइम कम किया. ऐसा ही कुछ रोहतास में भी हुआ था. शुरूआत में कोई तिरंगा नहीं फहराता था. 15 अगस्त और 26 जनवरी को लोग काले झंडे लहराते थे. जबकि उग्रवादियों के विरुध ढेरों ऑपरेशन चले, लेकिन नतीजा उससे नहीं निकला. विकास वैभव बताते हैं कि क्राइम देखते-देखते उन्होंने अनुभव किया कि जब तक लोगों को नहीं जोड़ेंगे तब तक उग्रवाद को कंट्रोल नहीं किया जा सकता.

''रोहतास में लोगों को पूर्वजों के इतिहास से कनेक्ट किया, तो वहां के आदिवासियों में पुलिस के प्रति सहयोग की भावना आने लगी. नहीं तो वो इससे पहले उग्रवादियों का ही सपोर्ट करते थे. ऐसे में पर्यटन तो दूर की बात आम लोग भी ऐसे इलाके में जाना नहीं चाहते थे. उस वक्त भय का माहौल था. गोलियां मुझपर भी चलीं. लेकिन मेहनत रंग लाई वहां के लोगों ने नक्सलियों से सवाल पूछना शुरू कर दिया और एक दिन तस्वीर बदल गई. लोगों ने उग्रवादियों को बाध्य कर दिया जिन्होंने कभी पुलिस के हथियारों को लूटा था.'' - विकास वैभव, आईजी, बिहार

अखंड भारत के मूल में बिहार : आईजी विकास वैभव ने बताया कि बगहा और रोहतास में रहते हुए एक बड़ी दृष्टि मेरे मन में उमड़ी कि बात क्राइम तक ही क्यों रहे? बिहार की स्थिति को एक समय देखें तो जब न रोड था, न कोई कम्युनिकेशन था तब क्या बात थी कि हम व्यक्ति को व्यक्ति से जोड़ पा रहे थे? इस रूप में हमने बिहार के लोगों को जोड़ा कि अखंड भारत का निर्माण किया. कैसे बिहार की सत्ता पश्चिम में अफगानिस्तान के पार तक थीं, हिमालय के उत्तर में और दक्षिण में सागर तक थी और पूर्वोत्तर के पार थीं.

जब कैम्ब्रिज भी नहीं था उससे हजार साल पहले बिहार में विश्वविद्यालय : हम लोगों ने समझा कि बिहार क्या था? बिहार की विरासत को समझाते हुए विकास वैभव ने कहा कि इस बिहार में लोग दूर-दूर से पढ़ने आते थे. कैम्ब्रिज और ऑक्सफोर्ड से पहले यहां प्राचीन विश्वविद्यालय थे. उनमें क्या भावना थीं? जातियां तो तब भी थीं. लेकिन हम उस वक्त जातिवाद के विकार से ग्रसित नहीं थे. तभी तो नंदवंश का उदय हो सका. जो समाज के निम्न वर्ग से आते थे. उस समय ऐसी कल्पना पूरे भारत में नहीं थी. हमें जाति वाद से ऊपर उठना होगा. तभी तो हमारे पूर्वज अखंड भारत का निर्माण कर सके. तभी हम उस वक्त विश्वविद्यालय स्थापित कर सके.

इतिहास से सीखने और प्रेरित होने की जरूरत: उस बिहार में कभी चम्पा स्थापित थी, इसको पूरे पूर्वी एशिया में लोग मानते थे. 1500 वर्षों तक वियतनाम चंपा के नाम से जाना गया. तब व्यापारी आते थे तो बिहार के नगरों से प्रेरित होते थे. दक्षिण पूर्वी एशिया में घूम लीजिए वहां आज भी बिहार के गांवों के नाम पर वहां स्थान मिलेंगे. उस उद्यमिता को जगाना है तो बिहार के युवाओ को जागरूक करना होगा. उद्योग लगाने कोई बिहार अपने आप नहीं आएगा. उस भावना को जागृत करना होगा.

लेट्स इंस्पायर बिहार कैसे करता है काम: विकास वैभव ने कहा कि उनकी अपील है कि आप उनको सहयोग कीजिए जिनको आपकी आवश्यकता है. आप जहां स्थापित हैं वहां से अपने क्षेत्र के एक यूथ को अगर मेंटर कर सकें कि कैसे स्टॉर्ट-अप स्टार्ट करें, तो निश्चित ही चीजें बदलेंगी. लेट्स् इंस्पायर कैम्पेन से इसमें 52 हजार से ज्यादा लोग जुड़े हैं. पटना की बात करें तो इसमें महिलाएं शनिवार और रविवार को गार्गी पाठशाला 5 थानों में चला रहीं हैं. 500 के करीब ऐसे बच्चे हैं जो स्लम्स में रहते हैं उनको पढ़ाती हैं. शिक्षा दान योजना में ऐसे अनेक टीचर जुड़े भागलपुर, पटना में हम लोग 40 बच्चों को निशुल्क पढ़ा पा रहे हैं.

क्या है लेट्स इंस्पायर? : 'लेट्स इंस्पायर बिहार' एक मुहिम है. जो एक स्वैच्छिक सामाजिक, सांस्कृतिक और शैक्षिक पहल है. ये बिहार के लिए बेहतर भविष्य की स्थापना में योगदान देने के लिए शिक्षा, समतावाद और उद्यमिता के विषयों को बढ़ावा देने और उन पर काम करने की कोशिश करती है. इसका उद्देश्य ऐसे प्रतिबद्ध व्यक्तियों को जोड़ना है. जिन्होंने स्वैच्छिक आधार पर किसी भी मुख्य विषय पर भविष्य के निर्माण में योगदान देने का विकल्प चुना है. बिहार की शानदार विरासत से निकली प्रेरणा, जिसने सबसे प्राचीन काल से तत्कालीन समकालीन दुनिया में अपनी छाप छोड़ी थी. यही इस पहल के पीछे मुख्य प्रेरक शक्ति है. ज्ञान की भूमि के रूप में, समतावादी राजनीतिक परंपराओं के साथ सैन्य शक्ति की भूमि के रूप में और उद्यमिता की भूमि के रूप में बिहार के अतीत को गर्व से याद करते हुए, यह पहल वर्तमान पीढ़ी को इस पर विचार करने के लिए प्रोत्साहित करने का प्रयास करती है.

2003 बैच के बिहार कैडर के आईपीएस ऑफिसर है विकास वैभव : बिहार के आईपीएस विकास वैभव जितना अपनी दिलेरी के लिए जाने जाते हैं उतना ही इन्हें बिहार का भविष्य सुधारने के लिए लगातार प्रयास हेतु भी जाना जाता है. इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, कानुपर से अपनी ग्रेजुएशन की पढ़ाई पूरी करने वाले विकास वैभव 2003 बैच के बिहार कैडर के आईपीएस ऑफिसर हैं. वह बिहार और यहां के युवाओं को लेकर जितने संवेदनशील हैं उतने ही सख्त वह अपराधियों के लिए हैं.

Last Updated : Jan 18, 2023, 6:40 AM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.