पटना : कभी नीतीश के सबसे नजदीकी और जेडीयू के कद्दावर नेता आरसीपी सिंह ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया (RCP Singh Resign from Jdu ) है. आरसीपी सिंह जब से केंद्रीय मंत्री बने थे तभी से वो धीरे धीरे हाशिए पर चले गए. यही नहीं आरसीपी सिंह के संपत्ति विवाद (RCP Singh Property Dispute) को लेकर नया बखेड़ा भी खड़ा हो गया है. इन सबके बीच आज नीतीश के राइट हैंड माने जाने वाले RCP ने इस्तीफा दे दिया. संकेत मिल रहे हैं कि वो अब एक नई पार्टी खड़ी करेंगे.
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'अपने इस्तीफे की घोषणा करते हुए आरसीपी सिंह ने कहा जेडीयू डूबती हुई नैया है. अब जेडीयू में बचा क्या है? वर्तमान समय में उन पर अकूत संपत्ति अर्जित करने का आरोप लगाया गया. ये उनकी छवि को बदनाम करने की कोशिश थी'- आरसीपी सिंह, पूर्व केंद्रीय मंत्री
जेडीयू ने आरसीपी सिंह से मांगा था जवाबः दरअसल, जब जेडीयू कार्यकर्ता की ओर आरसीपी के संपत्ति विवाद को लेकर शिकायत दर्ज कराई गई तो आरोपों पर प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा ने पत्र के माध्यम से आरसीपी सिंह से जवाब मांगा था. चर्चा यह भी थी कि सब कुछ ललन सिंह के इशारे पर हो रहा है. आपको बता दें कि आरसीपी सिंह राज्यसभा नहीं जा पाए, इसकी वजह भी ललन सिंह से मनमुटाव को माना जा रहा है. यही कारण है कि आरसीपी सिंह को केंद्रीय मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा. ललन और आरसीपी सिंह का टकराव मोदी मंत्रिमंडल के विस्तार के वक्त से ही दिखने लगा था. नतीजा ये हुआ कि तमाम दबाव और आरोपों के चलते आरसीपी को पार्टी से इस्तीफा देना पड़ा.
आरसीपी सिंह ने क्या कहा : मीडिया रिपोर्टस की मानें तो आरसीपी सिंह ने अपने ऊपर लगे आरोपों पर कहा है कि अधिकांश भूखंड उनकी बेटियों या पत्नी के नाम पर हैं, जो आयकर जमा करती हैं. विभाग में उन्होंने खरीद-बिक्री की जानकारी दे रखी थी. इसके अलावा उनके खाते या उनके नाम से कोई भूखंड की खरीद-बिक्री नहीं हुई. ऐसे में ये आरोप लगाना कहां से उचित हैं कि लालू स्टाइल में उन्होंने जमीन अर्जित की. उन्होंने पार्टी के नेताओं से पूछा कि वो बताएं कि आखिर किसी भूखंड के बदले उन्होंने किसी को उपकृत किया हो. ये सब आरोप बेबुनियाद हैं और जिसने भी जांच की उसे उनसे भी पूछताछ कर लेनी चाहिए थी.
इस्लामपुर में खरीदी गई करीब 40 बीघा जमीनः दरअसल जेडीयू ने अपने पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री रहे आरसीपी सिंह के खिलाफ मोर्चा खोला हुआ है. जेडीयू कार्यकर्ताओं का आरोप है कि आरसीपी सिंह ने 9 साल में 58 प्लाट खरीदे हैं. ये भी बाताया गया है कि आरसीपी और उनके घर वालों ने 2013 से अब तक नालंदा जिले के सिर्फ दो प्रखंड अस्थावां और इस्लामपुर में करीब 40 बीघा जमीन खरीदी है. कई और जिलों में भी उनकी संपत्ति होने की बात सामने आई है. पार्टी ने इसे भ्रष्टाचार के मोर्चे पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के ‘जीरो टॉलरेंस’ की नीति के खिलाफ माना है और आरसीपी को कठघरे में खड़ा करते हुए इस मामले पर स्पष्टीकरण मांगा है. दिलचस्प बात यह है कि इस संपत्ति का ब्योरा जदयू के नेताओं ने ही जुटाया है. अब उनके तथाकथित संपत्ति पर बिहार में सियासी संग्राम छिड़ गया है.
अस्थावां में खरीदे गए 34 प्लॉट आरसीपी के नामः जदयू के दस्तावेज के अनुसार खरीदी गई ज्यादातर जमीनें आरसीपी सिंह की पत्नी (गिरजा सिंह) और दोनों बेटियों (लिपि सिंह, लता सिंह) के नाम पर है. एक आरोप यह भी है कि आरसीपी ने खासकर 2016 के अपने चुनावी हलफनामे में इसका जिक्र नहीं किया है. नालंदा के इस्लामपुर (हिलसा) अंचल के सैफाबाद मौजा में 12 और केवाली अंचल में 12 प्लॉट खरीदे गए. यह खरीद 2013 से 2016 के दौरान हुई. ये प्लॉट लिपि सिंह और लता सिंह के नाम पर खरीदे गए. 28 अप्रैल 2014 को चरकावां (नीमचक बथानी, गया) के नरेश प्रसाद सिंह ने बेलधर बिगहा (छबीलापुर, नालंदा) के धर्मेंद्र कुमार को दान में जमीन दी. बाद में धर्मेंद्र कुमार ने यही जमीन लिपि सिंह और लता सिंह के नाम बेच दी. अस्थावां में खरीदे 34 प्लॉट आरसीपी का ही नाम है. इनमें 4 प्लॉट 2011- 2013 में लता सिंह और लिपि सिंह के नाम पर खरीदे गए. जिसमें पिता के रूप में आरसीपी सिंह का नाम है. बाकी 12 प्लॉट गिरजा सिंह और 18 प्लॉट लता सिंह के नाम पर खरीदे गए. महमदपुर में 2015 में एक प्लॉट गिरजा सिंह के नाम पर खरीदा गया. 2011 में 2, 2013 में 2, 2014 में 5, 2015 में 6, 2017 में 1, 2018 में 3, 2019 में 4, 2020 में 3, 2021 में 6 और 2022 में 2 प्लॉट खरीदे गए.
क्या है आरसीपी सिंह संपत्ति विवाद : बिहार प्रदेश अध्यक्ष उमेश सिंह कुशवाहा ने आरसीपी सिंह को एक पत्र लिखा था. पत्र में कहा गया है कि नालंदा जिले के दो जेडीयू नेताओं ने सबूतों के साथ उनके खिलाफ शिकायत की. शिकायत में कहा गया कि आरसीपी सिंह ने उनके और उनके परिवार के नाम पर साल 2013 से 2022 के बीच अकूत अचल संपत्ति अर्जित की. इसमें कई तरह की गड़बड़ियां. इस मामले में जेडीयू ने आरसीपी सिंह को नोटिस भेजकर जवाब मांगा गया. प्रदेशाध्यक्ष उमेश सिंह ने कहा कि वे जल्द से जल्द उनके और उनके परिवार से जुड़ी संपत्ति के मामले में अपनी राय स्पष्ट करें और पार्टी आलाकमान को इस बारे अवगत कराएं. इसी बीच आरसीपी ने इस्तीफा दे दिया.