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बिहार महासमर 2020: कोरोना काल में चुनाव कराना पुलिस के लिए बड़ी चुनौती: पूर्व डीजी - election commission bihar

पूर्व डीजी एसके भारद्वाज ने कहा कि कोरोना काल में पुलिस प्रशासन और चुनाव आयोग के लिए चुनाव कराना चुनौतीपूर्ण होगा. उन्होंने कहा कि आम इंसान के साथ साथ पुलिसकर्मी खुद को भी सुरक्षित रखना होगा.

Former DG SK Bhardwaj s
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Published : Sep 26, 2020, 7:24 PM IST

Updated : Sep 26, 2020, 7:42 PM IST

पटना: बिहार में आगामी दिनों में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. चुनाव के मद्देनजर पुलिस प्रशासन, चुनाव आयोग अपनी तरफ से तैयारियों में जुट गई है. चुनाव की तारीखों का ऐलान निर्वाचन आयोग की तरफ से कर दिया गया है. इसके बाद बिहार के पूर्व डीजी एसके भारद्वाज ईटीवी भारत से खास बातचीत की.

इस दौरान उन्होंने बताया कि 'पहले के चुनाव और अब के चुनाव में काफी परिवर्तन आया है. पहले के दिनों में चुनाव के समय पूरा सड़क पोस्टरों से पटा रहता था. जिधर देखिए उधर लाउडस्पीकर के माध्यम से प्रचार गाड़ी चलती रहती थी. पहले के चुनाव में अक्सर देखा जाता था कि वायलेंस और अपराधिक घटनाएं होती थी. लेकिन इन दिनों इस तरह की घटना कम ही सूनने को मिलती है. उन्होंने कहा जनता पूरी तरह सजग हो गई है.

उन्होंने कहा कि विगत चुनाव में देखा गया है कि ईवीएम मशीन में गड़बड़ी होने के वजह से जनता थोड़ी आक्रोशित हो जाती है. लेकिन पहले जैसे बूथ कैपचरिंग या गलत तरीके से वोटों की हेराफेरी नहीं होती है.

'क्लस्टर सिस्टम की गई थी शुरुआत'
पूर्व डीजी एसके भारद्वाज ने ईटीवी से खास बातचीत के दौरान बताया कि गया, जहानाबाद जैसे नक्सली इलाकों में चुनाव करवाना पहले के दिनों में काफी कठिन हुआ करता था. लेकिन जब मैं 1999 में मगध रेंज के डीआईजी था. उस समय चुनाव के समय सबसे पहले क्लस्टर सिस्टम की शुरुआत की थी. क्लस्टर सिस्टम के तहत उस जिले में जितने भी बूथ बनाए जाते थे. वहां पर पहुंचने के लिए गाड़ियों के बजाय पैदल पुलिस प्रशासन जाया करती थी. ताकि पुलिस प्रशासन का लॉस ऑफ लाइफ नहीं हो. अक्सर पहले के चुनाव में नक्सलियों द्वारा या अपराधी तत्वों के द्वारा लैंड माइंस बिछाकर गाड़ियां उड़ा दी जाती थी. पहले के चुनाव में देखा गया है कि लैंड माइंस के कारण 20-20 पुलिसकर्मियों की जान चली जाती थी और बूथ लूट लिया जाता था.

पूर्व डीजी से खास बातचीत

कोरोना काल में चुनाव करवाना चुनौतीपूर्ण
एसके भारद्वाज ने बताया कि इस बार के चुनाव को भी कोरोना काल के दौरान पुलिस प्रशासन को हल्के में नहीं लेनी चाहिए. अगर पुलिस प्रशासन इसे हल्के में लेती है तो किसी तरह की बड़ी वारदात को अंजाम अपराधियों और नक्सली के द्वारा दिया जा सकता है. साथ ही उन्होंने कहा कि करोना काल के दौरान पुलिस के लिए चुनाव करवाना चुनौतीपूर्ण होगा. क्योंकि आम इंसान के साथ साथ पुलिसकर्मी खुद को भी सुरक्षित रखना होगा.

उन्होंने कहा कि पहले के दिनों में भी और अब भी पुलिस को अपना इकबाल कायम रखने के लिए अपनी पूरी ताकत झोंकनी पड़ती है. पुलिस को इस गलतफहमी में नहीं रहना चाहिए कि उग्रवाद खत्म हो गए हैं. बिहार में अभी भी नक्सलाइट पूर्ण रूप से खत्म नहीं हुआ है. कभी भी लैंड माइंस बिछाकर पुलिस या बूथ पर हमला किया जा सकता है. इस वजह से पुलिस को इस करोना काल में भी अधिक सतर्क रहने की जरूरत है.

पटना: बिहार में आगामी दिनों में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. चुनाव के मद्देनजर पुलिस प्रशासन, चुनाव आयोग अपनी तरफ से तैयारियों में जुट गई है. चुनाव की तारीखों का ऐलान निर्वाचन आयोग की तरफ से कर दिया गया है. इसके बाद बिहार के पूर्व डीजी एसके भारद्वाज ईटीवी भारत से खास बातचीत की.

इस दौरान उन्होंने बताया कि 'पहले के चुनाव और अब के चुनाव में काफी परिवर्तन आया है. पहले के दिनों में चुनाव के समय पूरा सड़क पोस्टरों से पटा रहता था. जिधर देखिए उधर लाउडस्पीकर के माध्यम से प्रचार गाड़ी चलती रहती थी. पहले के चुनाव में अक्सर देखा जाता था कि वायलेंस और अपराधिक घटनाएं होती थी. लेकिन इन दिनों इस तरह की घटना कम ही सूनने को मिलती है. उन्होंने कहा जनता पूरी तरह सजग हो गई है.

उन्होंने कहा कि विगत चुनाव में देखा गया है कि ईवीएम मशीन में गड़बड़ी होने के वजह से जनता थोड़ी आक्रोशित हो जाती है. लेकिन पहले जैसे बूथ कैपचरिंग या गलत तरीके से वोटों की हेराफेरी नहीं होती है.

'क्लस्टर सिस्टम की गई थी शुरुआत'
पूर्व डीजी एसके भारद्वाज ने ईटीवी से खास बातचीत के दौरान बताया कि गया, जहानाबाद जैसे नक्सली इलाकों में चुनाव करवाना पहले के दिनों में काफी कठिन हुआ करता था. लेकिन जब मैं 1999 में मगध रेंज के डीआईजी था. उस समय चुनाव के समय सबसे पहले क्लस्टर सिस्टम की शुरुआत की थी. क्लस्टर सिस्टम के तहत उस जिले में जितने भी बूथ बनाए जाते थे. वहां पर पहुंचने के लिए गाड़ियों के बजाय पैदल पुलिस प्रशासन जाया करती थी. ताकि पुलिस प्रशासन का लॉस ऑफ लाइफ नहीं हो. अक्सर पहले के चुनाव में नक्सलियों द्वारा या अपराधी तत्वों के द्वारा लैंड माइंस बिछाकर गाड़ियां उड़ा दी जाती थी. पहले के चुनाव में देखा गया है कि लैंड माइंस के कारण 20-20 पुलिसकर्मियों की जान चली जाती थी और बूथ लूट लिया जाता था.

पूर्व डीजी से खास बातचीत

कोरोना काल में चुनाव करवाना चुनौतीपूर्ण
एसके भारद्वाज ने बताया कि इस बार के चुनाव को भी कोरोना काल के दौरान पुलिस प्रशासन को हल्के में नहीं लेनी चाहिए. अगर पुलिस प्रशासन इसे हल्के में लेती है तो किसी तरह की बड़ी वारदात को अंजाम अपराधियों और नक्सली के द्वारा दिया जा सकता है. साथ ही उन्होंने कहा कि करोना काल के दौरान पुलिस के लिए चुनाव करवाना चुनौतीपूर्ण होगा. क्योंकि आम इंसान के साथ साथ पुलिसकर्मी खुद को भी सुरक्षित रखना होगा.

उन्होंने कहा कि पहले के दिनों में भी और अब भी पुलिस को अपना इकबाल कायम रखने के लिए अपनी पूरी ताकत झोंकनी पड़ती है. पुलिस को इस गलतफहमी में नहीं रहना चाहिए कि उग्रवाद खत्म हो गए हैं. बिहार में अभी भी नक्सलाइट पूर्ण रूप से खत्म नहीं हुआ है. कभी भी लैंड माइंस बिछाकर पुलिस या बूथ पर हमला किया जा सकता है. इस वजह से पुलिस को इस करोना काल में भी अधिक सतर्क रहने की जरूरत है.

Last Updated : Sep 26, 2020, 7:42 PM IST
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