ETV Bharat / state

बिहार में सामाजिक बदलाव के प्रणेता थे कर्पूरी ठाकुर, हिन्दी के उपयोग को बनाया था अनिवार्य

जननायक कर्पूरी ठाकुर देश के पहले मुख्यमंत्री बने, जिन्होंने अपने राज्य में मैट्रिक तक मुफ्त पढ़ाई की घोषणा की. वहीं, उन्होंने राज्य में उर्दू को दूसरी राजकीय भाषा का भी दर्जा दिया. वहीं, राज्य के सभी विभागों में हिंदी में काम करने को अनिवार्य बनाया.

कर्पूरी ठाकुर
कर्पूरी ठाकुर
author img

By

Published : Jan 24, 2021, 6:01 AM IST

पटनाः बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर का जन्म 24 जनवरी, 1924 को समस्तीपुर के पितौंझिया में हुआ. जिसे वर्तमान में कर्पूरी ग्राम के नाम से जाना जाता है. जननायक के नाम से मशहूर पूर्व सीएम समाजवादी धारा के बड़े नेता के रूप में प्रसिद्ध हैं. वहीं, उनकी पहचान कांग्रेस विरोधी राजनीति के अहम नेताओं के रूप में होती रही.

कहा जाता है कि इंदिरा गांधी आपातकाल के दौरान तमाम कोशिशों के बावजूद उन्हें गिरफ्तार करवाने में नाकाम रही थी. कर्पूरी ठाकुर बिहार के दो बार मुख्यमंत्री, एक बार उपमुख्यमंत्री और दशकों तक विधायक और विरोधी दल के नेता रहे. खास बात ये है कि 1952 की पहली विधानसभा में चुनाव जीतने के बाद 1984 के एक अपवाद को छोड़ दें तो वो कभी चुनाव नहीं हारे.

कर्पूरी ठाकुर व अन्य(फाइल फोटो)
कर्पूरी ठाकुर व अन्य(फाइल फोटो)

समस्तीपुर के ताजपुर विधानसभा से चुने गए थे विधायक
ठाकुर पहली बार समस्तीपुर के ताजपुर विधानसभा क्षेत्र से जीतकर बिहार विधानसभा पहुंचे. पहली बार डिप्टी सीएम का पद संभालने के बाद उन्होंने बिहार में अंग्रेजी की अनिवार्यता को खत्म किया. बता दें कि उन्हें शिक्षा मंत्री का पद भी मिला हुआ था. कर्पूरी ठाकुर की कोशिशों के चलते ही मिशनरी स्कूलों ने हिंदी में पढ़ाना शुरू किया.

कर्पूरी ठाकुर (फाइल फोटो)
कर्पूरी ठाकुर (फाइल फोटो)

हिन्दी को बनाया अनिवार्य
जननायक कर्पूरी ठाकुर देश के पहले मुख्यमंत्री बने, जिन्होंने अपने राज्य में मैट्रिक तक मुफ्त पढ़ाई की घोषणा की. वहीं, उन्होंने राज्य में उर्दू को दूसरी राजकीय भाषा का भी दर्जा दिया. वहीं, राज्य के सभी विभागों में हिंदी में काम करने को अनिवार्य बनाया.

राज्य सरकार के कर्मचारियों के समान वेतन आयोग को राज्य में भी लागू करने का काम सबसे पहले किया. 1977 में वो दोबारा मुख्यमंत्री बनने के बाद पिछड़े वर्गों को सरकारी सेवाओं में आरक्षण देने संबंधी मुंगेरीलाल कमीशन की सिफारिशें लागू कर दी. ऐसा करने वाला बिहार देश का पहला राज्य बना.

सभा को संबोधित करते कर्पूरी ठाकुर (फाइल फोटो)
सभा को संबोधित करते कर्पूरी ठाकुर (फाइल फोटो)

ये भी पढ़ेंः बिहार में नेताओं का 'बंगला प्रेम', सियासी चक्रव्यूह में नीतीश सरकार

64 साल की उम्र में निधन
बेदाग छवि वाले कर्पूरी ठाकुर आजादी से पहले 2 बार और आजादी के बाद 18 बार जेल गए. पूर्व सीएम कर्पूरी ठाकुर का निधन मात्र 64 साल की उम्र में 17 फरवरी, 1988 को दिल का दौरा पड़ने से हुआ.

पटनाः बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर का जन्म 24 जनवरी, 1924 को समस्तीपुर के पितौंझिया में हुआ. जिसे वर्तमान में कर्पूरी ग्राम के नाम से जाना जाता है. जननायक के नाम से मशहूर पूर्व सीएम समाजवादी धारा के बड़े नेता के रूप में प्रसिद्ध हैं. वहीं, उनकी पहचान कांग्रेस विरोधी राजनीति के अहम नेताओं के रूप में होती रही.

कहा जाता है कि इंदिरा गांधी आपातकाल के दौरान तमाम कोशिशों के बावजूद उन्हें गिरफ्तार करवाने में नाकाम रही थी. कर्पूरी ठाकुर बिहार के दो बार मुख्यमंत्री, एक बार उपमुख्यमंत्री और दशकों तक विधायक और विरोधी दल के नेता रहे. खास बात ये है कि 1952 की पहली विधानसभा में चुनाव जीतने के बाद 1984 के एक अपवाद को छोड़ दें तो वो कभी चुनाव नहीं हारे.

कर्पूरी ठाकुर व अन्य(फाइल फोटो)
कर्पूरी ठाकुर व अन्य(फाइल फोटो)

समस्तीपुर के ताजपुर विधानसभा से चुने गए थे विधायक
ठाकुर पहली बार समस्तीपुर के ताजपुर विधानसभा क्षेत्र से जीतकर बिहार विधानसभा पहुंचे. पहली बार डिप्टी सीएम का पद संभालने के बाद उन्होंने बिहार में अंग्रेजी की अनिवार्यता को खत्म किया. बता दें कि उन्हें शिक्षा मंत्री का पद भी मिला हुआ था. कर्पूरी ठाकुर की कोशिशों के चलते ही मिशनरी स्कूलों ने हिंदी में पढ़ाना शुरू किया.

कर्पूरी ठाकुर (फाइल फोटो)
कर्पूरी ठाकुर (फाइल फोटो)

हिन्दी को बनाया अनिवार्य
जननायक कर्पूरी ठाकुर देश के पहले मुख्यमंत्री बने, जिन्होंने अपने राज्य में मैट्रिक तक मुफ्त पढ़ाई की घोषणा की. वहीं, उन्होंने राज्य में उर्दू को दूसरी राजकीय भाषा का भी दर्जा दिया. वहीं, राज्य के सभी विभागों में हिंदी में काम करने को अनिवार्य बनाया.

राज्य सरकार के कर्मचारियों के समान वेतन आयोग को राज्य में भी लागू करने का काम सबसे पहले किया. 1977 में वो दोबारा मुख्यमंत्री बनने के बाद पिछड़े वर्गों को सरकारी सेवाओं में आरक्षण देने संबंधी मुंगेरीलाल कमीशन की सिफारिशें लागू कर दी. ऐसा करने वाला बिहार देश का पहला राज्य बना.

सभा को संबोधित करते कर्पूरी ठाकुर (फाइल फोटो)
सभा को संबोधित करते कर्पूरी ठाकुर (फाइल फोटो)

ये भी पढ़ेंः बिहार में नेताओं का 'बंगला प्रेम', सियासी चक्रव्यूह में नीतीश सरकार

64 साल की उम्र में निधन
बेदाग छवि वाले कर्पूरी ठाकुर आजादी से पहले 2 बार और आजादी के बाद 18 बार जेल गए. पूर्व सीएम कर्पूरी ठाकुर का निधन मात्र 64 साल की उम्र में 17 फरवरी, 1988 को दिल का दौरा पड़ने से हुआ.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.