पटना: पटना हाई कोर्ट ने मुजफ्फरपुर पुलिस द्वारा सड़क दुर्घटना में मरे एक शख्स के शव को बगैर अस्पताल पहुंचाए नदी में फेंक दिये जाने के मामले पर अंतिम सुनवाई के लिए आगामी 23 जनवरी निर्धारित की है. स्वतः संज्ञान लेते हुए चीफ जस्टिस के वी चन्द्रन की खंडपीठ ने सुनवाई की.
राज्य सरकार की कार्रवाईयों का अतरिम रिपोर्ट प्रस्तुत: राज्य सरकार की ओर से की गयी कार्रवाईयों का ब्यौरा देते हुए एक अंतरिम रिपोर्ट कोर्ट में प्रस्तुत की गई. जिसमें इस मामले में की गयी कार्रवाईयों के संबंध में कोर्ट को जानकारी दी गई. पिछली सुनवाई में राज्य सरकार को दिशानिर्देश जारी करने के लिए कहा था. इस मामले पर टिप्पणी करते हुए कहा कि राज्य सरकार को पुलिस को संवेदनशील बनाने हेतु आवश्यक कदम उठाने चाहिए.
दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई: पिछली सुनवाई के दौरान महाधिवक्ता पी के शाही ने कोर्ट को बताया था कि इस मामले में सरकार द्वारा संज्ञान लिया जा चुका है. दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है. हाई कोर्ट ने बिहार मानवाधिकार आयोग द्वारा जारी रिपोर्ट पर भी संज्ञान लिया, जिसमें कोविड के दौरान शवों को नदी में बहाए जाने की बात उजागर हुई थी.
क्या है पूरा मामला?: गौरतलब है कि राष्ट्रीय राजमार्ग 22 पर एक अज्ञात ट्रक द्वारा कुचले जाने के बाद उस व्यक्ति की दर्दनाक मौत हो गई थी. जिसके बाद पुलिस ने ना तो शव को अस्पताल पहुंचाया और ना ही पोस्टमार्टम कराया. पुलिस कर्मियों ने बेरहमी से शव को सड़क से उठाया और बेहद ही अमानवीय तरीके से एक पुल के ऊपर से लाठियों का उपयोग करके उसे नदी में फेंक दिया. जिसका वीडियो वायरल हो गया.
वीडियो वायरल होने के बाद एक्शन: वीडियो के व्यापक रूप से वायरल होने के बाद पुलिस की आलोचना बढ़ गई. वीडियो में साफ दिखा कि खून से लथपथ शव को पुलिसवालों ने लाठी से पुल से नदी में धकेल कर ठिकाने लगा दिया. वीडियो वायरल होने के बाद पुलिस ने देर रात शव को बरामद कर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया. लेकिन तब तक मामला तूल पकड़ चुका था.
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