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'डर गई है BJP, नहीं तो अन्य राज्यों से पहले असम जाते गृह मंत्री अमित शाह' - सीएए का देशव्यापी विरोध

प्रो. डीएम दिवाकर का कहना है कि जिस तरह से एनपीआर और सीएए का देशव्यापी विरोध हो रहा है, उससे केंद्र सरकार डर गई है. उन्हें अपने वोट बैंक की चिंता है इसलिए अन्य राज्यों में घूम-घूमकर जागरुकता फैलाई जा रही है.

अमित शाह और योगी आदित्यनाथ
अमित शाह और योगी आदित्यनाथ
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Published : Jan 7, 2020, 10:34 AM IST

पटना: सीएए और एनपीआर के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए गृह मंत्री अमित शाह और यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ बिहार आने वाले हैं. इसको लेकर अब प्रदेश में सियासत तेज है. लगातार विपक्ष सरकार पर निशाना साध रहा है, ऐसे में उसे विशेषज्ञों का भी साथ मिलता दिख रहा है.

समाजशास्त्री और एएन सिन्हा समाज अध्ययन संस्थान के पूर्व निदेशक प्रो. डीएम दिवाकर की मानें तो बीजेपी अब डर गई है. उनका कहना है कि नागरिकता संशोधन कानून के लिए सबसे पहले असम के लोगों को समझाने की जरूरत है क्योंकि ये आग वहीं से भड़की. अमित शाह को पहले असम जाना चाहिए.

patna
प्रो. डीएम दिवाकर, समाजशास्त्री

क्या डर गई है केंद्र सरकार ?
प्रो. डीएम दिवाकर का कहना है कि जिस तरह से एनपीआर और सीएए का देशव्यापी विरोध हो रहा है, उससे केंद्र सरकार डर गई है. उन्हें अपने वोट बैंक की चिंता है इसलिए अन्य राज्यों में घूम-घूमकर जागरुकता फैलाई जा रही है. उन्होंने साफ कहा है कि बीजेपी इस कानून का राजनीतिक प्रयोग कर रही है.

देखें पूरी रिपोर्ट

ये भी पढ़ें: CBI ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किया हलफनामा, 17 मामलों में जांच पूरी

'असल मुद्दों से जनता को गुमराह कर रही बीजेपी'
समाजशास्त्री दिवाकर का मानना है कि अमित शाह का बिहार या अन्य राज्य में आना और असम नहीं जाना, इन सभी बातों से बीजेपी का डर और उनकी नीति दिखती है. बीजेपी देश के मूल मुद्दों से जनता को भटकाने के लिए एनआरसी, एनपीआर या सीएए जैसे मुद्दे उठा रही है.

पटना: सीएए और एनपीआर के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए गृह मंत्री अमित शाह और यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ बिहार आने वाले हैं. इसको लेकर अब प्रदेश में सियासत तेज है. लगातार विपक्ष सरकार पर निशाना साध रहा है, ऐसे में उसे विशेषज्ञों का भी साथ मिलता दिख रहा है.

समाजशास्त्री और एएन सिन्हा समाज अध्ययन संस्थान के पूर्व निदेशक प्रो. डीएम दिवाकर की मानें तो बीजेपी अब डर गई है. उनका कहना है कि नागरिकता संशोधन कानून के लिए सबसे पहले असम के लोगों को समझाने की जरूरत है क्योंकि ये आग वहीं से भड़की. अमित शाह को पहले असम जाना चाहिए.

patna
प्रो. डीएम दिवाकर, समाजशास्त्री

क्या डर गई है केंद्र सरकार ?
प्रो. डीएम दिवाकर का कहना है कि जिस तरह से एनपीआर और सीएए का देशव्यापी विरोध हो रहा है, उससे केंद्र सरकार डर गई है. उन्हें अपने वोट बैंक की चिंता है इसलिए अन्य राज्यों में घूम-घूमकर जागरुकता फैलाई जा रही है. उन्होंने साफ कहा है कि बीजेपी इस कानून का राजनीतिक प्रयोग कर रही है.

देखें पूरी रिपोर्ट

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'असल मुद्दों से जनता को गुमराह कर रही बीजेपी'
समाजशास्त्री दिवाकर का मानना है कि अमित शाह का बिहार या अन्य राज्य में आना और असम नहीं जाना, इन सभी बातों से बीजेपी का डर और उनकी नीति दिखती है. बीजेपी देश के मूल मुद्दों से जनता को भटकाने के लिए एनआरसी, एनपीआर या सीएए जैसे मुद्दे उठा रही है.

Intro:नागरिकता संशोधन कानून के बारे में विस्तृत जानकारी देने भारतीय जनता पार्टी के तमाम बड़े नेता हर घर दस्तक कार्यक्रम कर रहे हैं। इसी क्रम में बिहार के दौरे पर गृह मंत्री अमित शाह और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ आने वाले हैं।
इनकी यात्रा पर राजनीतिक जानकार कहते हैं कि यह सिर्फ मामले की राजनीतिक कारण के लिए किया जा रहा है। अनुग्रह नारायण शिक्षण सोंग्स शोध संस्थान के निदेशक डीएम दिवाकर कहते हैं कि देश के गृह मंत्री अमित शाह को सबसे पहले आसाम जाना चाहिए।


Body:क्योंकि आरआरसी का मुद्दा आसाम से ही पूरे देश में फैला है। अगर वह हंसा नहीं जाते हैं और वहां की जनता को इसके बारे में नहीं बताते इसका मतलब है कि भारतीय जनता पार्टी इस कानून का राजनीतिक प्रयोग कर रही है।
दिवाकर का मानना है कि बिहार या अन्य राज्य में अमित शाह का आना और आसाम नहीं जाना उनके डर को बताता है।
भारतीय जनता पार्टी देश के मूल मुद्दों से जनता को हटाने के लिए एनआरसी या सीएए जैसे मुद्दे उठा रही है।
दिवाकर कहते हैं कि देश में बेरोजगारी चरम पर है, महंगाई से लोग करा रहे हैं, और देश की अर्थव्यवस्था नोटबंदी और जीएसटी के बाद पूरी तरह से चरमरा चुकी है।
केंद्र की सरकार को इस पर ध्यान देने की जरूरत है।


Conclusion:लेकिन कैबिनेट के निर्णय के बाद एक के बाद एक सरकारी उपक्रमों को निजी करण किया जा रहा है। इंजमाम बातों को ढकने के लिए नागरिकता संशोधन कानून का सहारा केंद्र सरकार ले रही है।
जनता सर्वोपरि है और वह समय पर अपना अधिकार का प्रयोग कर सहमति या असहमति दर्ज कराएगी।
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