पटना: भारत के युवा लेखक सह कवि गीत चतुर्वेदी इन दिनों राजधानी पटना में है. इस दौरान उनसे खास बातचीत ईटीवी के पटना संवाददाता ने की. बातचीत में गीत चतुर्वेदी ने कहा कि वे बिहार के साहित्यकारों को नमन करने और बिहार के लोगों को साहित्य से जोड़े रखने एवं उन्हें जागरुक करने के लिए लोक चेतना यात्रा की शुरुआत करेंगे. उन्होंने कहा कि वे बिहार में लोक चेतना यात्रा करने ही आए हैं.
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साहित्यिक पूर्वजों की धरती है बिहार
इटीवी के बात करते हुए गीत चतुर्वेदी ने कहा कि बिहार हमारे साहित्यिक पूर्वजों की धरती है. भिखारी ठाकुर, विद्यापति, फणीश्वर नाथ रेणु, रामधारी सिंह दिनकर, ये सभी साहित्यकार नहीं बल्कि बिहार के चार धाम है. यह सिर्फ लेखक नहीं बल्कि बिहार के चार स्तंभ हैं. काफी समय से मेरा एक सपना था कि मैं बिहार के साहित्यिक पूर्वजों की धरती पर जाऊं और वहां की मिट्टी को अपने माथे पर लगाऊ. ताकि अप्रत्यक्ष रूप से अपने साहित्यिक पूर्वजों का आशीर्वाद प्राप्त कर सकूं और वह काम मैं लोक चेतना यात्रा के द्वारा करूंगा.
कविता के लिए प्रकृति को समझना जरूरी
उन्होंने बताया कि हम सभी के लिए यह जानना बेहद जरूरी है कि जब तक हम प्रकृति को बेहतर तरीके से नहीं समझेंगे, हम किसी कविता या कहानी को नहीं समझ सकते. क्योंकि प्रकृति से ही हम और आप हैं. जो प्रकृति को बेहतर तरीके से समझते हैं, वहीं साहित्य में बेहतर करते हैं. हमारा उद्देश्य भी यहीं है कि लोग प्रकृति के करीब जाएं. उसे समझे और उसके बाद अपनी कविताओं को निकाले. जब मनुष्य और प्रकृति का संबंध काफी बेहतर हो जाएगा, तब जो चीजें हैं वह खुद-ब-खुद समझ में आएंगी और काफी आनंद भी मिलेगा. लोक चेतना यात्रा का यहीं उद्देश्य है.
23 से 30 मार्च तक चलेगी लोक चेतना यात्रा
लोक चेतना यात्रा के बारे में बताते हुए चतुर्वेदी ने कहा कि 23 मार्च से 30 मार्च तक चलेगी. जिसकी शुरुआत पटना के बिहार आर्ट थियेटर से होगी. बिहार के जितने भी साहित्यकार रहे हैं, उन सभी के गांव जाकर वहां लोगों से बातचीत की जाएगी. लोगों को जागरुक किया जाएगा. लोगों के साथ हम साहित्य वार्ता संवाद करेंगे और सीतामढ़ी के गांव श्रीरामपुर में तीन दिवसीय कैंप का आयोजन करेंगे, जिसमें नौजवानों और बच्चों के साथ प्रकृति और साहित्य के संबंधों पर चर्चा की जाएगी.