पटना: जदयू संसदीय दल के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा (Upendra Kushwaha) ने ईटीवी भारत के संवाददाता अविनाश से खास बातचीत में कहा कि जदयू (JDU) को एक बार फिर से बिहार की नंबर एक पार्टी बनाने के लिए नीतीश कुमार (Nitish Kumar) के साथ आए हैं. उपेंद्र कुशवाहा ने आरसीपी सिंह (RCP Singh) के साथ मतभेद से इनकार किया. उन्होंने कहा कि हम लोगों की लगातार बातचीत होती है. मुलाकात भी हुई है. कुछ लोग अफवाह फैला रहे हैं.
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कुशवाहा ने जदयू में कराया था अपनी पार्टी का विलय
कभी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के खिलाफ आंदोलन चलाने वाले उपेंद्र कुशवाहा अब नीतीश कुमार के साथ हैं. वह अपनी पार्टी रालोसपा (RLSP) का जदयू में विलय करा चुके हैं. नीतीश कुमार ने उपेंद्र कुशवाहा को जदयू संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष के साथ बिहार विधान परिषद का सदस्य भी बनाया है. नीतीश ने उपेंद्र को पटना में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष आरसीपी सिंह के आवास के ठीक सामने मंत्रियों वाला बंगला उपलब्ध कराया है. जदयू में आने के बाद उपेंद्र कुशवाहा अपने ट्वीट को लेकर चर्चा में रहे हैं.
उपेंद्र कुशवाहा से साथ खास बातचीत
सवाल: अभी पार्टी में आपकी क्या भूमिका है?
जवाब: जदयू में शामिल होने के बाद एक कार्यकर्ता के तौर पर काम कर रहा हूं. पार्टी जो भी भूमिका तय करेगी उसे पूरा करूंगा. जदयू को फिर से बिहार में नंबर वन पार्टी बनाएंगे. उसके लिए काम कर रहे हैं.
सवाल: इस बार विधानसभा चुनाव में जदयू का प्रदर्शन बेहतर नहीं रहा. उपेंद्र कुशवाहा भी सफल नहीं हुए. ऐसे में नीतीश कुमार को ज्यादा जरूरत थी उपेंद्र कुशवाहा की या उपेंद्र कुशवाहा को नीतीश कुमार की जरूरत थी.
जवाब: विधानसभा चुनाव में जो मैंडेट आया व्यक्तिगत रूप से मुझे लगा कि लोग चाहते हैं उपेंद्र कुशवाहा और नीतीश एक साथ आएं. जनता के आदेश के बाद हम लोगों ने फैसला लिया.
सवाल: पहले भी नीतीश कुमार के साथ रह चुके हैं. अब कितना बदला हुआ माहौल है? इसमें कितना सहज हैं?
जवाब: पूरी तरह सहज हूं. बिहार में नीतीश कुमार के नेतृत्व में विकास के बहुत काम हुए हैं. अभी बहुत कुछ किया जाना है. नीतीश कुमार समाज के लिए कुछ अलग काम करते रहे हैं. नीतीश कुमार के नेतृत्व में जो कुछ हो रहा है, वह अच्छा लग रहा है. आगे और अच्छा काम होगा. हमलोग उनके साथ हैं. हम आंदोलन चलाते थे. सरकार से मांग करते थे, लेकिन अब सत्ताधारी दल में शामिल हो गए तो लोगों की मांग को और बेहतर ढंग से पूरा कर सकेंगे.
सवाल: आरसीपी सिंह के साथ क्या मतभेद है? पार्टी के अंदर गुटबाजी की बातें हो रहीं हैं.
जवाब: पार्टी में कोई गुटबाजी नहीं है. कुछ लोग अफवाह फैला रहे हैं. आरसीपी सिंह पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं. उनके साथ लगातार बातचीत होती है. मुलाकात भी हुई है. उनके साथ कोई मतभेद नहीं है.
सवाल: पार्टी कार्यालय की बैठकों में शामिल नहीं होते हैं?
जवाब: कोरोना काल में कोई कार्यक्रम अभी हुआ नहीं है. आरसीपी सिंह पार्टी नेताओं की बैठक करते हैं. ऐसा नहीं है कि उसमें सभी लोग जाते हैं.
सवाल: यूपी चुनाव में पार्टी की क्या रणनीति है?
जवाब: केसी त्यागी ने चुनाव लड़ने की बात कही है. हम लोग चाहते हैं कि बीजेपी के साथ गठबंधन हो जाए. ऐसे पार्टी वहां तैयारी कर रही है.
सवाल: बीजेपी के नेता जदयू के खिलाफ बयानबाजी कर रहे हैं.
जवाब: दोनों दल अलग-अलग हैं. हम लोग गठबंधन में एक साथ हैं. बयानबाजी का कोई असर गठबंधन पर नहीं पड़ेगा. जनसंख्या नियंत्रण कानून, कॉमन सिविल कोड और धर्मांतरण के मुद्दे पर जदयू और बीजेपी की अपनी-अपनी नीति है.
सवाल: क्या आपकी नजर मुख्यमंत्री की कुर्सी पर है?
जवाब: पहले जो भूमिका थी उसके लिए काम कर रहे थे. अब जो भूमिका मेरे लिए तय है उस पर काम कर रहे हैं.
कभी नीतीश के खासम खास थे कुशवाहा
बता दें कि उपेंद्र कुशवाहा कभी नीतीश कुमार के खासम खास थे. बिहार के वैशाली जिले से आने वाले उपेंद्र कुशवाहा राजनीति में आने से पहले लेक्चरर थे. उन्होंने मुजफ्फरपुर के बीआर अंबेडकर बिहार यूनिवर्सिटी से राजनीति विज्ञान में एमए किया है. कुशवाहा ने कर्पूरी ठाकुर से प्रभावित होकर 1985 में राजनीति में एंट्री की और लोकदल से अपना सियासी सफर शुरू किया. 1985 से 1988 तक लोकदल के युवा राज्य महासचिव रहे फिर पार्टी में उन्हें राष्ट्रीय महासचिव की जिम्मेवारी मिली.
नाराजगी के चलते हो गए थे अलग
लोकदल के बाद कुशवाहा समता पार्टी में शामिल हो गए और वहां महासचिव बने. 2000 से 2005 तक बिहार विधानसभा के सदस्य भी रहे. नीतीश ने उन्हें विधानसभा का उप नेता और नेता प्रतिपक्ष भी बनाया. नीतीश ने उपेंद्र को राज्यसभा भी भेजा. नीतीश से नाराजगी के बाद उपेंद्र अलग हो गए थे. इसके बाद कई दलों में गए. 2013 में राष्ट्रीय लोक समता पार्टी की स्थापना की. 2014 में एनडीए में शामिल हो गए और इनकी पार्टी को लोकसभा चुनाव में 3 सीट पर जीत मिली. वह काराकाट से सांसद बने थे. केंद्र में राज्य मंत्री भी बने, लेकिन नीतीश के एनडीए में आने के बाद इनकी स्थिति लगातार कमजोर होती गई.
नीतीश के खिलाफ चलाया था अभियान
उपेंद्र कुशवाहा नीतीश कुमार के खिलाफ बिहार में शिक्षा को लेकर लगातार अभियान भी चलाते रहे. 2019 लोकसभा चुनाव से पहले एनडीए से अलग हो गए और महागठबंधन में शामिल हो गए लेकिन लोकसभा चुनाव में सफलता नहीं मिली. 2020 में हुए बिहार विधानसभा चुनाव में तीसरा मोर्चा का निर्माण किया और खुद मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार बन गए, लेकिन रालोसपा को एक भी सीट पर जीत नहीं मिली. उपेंद्र ने अपनी पार्टी रालोसपा का विलय जदयू में कराया और फिर से नीतीश कुमार के साथ हैं.
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