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'NRC के खिलाफ प्रस्ताव पारित होने से बिहार में होगा मुस्लिम वोटों का ध्रुवीकरण'

बिहार विधानसभा में एनआरसी और एनपीआर के खिलाफ प्रस्ताव पारित हो गया है. इसके बाद बिहार की सियासत तेज हो गई है. इस पूरे मसले पर जेडीयू, बीजेपी के नेताओं समेत पत्रकार ने अपनी राय दी है.

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Published : Feb 27, 2020, 11:01 PM IST

Updated : Feb 28, 2020, 3:56 AM IST

डिजाइन फोटो
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पटना: बिहार विधानसभा से एनआरसी के खिलाफ प्रस्ताव पारित हो गया है. एनडीए और बिहार की मुख्य विपक्षी पार्टी आरजेडी के साथ सर्व सम्मति के साथ इस प्रस्ताव को पास कराया गया. इसके बाद जाति के आधार पर जनगणना कराने का प्रस्ताव पारित किया गया. वहीं, इस जनगणना में 2010 वाले प्रारूप की मांग की गई है.

अब सवाल ये है कि आखिर ऐसी क्या जरूरत आ गई कि आनन-फानन में राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर के खिलाफ विधानसभा से प्रस्ताव पारित कराना पड़ा ? वह भी एनडीए सरकार द्वारा? कहीं यह नीतीश कुमार की आरजेडी से बढ़ती नजदीकी तो नहीं? इस पूरे मुद्दे पर ईटीवी भारत के ब्यूरो चीफ प्रवीण बागी ने जेडीयू के वरिष्ठ नेता डॉ. मधुरेंदु पांडे, बीजेपी के सुबोध पासवान और जाने-माने पत्रकार प्रियरंजन भारती से खास बातचीत की. पढ़ें बातचीत का खास अंश:-

क्या है JDU नेता की राय?
ईटीवी भारत के ब्यूरो चीफ प्रवीण बागी ने जेडीयू नेता डॉ. मधुरेंदु पांडे से बातचीत की. उन्होंने बिहार में जातिगत जनगणना और एनआरसी के खिलाफ प्रस्ताव पास किया गया. इसपर जेडीयू नेता से उनकी राय जानी.

सवाल- आखिर एनडीए को ऐसी क्या जरूरत पड़ी जो बिहार में एनआरसी, एनपीआर और जातिगत जनगणना 2010 प्रारूप के लिए प्रस्ताव पारित किया गया?

जवाब- एनपीआर 2010 के प्रारूप पर हो, इसमें कोई अचंभित होने की बात नहीं है. इसमें किसी को किसी प्रकार का कागजात दिखाने की जरूरत नहीं है. एनपीआर मुद्दे पर जिस तरह से भ्रम फैलाया गया, उसे दूर करने के लिए किया गया.

सवाल- एनआरसी के खिलाफ प्रस्ताव क्यों? जब पीएम ने इसका जिक्र किया कि एनआरसी पर अभी कोई चर्चा तक नहीं हुई.

जवाब- एनआरसी पर प्रस्ताव लाने का कारण था क्याोंकि विपक्ष ने एनआरसी को ही मुद्दा बना लिया था. सीएम नीतीश कुमार ने भी पीएम मोदी के एनआरसी पर स्पष्टीकरण का हवाला दिया. लेकिन विपक्ष ने भ्रम फैलाकर लोगों में डर का माहौल बना दिया था.

सवाल- जो लोग एनआरसी के खिलाफ में हैं, उसे जोड़ने की कवायद मानी जाए?

जवाब- ऐसा बिल्कुल नहीं है. ये कोई जनता को जोड़ने की कवायद नहीं है. प्रदेश का सीएम होने के नाते फर्ज बनता है कि नागरिकों को सुरक्षा प्रदान करें और जो भी भयभीत हैं, उन्हें बताए कि हमारा सही कदम क्या है.

सवाल- क्या इस प्रस्ताव के पारित होने से जेडीयू को मुस्लिम वोट बढ़ेगा या फिर आने वाले चुनाव में फायदा होगा?

जवाब- चुनाव तो बहुत दूर की बात है. सबसे पहले लोगों को सीएए के बारे में जान लेना चाहिए. साल 2003 में मनमोहन सिंह विरोधी दल के नेता थे तब ही ये तय हुआ था कि अगर इस्लामिक देशों से प्रताड़ित अल्पसंख्यक भारत में शरण लेना चाहे (सभी समुदाय सम्मलित) तब भारत को उदारता का परिचय देना पडे़गा.

सवाल- बड़ी संख्या में मुस्लिम लोग भारत आ रहे हैं. कहीं सरकार घबराकर ये कदम तो नहीं उठाया?

जवाब- ये कहना बिल्कुल गलत है. भारतीय मुसलमानों को किसी तरह का कोई खतरा नहीं है. सदन में प्रस्ताव पारित करने का ये मतलब नहीं कि हम लामबंद कर रहे हैं. इसका सिर्फ एक ही मतलब है कि लोगों में जो भय है उसे दूर करने का प्रयास है.

सवाल- जो भय है ही नहीं, उस भय को कैसे दूर किया जाएगा.

जवाब- विपक्ष ने पूरे देशभर में भय व्याप्त कर दिया. कुछ नहीं होने के बावजूद विपक्ष ने लोगों में कई तरह के भ्रम फैलाएं हैं, जैसे लोगों की नागरिकता छिन जाना आदि. उन सभी भ्रमों को दूर करते हुए सीएम नीतीश कुमार ने लोगों को आश्वस्त कर दिया है. जनगणना में किसी को भी कई कागजात दिखाने की जरूरत नहीं. है.

जेडीयू नेता डॉ. मधुरेंदु पांडे

क्या है BJP नेता सुबोध पासवान की राय?
इसके बाद ईटीवी भारत ब्यूरो चीफ प्रवीण बागी ने बीजेपी नेता सुबोध पासवान से बातचीत की और उनकी राय ली.

सवाल- विधानसभा से सीएए के खिलाफ जो प्रस्ताव पारित हुआ, क्या बीजेपी नेताओं को इसकी जानकारी नहीं थी?

जवाब- ऐसा कहना बिल्कुल गलत है. सम्मलित सरकार है और जो भी निर्णय हैं वो सभी के सहमति के बाद ही सदन के पटल पर आता है.

सवाल- एनआरसी पर जब पीएम मोदी ने स्पष्ट कर दिया फिर भी बिहार विधानसभा से प्रस्ताव पारित करना पार्टी की मर्यादाओं का उल्लंघन करना नहीं हुआ?

जवाब- पूरे देश में एनआरसी को लेकर भ्रम फैला हुआ है. पीएम मोदी और गृह मंत्री ने भी साफ कर दिया कि एनआरसी पर कोई चर्चा नहीं है. एनआरसी सिर्फ असम में लागू है. विपक्ष ने इसपर लोगों को भड़काने का काम किया है.

सवाल- कहीं कन्हैया कुमार के डर से ये प्रस्ताव तो नहीं लाया गया?

जवाब- कन्हैया कुमार बिहार से लेकर पूरे भारत में कोई फैक्टर ही नहीं है. ये महज इसलिए हुआ क्योंकि विपक्ष ने सीएए को लेकर सत्ता पक्ष को कटघरे में खड़ा किया, ये उसकी कवायद है.

सवाल- क्या ये प्रस्ताव चुनाव में फायदा पहुंचाएगा?

जवाब- बात चुनाव में फायदा और घाटा का नहीं है. जो सीएए और एनआरसी की सच्चाई है, उसे देश की जनता को जानना चाहिए.

बीजेपी नेता सुबोध पासवान

पत्रकार प्रियरंजन ने दी अपनी राय
जेडीयू नेता मधुरेंदु पांडे, बीजेपी के नेता सुबोध पासवान से चर्चा करने के बाद ईटीवी भारत के ब्यूरो चीफ प्रवीण बागी ने वरिष्ठ पत्रकार प्रियरंजन भारती से इस मुद्दे पर राय ली.

सवाल- एनआरसी पर प्रस्ताव तो पारित हो गया. लेकिन सीएए पर जिसकी मुखालफत आरजेडी भी करती रही. कई बार आरजेडी के बड़े नेता पटना में सीएए विरोध सभा में शामिल भी हुए. लेकिन विधानसभा में सीएए का सवाल उठने पर आरजेडी क्यों खामोश रही? कहीं ये आरजेडी और एनडीए में डील तो नहीं?

जवाब- अंडरस्टैंडिंग तो हो सकती है, जिससे बीजेपी चुप रहे. जातिगत जनगणना पर भी जिस तरह विधानसभा में अंतर्विरोध देखने को मिला, उससे कहीं न कहीं ये लगता है कि केंद्रीय बीजेपी और नीतीश कुमार में कुछ गुपचुप बातें हो सकती है.

सवाल- सीएए के खिलाफ तेजस्वी यादव क्यों रहे चुप?

जवाब- तेजस्वी यादव ने तो दो कदम आगे चलकर कहा कि अगर बीजेपी समर्थन वापस लेती है तो इस सरकार को हम अल्पमत में नहीं आने देंगे. खेल समझ लीजिए, नीतीश कुमार बीजेपी को डराने की कोशिश भी कर रहे है.

सवाल- सीएए को लेकर तेजस्वी की खामोशी हैरान करने वाली है?

जवाब- सीएए पर तेजस्वी यादव की चुप्पी नादानी हो सकती है. या फिर उनकी सहमति नीतीश कुमार के साथ हो सकती है. आने वाले समय में जिस तरह से तेजी से राजनीतिक ध्रुवीकरण बिहार में होगा ये उसका एक हिस्सा हो सकता है. तेजस्वी यादव को लग रहा होगा कि एनआरसी पर बीजेपी को हरा दिया. सीएए पर वो समझते हैं कि वो जनता को गुमराह कर रहे हैं और ज्यादा देर तक गुमराह कर के राजनीति नहीं कर सकते हैं.

सवाल- मुस्लिम वोटर जो एनडीए और नीतीश कुमार से खास नाराज हैं और इसका झुकाव दूसरे की ओर जाता दिख रहा है. कहीं उन्हें मनाने की कोशिश है या फिर कोई और राजनीति है?

जवाब- ये सारा खेल कुल मिलाकर मुस्लिम वोटों के ध्रुवीकरण का है. एक भ्रम की स्थिति पैदा की गई. चाहे वो एनआरसी, सीएए या फिर एनपीआर हो. अभी तक पूरे देश में लग रहा है जैसे कोई जलजला आ गया हो. नरेंद्र मोदी की सरकार ने कोई बहुत बड़ा काम नहीं किया है. जहां तक बात सीएए और एनआरसी के प्रस्ताव की है, ये तो पहले का है.

सवाल- जब एनआरसी लागू ही नहीं होना है तो एनआरसी का प्रस्ताव पारित करने की जरूरत ही क्यों पड़ी?

जवाब- ये मुस्लिम वोटों की ध्रुवीकरण का मामला है. उन्हें हम खुश कैसे करें और उन्हें लामबंद कैसे करें, इसपर प्रस्ताव पास कर दिखाने की कोशिश की जा रही है कि हम आपके साथ हैं.

सवाल- मुस्लिम वोटों को खुश करने की कवायद है?

जवाब- नरेंद्र मोदी के जितने भी विरोधी हैं. वे उस मुद्दे पर भ्रम फैला कर लामबंद हो रहे हैं. यहां तक कि नीतीश कुमार भी यही सोच रहे हैं कि कैसे इस सरकार के साथ रहकर उनपर दबाव बनाए. इस फिराक में हैं. इसका कारण है आने वाला विधानसभा चुनाव.

सवाल- इस प्रस्ताव के पास होने के बाद क्या मुस्लिम वोट एनडीए के पाले में जाएंगे?

जवाब- बहुत कम ही उम्मीद है कि मुसलमान जेडीयू के साथ जाने वाले हैं. दिल्ली में मुस्लिम शाहीन बाग के मसले के बाद अरविंद केजरीवाल के साथ जाने का काम किया है. उनके सामने दूसरा विकल्प है कि वे किसी और पार्टी की ओर जाए. ऐसे में कन्हैया कुमार के साथ जा सकते हैं. ये भी समझ लीजिए कि सारा खेल नरेंद्र मोदी को सत्ता से बेदखल करने के लिए किया जा रहा है.

पत्रकार प्रियरंजन भारती

पटना: बिहार विधानसभा से एनआरसी के खिलाफ प्रस्ताव पारित हो गया है. एनडीए और बिहार की मुख्य विपक्षी पार्टी आरजेडी के साथ सर्व सम्मति के साथ इस प्रस्ताव को पास कराया गया. इसके बाद जाति के आधार पर जनगणना कराने का प्रस्ताव पारित किया गया. वहीं, इस जनगणना में 2010 वाले प्रारूप की मांग की गई है.

अब सवाल ये है कि आखिर ऐसी क्या जरूरत आ गई कि आनन-फानन में राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर के खिलाफ विधानसभा से प्रस्ताव पारित कराना पड़ा ? वह भी एनडीए सरकार द्वारा? कहीं यह नीतीश कुमार की आरजेडी से बढ़ती नजदीकी तो नहीं? इस पूरे मुद्दे पर ईटीवी भारत के ब्यूरो चीफ प्रवीण बागी ने जेडीयू के वरिष्ठ नेता डॉ. मधुरेंदु पांडे, बीजेपी के सुबोध पासवान और जाने-माने पत्रकार प्रियरंजन भारती से खास बातचीत की. पढ़ें बातचीत का खास अंश:-

क्या है JDU नेता की राय?
ईटीवी भारत के ब्यूरो चीफ प्रवीण बागी ने जेडीयू नेता डॉ. मधुरेंदु पांडे से बातचीत की. उन्होंने बिहार में जातिगत जनगणना और एनआरसी के खिलाफ प्रस्ताव पास किया गया. इसपर जेडीयू नेता से उनकी राय जानी.

सवाल- आखिर एनडीए को ऐसी क्या जरूरत पड़ी जो बिहार में एनआरसी, एनपीआर और जातिगत जनगणना 2010 प्रारूप के लिए प्रस्ताव पारित किया गया?

जवाब- एनपीआर 2010 के प्रारूप पर हो, इसमें कोई अचंभित होने की बात नहीं है. इसमें किसी को किसी प्रकार का कागजात दिखाने की जरूरत नहीं है. एनपीआर मुद्दे पर जिस तरह से भ्रम फैलाया गया, उसे दूर करने के लिए किया गया.

सवाल- एनआरसी के खिलाफ प्रस्ताव क्यों? जब पीएम ने इसका जिक्र किया कि एनआरसी पर अभी कोई चर्चा तक नहीं हुई.

जवाब- एनआरसी पर प्रस्ताव लाने का कारण था क्याोंकि विपक्ष ने एनआरसी को ही मुद्दा बना लिया था. सीएम नीतीश कुमार ने भी पीएम मोदी के एनआरसी पर स्पष्टीकरण का हवाला दिया. लेकिन विपक्ष ने भ्रम फैलाकर लोगों में डर का माहौल बना दिया था.

सवाल- जो लोग एनआरसी के खिलाफ में हैं, उसे जोड़ने की कवायद मानी जाए?

जवाब- ऐसा बिल्कुल नहीं है. ये कोई जनता को जोड़ने की कवायद नहीं है. प्रदेश का सीएम होने के नाते फर्ज बनता है कि नागरिकों को सुरक्षा प्रदान करें और जो भी भयभीत हैं, उन्हें बताए कि हमारा सही कदम क्या है.

सवाल- क्या इस प्रस्ताव के पारित होने से जेडीयू को मुस्लिम वोट बढ़ेगा या फिर आने वाले चुनाव में फायदा होगा?

जवाब- चुनाव तो बहुत दूर की बात है. सबसे पहले लोगों को सीएए के बारे में जान लेना चाहिए. साल 2003 में मनमोहन सिंह विरोधी दल के नेता थे तब ही ये तय हुआ था कि अगर इस्लामिक देशों से प्रताड़ित अल्पसंख्यक भारत में शरण लेना चाहे (सभी समुदाय सम्मलित) तब भारत को उदारता का परिचय देना पडे़गा.

सवाल- बड़ी संख्या में मुस्लिम लोग भारत आ रहे हैं. कहीं सरकार घबराकर ये कदम तो नहीं उठाया?

जवाब- ये कहना बिल्कुल गलत है. भारतीय मुसलमानों को किसी तरह का कोई खतरा नहीं है. सदन में प्रस्ताव पारित करने का ये मतलब नहीं कि हम लामबंद कर रहे हैं. इसका सिर्फ एक ही मतलब है कि लोगों में जो भय है उसे दूर करने का प्रयास है.

सवाल- जो भय है ही नहीं, उस भय को कैसे दूर किया जाएगा.

जवाब- विपक्ष ने पूरे देशभर में भय व्याप्त कर दिया. कुछ नहीं होने के बावजूद विपक्ष ने लोगों में कई तरह के भ्रम फैलाएं हैं, जैसे लोगों की नागरिकता छिन जाना आदि. उन सभी भ्रमों को दूर करते हुए सीएम नीतीश कुमार ने लोगों को आश्वस्त कर दिया है. जनगणना में किसी को भी कई कागजात दिखाने की जरूरत नहीं. है.

जेडीयू नेता डॉ. मधुरेंदु पांडे

क्या है BJP नेता सुबोध पासवान की राय?
इसके बाद ईटीवी भारत ब्यूरो चीफ प्रवीण बागी ने बीजेपी नेता सुबोध पासवान से बातचीत की और उनकी राय ली.

सवाल- विधानसभा से सीएए के खिलाफ जो प्रस्ताव पारित हुआ, क्या बीजेपी नेताओं को इसकी जानकारी नहीं थी?

जवाब- ऐसा कहना बिल्कुल गलत है. सम्मलित सरकार है और जो भी निर्णय हैं वो सभी के सहमति के बाद ही सदन के पटल पर आता है.

सवाल- एनआरसी पर जब पीएम मोदी ने स्पष्ट कर दिया फिर भी बिहार विधानसभा से प्रस्ताव पारित करना पार्टी की मर्यादाओं का उल्लंघन करना नहीं हुआ?

जवाब- पूरे देश में एनआरसी को लेकर भ्रम फैला हुआ है. पीएम मोदी और गृह मंत्री ने भी साफ कर दिया कि एनआरसी पर कोई चर्चा नहीं है. एनआरसी सिर्फ असम में लागू है. विपक्ष ने इसपर लोगों को भड़काने का काम किया है.

सवाल- कहीं कन्हैया कुमार के डर से ये प्रस्ताव तो नहीं लाया गया?

जवाब- कन्हैया कुमार बिहार से लेकर पूरे भारत में कोई फैक्टर ही नहीं है. ये महज इसलिए हुआ क्योंकि विपक्ष ने सीएए को लेकर सत्ता पक्ष को कटघरे में खड़ा किया, ये उसकी कवायद है.

सवाल- क्या ये प्रस्ताव चुनाव में फायदा पहुंचाएगा?

जवाब- बात चुनाव में फायदा और घाटा का नहीं है. जो सीएए और एनआरसी की सच्चाई है, उसे देश की जनता को जानना चाहिए.

बीजेपी नेता सुबोध पासवान

पत्रकार प्रियरंजन ने दी अपनी राय
जेडीयू नेता मधुरेंदु पांडे, बीजेपी के नेता सुबोध पासवान से चर्चा करने के बाद ईटीवी भारत के ब्यूरो चीफ प्रवीण बागी ने वरिष्ठ पत्रकार प्रियरंजन भारती से इस मुद्दे पर राय ली.

सवाल- एनआरसी पर प्रस्ताव तो पारित हो गया. लेकिन सीएए पर जिसकी मुखालफत आरजेडी भी करती रही. कई बार आरजेडी के बड़े नेता पटना में सीएए विरोध सभा में शामिल भी हुए. लेकिन विधानसभा में सीएए का सवाल उठने पर आरजेडी क्यों खामोश रही? कहीं ये आरजेडी और एनडीए में डील तो नहीं?

जवाब- अंडरस्टैंडिंग तो हो सकती है, जिससे बीजेपी चुप रहे. जातिगत जनगणना पर भी जिस तरह विधानसभा में अंतर्विरोध देखने को मिला, उससे कहीं न कहीं ये लगता है कि केंद्रीय बीजेपी और नीतीश कुमार में कुछ गुपचुप बातें हो सकती है.

सवाल- सीएए के खिलाफ तेजस्वी यादव क्यों रहे चुप?

जवाब- तेजस्वी यादव ने तो दो कदम आगे चलकर कहा कि अगर बीजेपी समर्थन वापस लेती है तो इस सरकार को हम अल्पमत में नहीं आने देंगे. खेल समझ लीजिए, नीतीश कुमार बीजेपी को डराने की कोशिश भी कर रहे है.

सवाल- सीएए को लेकर तेजस्वी की खामोशी हैरान करने वाली है?

जवाब- सीएए पर तेजस्वी यादव की चुप्पी नादानी हो सकती है. या फिर उनकी सहमति नीतीश कुमार के साथ हो सकती है. आने वाले समय में जिस तरह से तेजी से राजनीतिक ध्रुवीकरण बिहार में होगा ये उसका एक हिस्सा हो सकता है. तेजस्वी यादव को लग रहा होगा कि एनआरसी पर बीजेपी को हरा दिया. सीएए पर वो समझते हैं कि वो जनता को गुमराह कर रहे हैं और ज्यादा देर तक गुमराह कर के राजनीति नहीं कर सकते हैं.

सवाल- मुस्लिम वोटर जो एनडीए और नीतीश कुमार से खास नाराज हैं और इसका झुकाव दूसरे की ओर जाता दिख रहा है. कहीं उन्हें मनाने की कोशिश है या फिर कोई और राजनीति है?

जवाब- ये सारा खेल कुल मिलाकर मुस्लिम वोटों के ध्रुवीकरण का है. एक भ्रम की स्थिति पैदा की गई. चाहे वो एनआरसी, सीएए या फिर एनपीआर हो. अभी तक पूरे देश में लग रहा है जैसे कोई जलजला आ गया हो. नरेंद्र मोदी की सरकार ने कोई बहुत बड़ा काम नहीं किया है. जहां तक बात सीएए और एनआरसी के प्रस्ताव की है, ये तो पहले का है.

सवाल- जब एनआरसी लागू ही नहीं होना है तो एनआरसी का प्रस्ताव पारित करने की जरूरत ही क्यों पड़ी?

जवाब- ये मुस्लिम वोटों की ध्रुवीकरण का मामला है. उन्हें हम खुश कैसे करें और उन्हें लामबंद कैसे करें, इसपर प्रस्ताव पास कर दिखाने की कोशिश की जा रही है कि हम आपके साथ हैं.

सवाल- मुस्लिम वोटों को खुश करने की कवायद है?

जवाब- नरेंद्र मोदी के जितने भी विरोधी हैं. वे उस मुद्दे पर भ्रम फैला कर लामबंद हो रहे हैं. यहां तक कि नीतीश कुमार भी यही सोच रहे हैं कि कैसे इस सरकार के साथ रहकर उनपर दबाव बनाए. इस फिराक में हैं. इसका कारण है आने वाला विधानसभा चुनाव.

सवाल- इस प्रस्ताव के पास होने के बाद क्या मुस्लिम वोट एनडीए के पाले में जाएंगे?

जवाब- बहुत कम ही उम्मीद है कि मुसलमान जेडीयू के साथ जाने वाले हैं. दिल्ली में मुस्लिम शाहीन बाग के मसले के बाद अरविंद केजरीवाल के साथ जाने का काम किया है. उनके सामने दूसरा विकल्प है कि वे किसी और पार्टी की ओर जाए. ऐसे में कन्हैया कुमार के साथ जा सकते हैं. ये भी समझ लीजिए कि सारा खेल नरेंद्र मोदी को सत्ता से बेदखल करने के लिए किया जा रहा है.

पत्रकार प्रियरंजन भारती
Last Updated : Feb 28, 2020, 3:56 AM IST
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