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लोकतंत्र कायम रखने का जज्बा: 92 साल की उम्र में वोट देने पहुंचे त्रिपुरा के पूर्व गवर्नर - लोकसभा चुनाव

2019 के सातवें चरण में मतदान के बाबत पूर्व राज्यपाल सिद्धेश्वर प्रसाद ने कहा कि अब चुनाव में धनबल कि ज्यादा डिमांड हो गई है. हर तरफ चुनाव में करोड़ों खर्च किये जा रहे हैं.

पूर्व राज्यपाल सिद्धेश्वर प्रसाद
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Published : May 19, 2019, 2:30 PM IST

पटना: लोकसभा चुनाव में मतदान करने का जज्बा बुजुर्गों में भी काफी देखने को मिल रहा है. लोकतंत्र की ताकत ही है कि इतनी गर्मी में भी बुजुर्ग अपने मत का महत्व समझते हुए वोट करने निकल रहे हैं. कभी त्रिपुरा के राज्यपाल रहे प्रोफेसर सिद्धेश्वर प्रसाद ने भी 92 साल की उम्र में सातवें चरण में मतदान किया.

त्रिपुरा के पूर्व राज्यपाल ने पटना के कुम्हार विधानसभा के बूथ संख्या 341 पर मतदान किया. इस बीच उन्होंने ईटीवी भारत संवाददाता से बात भी की. उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन का जिक्र करते हुए बताया कि वह प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के संसदीय टीम के सबसे युवा सांसद थे. सन् 1962 में पहली बार नालंदा लोकसभा में वह सबसे अधिक मतों से चुनाव जीते थे. उन्होंने बताया कि उस चुनाव में उन्होंने महज चार हजार रूपये खर्च किए थे.

मतदान के बाद बोले त्रिपुरा के पूर्व राज्यपाल

'पहले चुनाव में धन-बल का प्रयोग नहीं होता था'
प्रोफेसर सिद्धेश्वर प्रसाद कहते हैं कि उन दिनों चुनाव आज की तरह नहीं हुआ करते थे. 2019 के सातवें चरण में मतदान के बारे में उन्होंने कहा कि अब चुनाव में धनबल कि ज्यादा डिमांड हो गई है. हर तरफ चुनाव में करोड़ों खर्च किये जा रहे हैं. एक समय था कि चुनाव आते ही गांव में पर्व का माहौल रहता था और गांव के सभी लोग नए-नए कपड़े पहनकर वोट देने जाते थे. उस दौरान पैसे का कोई खेल नहीं होता था.

भारत लोकतंत्र की मिसाल है
पूर्व राज्यपाल सिद्धेश्वर प्रसाद ने कहा कि आज के युवाओं को लोकतंत्र के इस महापर्व में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेना चाहिए. ताकि समाज और देश निर्माण में भागीदारी दर्ज हो. उन्होंने कहा दुनिया के जितने देश हैं, उसमें भारत ही एक ऐसा है, जहां लोकतंत्र की खूबसूरती देखते ही बनती है. यहां महिला-पुरुषों को बराबरी का हक है और दोनों मिलकर वोट देते हैं.

पटना: लोकसभा चुनाव में मतदान करने का जज्बा बुजुर्गों में भी काफी देखने को मिल रहा है. लोकतंत्र की ताकत ही है कि इतनी गर्मी में भी बुजुर्ग अपने मत का महत्व समझते हुए वोट करने निकल रहे हैं. कभी त्रिपुरा के राज्यपाल रहे प्रोफेसर सिद्धेश्वर प्रसाद ने भी 92 साल की उम्र में सातवें चरण में मतदान किया.

त्रिपुरा के पूर्व राज्यपाल ने पटना के कुम्हार विधानसभा के बूथ संख्या 341 पर मतदान किया. इस बीच उन्होंने ईटीवी भारत संवाददाता से बात भी की. उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन का जिक्र करते हुए बताया कि वह प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के संसदीय टीम के सबसे युवा सांसद थे. सन् 1962 में पहली बार नालंदा लोकसभा में वह सबसे अधिक मतों से चुनाव जीते थे. उन्होंने बताया कि उस चुनाव में उन्होंने महज चार हजार रूपये खर्च किए थे.

मतदान के बाद बोले त्रिपुरा के पूर्व राज्यपाल

'पहले चुनाव में धन-बल का प्रयोग नहीं होता था'
प्रोफेसर सिद्धेश्वर प्रसाद कहते हैं कि उन दिनों चुनाव आज की तरह नहीं हुआ करते थे. 2019 के सातवें चरण में मतदान के बारे में उन्होंने कहा कि अब चुनाव में धनबल कि ज्यादा डिमांड हो गई है. हर तरफ चुनाव में करोड़ों खर्च किये जा रहे हैं. एक समय था कि चुनाव आते ही गांव में पर्व का माहौल रहता था और गांव के सभी लोग नए-नए कपड़े पहनकर वोट देने जाते थे. उस दौरान पैसे का कोई खेल नहीं होता था.

भारत लोकतंत्र की मिसाल है
पूर्व राज्यपाल सिद्धेश्वर प्रसाद ने कहा कि आज के युवाओं को लोकतंत्र के इस महापर्व में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेना चाहिए. ताकि समाज और देश निर्माण में भागीदारी दर्ज हो. उन्होंने कहा दुनिया के जितने देश हैं, उसमें भारत ही एक ऐसा है, जहां लोकतंत्र की खूबसूरती देखते ही बनती है. यहां महिला-पुरुषों को बराबरी का हक है और दोनों मिलकर वोट देते हैं.

Intro: वोट देने का जज्बा:--
त्रिपुरा के राज्यपाल रहे प्रोफेसर सिद्वेश्वर प्रसाद ने दिया वोट
कुम्हार विधानसभा के बुथ संख्या 341 पर किये वोट
92 साल के उम्र में भी है वोट देने का जज्बा


Body: बात उन दिनों की जब प्रोफेसर सिद्वेश्वर प्रसाद प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के संसदीय टीम के सबसे युवा सांसद थे,सन् 1962 में पहली बार नालंदा लोकसभा से सबसे अधिक मतो से चुनाव जिते थे,महज चार हजार रूपये खर्च कर चुनाव जिते थे

बहरहाल आज के हो रहे चुनाव में सिद्वेश्वर प्रसाद ने कहा कि अब चुनाव में धनबल कि ज्यादा डिमांड हो गई है,हर तरफ चुनाव में करोडों खर्च किये जा रहे है,एक समय था कि चुनाव आते ही गांव में पर्व का माहौल रहता था और गांव के सभी लोग नये नये कपडे पहन कर बुथ कर वोट देने जाते थे,पैसा का कोई खेल नहीं होता था,
पूर्व राज्यपाल सिद्धेश्वर प्रसाद ने कहा कि आज के युवाओं को लोकतंत्र के इस महापर्व मे बढ चढ कर समाज और देश निर्माण में अपनी भागीदारी निभाये


Conclusion:प्रोफेसर सिद्वेश्वर प्रसाद केंद्र और राज्य सरकार के तकरीबन बिस विभागो के मंत्री रहे है उसके बाद त्रिपुरा में 1995 में राज्यपाल बने और 2001 में सेवानिवृत्त हुए

उन्होने कहा दुनियाभर के जितने भी देश है उसमें भारत ही एक ऐसा देश है जसमे लोकतंत्र कि खुबसुरती देखते बनती है,जहाँ महिला पुरुषो को बराबरी का हक मिलता है और दोनो मिलकर वोट देते है,अमरीका जैसे शक्तिशाली देश मे आज भी महिलाओं पर कई की पाबंदी है


स्पेशल इंटरव्यू
प्रोफेसर सिद्वेश्वर प्रसाद
राज्यपाल, त्रिपुरा
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