पटना: भगवान राम के अस्तित्व को नहीं मानने संबंधी बयान से चर्चा में आये बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी (Jitan Ram Manjhi Statement on God Ram) ने बुधवार को कहा कि मैं अपने बयान पर 200 प्रतिशत कायम हूं. विधान परिषद के एक सीट के लिए हो रहे उपचुनाव के लिए एनडीए की प्रत्याशी रोजीना नाजिश (NDA Candidate Rozina Najish) के नामांकन में शामिल होने आए हम पार्टी के प्रमुख ने ये बातें कहीं.
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जीतन राम मांझी ने कहा, 'देखने का अपना-अपना नजरिया है. मैं अपने बयान पर एकदम कायम हूं. 100 नहीं 200 प्रतिशत कायम हूं. रामायण महाकाव्य है. उसमें बहुत सी सूक्तियां हैं. जैसे हितोपदेश में मूर्ख राजा के बेटा को कहानी कहकर नीति निरूपित किया गया है. उन्हें प्रकाण्ड विद्वान बनाया गया है. इसी हिस्से में रामायण है. रामायण में बहुत अच्छी-अच्छी बातें हैं. उन बातों को मानना चाहिए. किसी को नायक और नायिका बनाकर ये बातें कहीं गईं हैं.'
"कौन मेरे विषय में क्या कहता है मुझे इससे कोई लेना-देना नहीं है. यह आस्था का विषय है, लेकिन जिस रूप में लोग राम को मानते हैं मैं उस रूप में नहीं मानता हूं. रामायण में कई अशुद्धियां हैं. राम पर विश्वास करना अपनी-अपनी आस्था की बात है. कोई भगवान को मानता है तो कोई प्रकृति को मानता है. कई लोग अपने कर्तव्य को सबसे बड़ा मानते हैं."- जीतन राम मांझी, पूर्व मुख्यमंत्री
दरअसल, भगवान राम को लेकर दिए गए विवादित बयान के बाद जीतन राम मांझी पर भारतीय जनता पार्टी के नेता लगातार हमला कर रहे हैं. बीजेपी के विधायक हरि भूषण ठाकुर बचौल (Hari Bhushan Thakur Bachaul) ने कहा है कि मांझी हमारे गार्जियन हैं लेकिन जिस तरह का बयान उन्होंने दिया है, वह अच्छी बात नहीं है. उन्होंने कहा कि उनके माता-पिता ने भगवान राम के अस्तित्व को समझकर ही उनके नाम के साथ राम लगाया था. जब यह बात मांझी नहीं जानते हैं तो उनका नाम जीतन राम मांझी के बदले जीतन राक्षस मांझी होना चाहिए था.
बता दें कि जीतन राम मांझी ने प्रभु राम के अस्तित्व को काल्पनिक बताते हुए कहा था कि श्री राम कोई जीवित और महापुरुष थे, ऐसा मैं नहीं मानता हूं. हालांकि रामायण कहानी में जो बातें बताई गईं हैं, वो सीखने लायक हैं. महिलाओं की बात हो या फिर अपने से बड़ों के आदर और सम्मान की बात हो, रामायण हमें शिक्षा देती है.
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