पटना: नरेंद्र मोदी की नेतृत्व वाली सरकार ने साल 2023-24 के लिए आम बजट पेश (union budget of india) कर दिया. बजट के जरिए सरकार ने आगामी वर्ष के विकास की रूपरेखा भी तय कर दी. बजट का आकार 39 लाख करोड़ से बढ़कर 45 लाख करोड़ का हो गया. बिहार जैसे राज्यों को भी बजट से काफी उम्मीदें थी. एक ओर जहां स्पेशल स्टेटस को लेकर लंबे समय से बहस चल रही थी, तो दूसरी तरफ बिहार स्पेशल पैकेज की उम्मीद थी.
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किसानों पर पड़ेगा असर: एन सिन्हा संस्थान के प्राध्यापक डॉ विद्यार्थी विकास का मानना है कि इस बार बजट के आकार में बढ़ोतरी हुई है, ये अच्छे संकेत हैं. वर्तमान चुनौतियों से निपटने के लिए जो प्रयास किए जाने चाहिए थे, वह बजट में नहीं दिख रहा है. खाद की सब्सिडी कम कर दी गई है. इसका सीधा असर किसानों पर पड़ेगा. सरकार ने यूजीसी के बजट में भी कमी की है.
बिहार के लिए बहुत कुछ नहींः अर्थशास्त्री डॉ अमित बख्शी का मानना है कि बजट में बिहार के लिए बहुत कुछ नहीं है. स्पेशल स्टेटस की उम्मीद राज्य वासियों को लंबे समय से है. इसके अलावा 20000 करोड़ की राशि राज्य सरकार की मांग थी, उसका प्रावधान भी नहीं किया गया. बजट से महंगाई पर काबू पाना आसान नहीं होगा. एन सिन्हा के प्राध्यापक डॉक्टर अविरल पांडे का मानना है कि बजट के जरिए केंद्र सरकार ने रोजगार के अवसर पैदा हो इसकी कोशिश की गई है. इसके अलावा डिजिटाइजेशन के जरिए भी रोजगार के अवसर पैदा किए जा सकते हैं.
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आम लोगों की उम्मीदें पूरी नहीं: अर्थशास्त्री डॉ वरना गांगुली का मानना है कि बजट से आम लोगों की उम्मीदें पूरी नहीं हुई है कमरतोड़ महंगाई से राहत मिलने की संभावना नहीं है. महिलाओं को भी अतिरिक्त उम्मीदें थी जो बजट से पूरी होती नहीं दिख रही है. कुल मिलाकर लोकलुभावन बजट है. टैक्स स्लैब में छूट के जरिए अर्थव्यवस्था में सरकार की योजना ताकत देने की है.
"बजट में बिहार के लिए बहुत कुछ नहीं है. स्पेशल स्टेटस की उम्मीद राज्य वासियों को लंबे समय से है. इसके अलावा 20000 करोड़ की राशि राज्य सरकार की मांग थी, उसका प्रावधान भी नहीं किया गया"- डॉ अमित बख्शी, अर्थशास्त्री