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Bihar Education System: शिक्षाविद ने केके पाठक पर उठाए सवाल, बोले- 'लक्ष्मण रेखा की मर्यादा रखना जरूरी' - अपर मुख्य सचिव केके पाठक

बिहार शिक्षा विभाग और राजभवन पटना के बीच टकराव पर शिक्षाविद की प्रतिक्रिया ने अपनी प्रतिक्रिया दी है. सभी ने एक ही जबाव दिया. कहा कि केके पाठक को अपनी मर्यादा समझने की जरूरत है. उन्हें पता होना चाहिए कि लक्ष्मण रेखा कहां है. पढ़ें पूरी खबर...

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Published : Aug 20, 2023, 6:13 AM IST

बिहार शिक्षा विभाग और राजभवन के बीच टकराव

पटनाः बिहार में शिक्षा विभाग और राजभवन के बीच टकराव का मामला तूल पकड़ लिया है. इसको लेकर सियासत भी शुरू हो गई है. इस मामले में बिहार के शिक्षाविद से जब राय ली गई तो उन्होंने कहा कि केके पाठक को अपनी लक्ष्मण रेखा को समझना चाहिए. शिक्षाविद के बयानों से लगता है कि केके पाठक अपनी मनमानी कर रहे हैं.

यह भी पढ़ेंः Bihar Education System: बोरा बेचना है तो शिक्षक.. कबाड़ बेचना है तो शिक्षक.. शराब पकड़ना है तो शिक्षक.. आखिर कितना काम करेंगे?

पहले भी ऐसी कार्रवाई कर चुके है पाठकः पटना विवि के पूर्व कुलपति प्रो. रासबिहारी सिंह ने कहा कि पूर्व में केके पाठक ऐसा कर रहे हैं. 2008 में केके पाठक शिक्षा विभाग के स्पेशल सचिव बने थे. उस समय भी पटना विवि के तत्कालीन वीसी के वेतन पर रोक लगा दी थी. उन्होंने कहा कि बिहार विवि के कुलपति और प्रति कुलपति को बैठक में शामिल होना चाहिए था. नहीं पहुंचने पर इसकी जानकारी देनी चाहिए थी. लेकिन, केके पाठक की कार्रवाई अधिकार क्षेत्र से बाहर है.

"केके पाठक ने यह कार्रवाई अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर किए हैं. इस कार्रवाई के लिए वह राजभवन में कुलाधिपति को अनुशंसा कर सकते थे. इससे पहले भी केके पाठक पटना विवि के वीसी पर रोक लगाई थी. 2008 में केके पाठक शिक्षा विभाग के स्पेशल सचिव बने थे." -प्रो. रासबिहारी सिंह, पूर्व कुलपति, पटना विवि

'केके पाठक को अधिकार नहीं' इधर, पटना विवि टीचर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष प्रोफेसर डॉ अभय कुमार ने भी केके पाठक को गलत बताया. उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय ऑटोनॉमस बॉडी है. और विश्वविद्यालय के कुलपति और प्रति कुलपति को बैठक के लिए राज्यपाल, मुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री ही बुला सकते हैं. अपर मुख्य सचिव को कुलपति को बैठक में बुलाने का अधिकार नहीं है. बैठक की अध्यक्षता शिक्षा मंत्री कर रहे हैं तो कुलपति और प्रति कुलपति को बुलाया जा सकता है.

"केके पाठक ने विश्वविद्यालय की स्वायत्तता पर हमला बोलने का काम किया है. केके पाठक को कोई अधिकार नहीं है कि विवि के कुलपति को बैठक में बुलाई जाए. ये सिर्फ राज्यपाल, सीएम और शिक्षा मंत्री को अधिकार है. अगर शिक्षा मंत्री बैठक की अध्यक्षता करते तो बैठक में बुलाई जा सकती थी." -डॉ अभय कुमार, अध्यक्ष, पटना विवि टीचर्स एसो.

'मर्यादा समझने की जरूरत': दूसरी ओर भाजपा के नेता भी केके पाठक के इस निर्देश को गलत बता रहे हैं. उन्होंने कहा कि केके पाठक को अपनी मर्यादा समझने की जरूरत है. राजभवन के अधिकार क्षेत्र में बेवजह हस्तक्षेप से राजभवन और शिक्षा विभाग के बीच तकरार बढ़ेगा. इससे शिक्षा की व्यवस्था खराब होगी. शिक्षा विभाग के पास सिर्फ विश्वविद्यालय का ऑडिट करने का अधिकार है. बांकी राज्यपाल के जिम्मे आता है.

"बिहार राज्य विवि अधिनियम 1976 के अनुरूप शिक्षा विभाग सिर्फ विवि का ऑडिट कर सकता है. ऑडिट के आधार पर राजभवन को कार्रवाई की अनुशंसा कर सकता है. अपर मुख्य सचिव को अपना दायरा समझना चाहिए. उन्हें समझना चाहिए कि उनकी लक्ष्मण रेखा कहां तक है. मनमानी करने से इससे शिक्षा की व्यवस्था खराब होगी." -संजय टाइगर, भाजपा के पूर्व विधायक सह प्रवक्ता

क्या है मामलाः दरअसल, शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक ने बीते दिनों बिहार के विवि के कुलपति और प्रति कुलपति की बैठक बुलाई, जिसमें बिहार विश्वविद्यालय मुजफ्फरपुर के कुलपति और प्रति कुलपति नहीं पहुंचे. नाराज केके पाठक ने कुलपति और प्रति कुलपति का वेतन रोक दिया. उनके वित्तीय अधिकार पर रोक लगा दी. जैसे ही यह मामला प्रकाश में आया 24 घंटे के भीतर राजभवन की ओर से केके पाठक के आदेश पर रोक लगा दिया गया. बिहार विवि के कुलपति और प्रतिकूलपति के वेतन को बहाल करने के साथ-साथ उनके वित्तीय अधिकार भी बहाल कर दिए गए.

विवि का ऑडिट कराने के लिए विभाग तैयारः इसी के बाद से विवाद गहरा गया है. बहरहाल शिक्षा विभाग राजभवन से अपनी तकरार को खत्म करने के मूड में नजर नहीं आ रहा. शनिवार देर शाम शिक्षा विभाग के सचिव वैद्यनाथ यादव की ओर से पत्र जारी किया गया कि शिक्षा विभाग अब बिहार राज्य विश्वविद्यालय अधिनियम 1976 की धारा 54 के तहत बिहार के सभी विश्वविद्यालयों का ऑडिट करेगा. इसके लिए शिक्षा विभाग ने दो सदस्यीय ऑडिट टीम का गठन भी कर दिया है.

पहले भी हुई है टकरारः बताते चलें कि इससे पहले न्यू एजुकेशन पॉलिसी को विश्वविद्यालय में लागू करने के समय राजभवन और शिक्षा विभाग में तकरार देखने को मिली थी. शिक्षा विभाग ने आदेश जारी कर कहा था कि इस शैक्षणिक सत्र से न्यू एजुकेशन पॉलिसी लागू नहीं होगा लेकिन इसके तुरंत बाद राज भवन ने स्पष्ट निर्देश जारी कर दिया कि बिहार की विश्वविद्यालय में इसी सत्र से न्यू एजुकेशन पॉलिसी लागू होगी.

बिहार शिक्षा विभाग और राजभवन के बीच टकराव

पटनाः बिहार में शिक्षा विभाग और राजभवन के बीच टकराव का मामला तूल पकड़ लिया है. इसको लेकर सियासत भी शुरू हो गई है. इस मामले में बिहार के शिक्षाविद से जब राय ली गई तो उन्होंने कहा कि केके पाठक को अपनी लक्ष्मण रेखा को समझना चाहिए. शिक्षाविद के बयानों से लगता है कि केके पाठक अपनी मनमानी कर रहे हैं.

यह भी पढ़ेंः Bihar Education System: बोरा बेचना है तो शिक्षक.. कबाड़ बेचना है तो शिक्षक.. शराब पकड़ना है तो शिक्षक.. आखिर कितना काम करेंगे?

पहले भी ऐसी कार्रवाई कर चुके है पाठकः पटना विवि के पूर्व कुलपति प्रो. रासबिहारी सिंह ने कहा कि पूर्व में केके पाठक ऐसा कर रहे हैं. 2008 में केके पाठक शिक्षा विभाग के स्पेशल सचिव बने थे. उस समय भी पटना विवि के तत्कालीन वीसी के वेतन पर रोक लगा दी थी. उन्होंने कहा कि बिहार विवि के कुलपति और प्रति कुलपति को बैठक में शामिल होना चाहिए था. नहीं पहुंचने पर इसकी जानकारी देनी चाहिए थी. लेकिन, केके पाठक की कार्रवाई अधिकार क्षेत्र से बाहर है.

"केके पाठक ने यह कार्रवाई अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर किए हैं. इस कार्रवाई के लिए वह राजभवन में कुलाधिपति को अनुशंसा कर सकते थे. इससे पहले भी केके पाठक पटना विवि के वीसी पर रोक लगाई थी. 2008 में केके पाठक शिक्षा विभाग के स्पेशल सचिव बने थे." -प्रो. रासबिहारी सिंह, पूर्व कुलपति, पटना विवि

'केके पाठक को अधिकार नहीं' इधर, पटना विवि टीचर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष प्रोफेसर डॉ अभय कुमार ने भी केके पाठक को गलत बताया. उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय ऑटोनॉमस बॉडी है. और विश्वविद्यालय के कुलपति और प्रति कुलपति को बैठक के लिए राज्यपाल, मुख्यमंत्री और शिक्षा मंत्री ही बुला सकते हैं. अपर मुख्य सचिव को कुलपति को बैठक में बुलाने का अधिकार नहीं है. बैठक की अध्यक्षता शिक्षा मंत्री कर रहे हैं तो कुलपति और प्रति कुलपति को बुलाया जा सकता है.

"केके पाठक ने विश्वविद्यालय की स्वायत्तता पर हमला बोलने का काम किया है. केके पाठक को कोई अधिकार नहीं है कि विवि के कुलपति को बैठक में बुलाई जाए. ये सिर्फ राज्यपाल, सीएम और शिक्षा मंत्री को अधिकार है. अगर शिक्षा मंत्री बैठक की अध्यक्षता करते तो बैठक में बुलाई जा सकती थी." -डॉ अभय कुमार, अध्यक्ष, पटना विवि टीचर्स एसो.

'मर्यादा समझने की जरूरत': दूसरी ओर भाजपा के नेता भी केके पाठक के इस निर्देश को गलत बता रहे हैं. उन्होंने कहा कि केके पाठक को अपनी मर्यादा समझने की जरूरत है. राजभवन के अधिकार क्षेत्र में बेवजह हस्तक्षेप से राजभवन और शिक्षा विभाग के बीच तकरार बढ़ेगा. इससे शिक्षा की व्यवस्था खराब होगी. शिक्षा विभाग के पास सिर्फ विश्वविद्यालय का ऑडिट करने का अधिकार है. बांकी राज्यपाल के जिम्मे आता है.

"बिहार राज्य विवि अधिनियम 1976 के अनुरूप शिक्षा विभाग सिर्फ विवि का ऑडिट कर सकता है. ऑडिट के आधार पर राजभवन को कार्रवाई की अनुशंसा कर सकता है. अपर मुख्य सचिव को अपना दायरा समझना चाहिए. उन्हें समझना चाहिए कि उनकी लक्ष्मण रेखा कहां तक है. मनमानी करने से इससे शिक्षा की व्यवस्था खराब होगी." -संजय टाइगर, भाजपा के पूर्व विधायक सह प्रवक्ता

क्या है मामलाः दरअसल, शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक ने बीते दिनों बिहार के विवि के कुलपति और प्रति कुलपति की बैठक बुलाई, जिसमें बिहार विश्वविद्यालय मुजफ्फरपुर के कुलपति और प्रति कुलपति नहीं पहुंचे. नाराज केके पाठक ने कुलपति और प्रति कुलपति का वेतन रोक दिया. उनके वित्तीय अधिकार पर रोक लगा दी. जैसे ही यह मामला प्रकाश में आया 24 घंटे के भीतर राजभवन की ओर से केके पाठक के आदेश पर रोक लगा दिया गया. बिहार विवि के कुलपति और प्रतिकूलपति के वेतन को बहाल करने के साथ-साथ उनके वित्तीय अधिकार भी बहाल कर दिए गए.

विवि का ऑडिट कराने के लिए विभाग तैयारः इसी के बाद से विवाद गहरा गया है. बहरहाल शिक्षा विभाग राजभवन से अपनी तकरार को खत्म करने के मूड में नजर नहीं आ रहा. शनिवार देर शाम शिक्षा विभाग के सचिव वैद्यनाथ यादव की ओर से पत्र जारी किया गया कि शिक्षा विभाग अब बिहार राज्य विश्वविद्यालय अधिनियम 1976 की धारा 54 के तहत बिहार के सभी विश्वविद्यालयों का ऑडिट करेगा. इसके लिए शिक्षा विभाग ने दो सदस्यीय ऑडिट टीम का गठन भी कर दिया है.

पहले भी हुई है टकरारः बताते चलें कि इससे पहले न्यू एजुकेशन पॉलिसी को विश्वविद्यालय में लागू करने के समय राजभवन और शिक्षा विभाग में तकरार देखने को मिली थी. शिक्षा विभाग ने आदेश जारी कर कहा था कि इस शैक्षणिक सत्र से न्यू एजुकेशन पॉलिसी लागू नहीं होगा लेकिन इसके तुरंत बाद राज भवन ने स्पष्ट निर्देश जारी कर दिया कि बिहार की विश्वविद्यालय में इसी सत्र से न्यू एजुकेशन पॉलिसी लागू होगी.

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