पटना: बिहार शिक्षा विभाग की बैठक (Meeting Of Education Minister) में शिक्षा विभाग की तरफ से राज्य के तमाम शिक्षक संगठनों के प्रतिनिधियों को आमंत्रित किया गया है .राज्य सरकार के शिक्षा विभाग द्वारा शुक्रवार को राज्य के तमाम शिक्षक संगठनों के प्रतिनिधियों को मीटिंग के लिए बुलाया (Education Department called state teacher unions) गया था. विभाग के मदन मोहन झा सभागार में आयोजित इस मीटिंग में राज्य में शिक्षकों के आवाज को उठाने वाले कई संगठनों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया और अपनी अपनी बातों को विस्तार से रखा. मीटिंग में शिक्षा मंत्री प्रोफेसर चंद्रशेखर के अलावा विभाग के अपर मुख्य सचिव, डायरेक्टर प्राइमरी एजुकेशन और डायरेक्टर सेकेंडरी एजुकेशन के अलावा कई अन्य वरीय अधिकारी भी विभाग द्वारा दी गई.
ये भी पढ़ें -बोले तेजस्वी के मंत्री- लाखों लोगों को नौकरी देनी है, महीनों लगेंगे
25 से ज्यादा शिक्षक संगठनों ने लिया हिस्सा: जानकारी के अनुसार इस विशेष मीटिंग में पूरे राज्य भर से 25 से भी ज्यादा शिक्षक संगठनों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया. इस मीटिंग में जो कई मुद्दे सामने आए. लेकिन बड़ी और मुख्य मांगे वेतन विसंगति का निराकरण, नए स्केल में विसंगति, महिलाओं और दिव्यांगों का ट्रांसफर, शिक्षा व्यवस्था को पंचायती राज से निकालने, डीईओ ऑफिस में भ्रष्टाचार को खत्म करने, महिला शिक्षकों को मातृत्व अवकाश दिए जाने, ईपीएफ का लाभ मिलने रही.
सरकारी स्कूल में नहीं आते प्लस टू के बच्चे: मीटिंग में अपनी बात रखते हुए राज्य स्तरीय स्नातकोत्तर प्लस 2 शिक्षक संगठन के प्रदेश महासचिव डॉ कृतंजय चौधरी ने कहा कि शिक्षकों को भी पांच लाख रुपए तक की आयुष्मान भारत योजना में रखा जाए. क्योंकि इनका वेतन कम होता है और जब इलाज की जरूरत पड़ती है तो आर्थिक रूप से शिक्षकों को बहुत परेशान होना पड़ता है. इसके अलावा उन्होंने टीईटी की परीक्षा अर्थशास्त्र में भी लिए जाने की मांग की. उन्होंने यह भी कहा कि सरकार प्लस टू के ही टीचरों को अपग्रेड करने की पहल करे. उनका यह कहना था कि बिहार के किसी भी सरकारी स्कूल में प्लस टू के बच्चे नहीं आते हैं उनके एग्जाम की सेटिंग होती है.
शिक्षक संघ से प्रदेश अध्यक्ष राजेंद्र प्रसाद सिंह ने रखी मांग: मीटिंग में सभी शिक्षक संगठनों को बारी-बारी से बोलने की अनुमति दी गई थी. इसी क्रम में संघर्षशील शिक्षक संघ के तरफ से प्रदेश अध्यक्ष राजेंद्र प्रसाद सिंह ने अपने मांग पत्र को रखते हुए तीन वर्ष सेवा निरंतरता की बाध्यता के नियम में परिवर्तन करते हुए नव नियुक्त शिक्षकों (महिला,पुरुष,दिव्यांग) को ऐच्छिक स्थानांतरण का अवसर प्रदान किये जाने की मांग रखी.
शिक्षकों को सेतु पाठ्यक्रम करवाने की शीघ्र व्यवस्था की मांग: उन्होंने इसके अलावा कक्षा (1 से 5) में नियुक्त (बीएड) योग्यताधारी शिक्षकों को सेतु पाठ्यक्रम (BRIDGE COURSE) करवाने की शीघ्र व्यवस्था करने, नव नियुक्त शिक्षकों को नियुक्ति की तिथि से ग्रेड पे का लाभ दिए जाने, प्रधान शिक्षक बहाली में अनुभव की बाध्यता को शिथिल करते हुए नव नियुक्त (42000) शिक्षकों को आवेदन का मौका दिए जाने, सातवें चरण के शिक्षक नियुक्ति में समान नियत वेतन के पद पर सेवा निरंतरता और वेतन संरक्षण का लाभ देते हुए नव नियुक्त शिक्षकों को आवेदन करने का अवसर दिए जाने, स्नातक ग्रेड के शिक्षकों को पूर्व की भांति 1000 रुपए का विशेष भत्ता दिए जाने के अलावा कई और मसलों को रखा.
"नियोजन निश्चित तौर पर होगा. मैं और हमारे नेता बार-बार यह कह रहे हैं कि जहां लाखों बहाली होनी हैं. युवा 3 - 4 साल से प्रतीक्षा कर रहे हैं. यह चिंता स्वभाविक है. उनका यह भी कहना था कि लेकिन जब तीन लाख अड़तीस हजार वैकेंसी हमारे पास है, उतनी बड़ी संख्या में एसटीइटी और सीटीईटी उत्तीर्ण अभ्यर्थी भी हमारे पास नहीं है. इसके लिए चिंता नहीं करनी चाहिए. इस चिंता के कारण सरकार से भी उनकी नाराजगी है. मेरी सहानुभूति आंदोलनरत सीटीईटी और एसटीइटी अभ्यर्थियों के भी प्रति है. सरकार अपने काम में लगी हुई है. ज्यादा दिन नहीं है लोग निराश न हो." :- प्रो चंद्रशेखर, शिक्षा मंत्री, बिहार सरकार
महिला शिक्षिकाओं के लिए मातृत्व अवकाश: प्रोफ़ेसर चंद्रशेखर ने यह भी कहा कि इस मीटिंग का निचोड़ वेतन विसंगति को दूर करना, महिला शिक्षिकाओं के लिए मातृत्व अवकाश, नौकरी 3 साल पूरी होने से पहले अगर कोई शिक्षक असमय मृत्यु का शिकार हो जाता है तो उसके लिए ईपीएफ का लाभ होना, जैसी कई बातें आई हैं. कई संगठनों की तरफ से प्रेजेंटेशन भी प्राप्त हुआ.
ये भी पढ़ें -पटना में शिक्षा मंत्री के साथ शिक्षक संगठनों की बैठक, कई मांगों से संबंधित मुद्दा उठाया