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शिक्षक नियोजन फर्जीवाड़े को रोकने के लिए विभाग लांच कर रहा है नया पोर्टल

शिक्षा विभाग ने एक ऐसा पोर्टल तैयार किया है जिसकी मदद से शिक्षक नियोजन में होने वाले फर्जीवाड़े से बचा जा सकेगा, साथ ही पूराने मामलों की तह तक भी पहुंचा जा सकेगा. इस पोर्टल को लेकर गाइडलाइन्स कुछ दिनो में विभाग जारी करेगा

patna
शिक्षा विभाग
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Published : Apr 8, 2021, 2:28 PM IST

पटना: बिहार में शिक्षक नियोजन में होने वाले फर्जीवाड़े पर लगाम कसने के लिए अब शिक्षा विभाग ने कमर कस ली है. शिक्षकों के नियोजन पर निगरानी रखने के लिए शिक्षा विभाग ने एक खास पोर्टल तैयार किया है. इसकी मदद से शिक्षा विभाग नियोजन में होने वाले फर्जीवाड़े को रोक सकेगा. बताया जा रहा है कि इस नई साइट पर सभी शिक्षक और लाइब्रेरियन को अपने शैक्षणिक और प्रशिक्षण के प्रमाण पत्र अपलोड करने होंगे. जानकारी के मुताबिक अगले कुछ दिनों में इसे लेकर गाइडलाइंस जारी किए जाएंगे.

इसे भी पढ़ें: एक लाख से ज्यादा फर्जी शिक्षकों को पकड़ना चुनौती, अब तक नहीं बन सका वेब पोर्टल

जरूरी सर्टिफिकेट बेवसाइट पर करने होंगे अपलोड
शिक्षा विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक इस पोर्टल को लेकर पिछले कुछ महीनों से लगातार काम हो रहा था. अब इस पोर्टल को उपयोग करने और इस पर सर्टिफिकेट अपलोड करने के लिए गाइडलाइंस तैयार की जा रही हैं. पहली गाइडलाइन अगले कुछ दिनों में जारी भी हो सकती है. जिसके बाद सभी शिक्षकों और लाइब्रेरियनों को अपने तमाम जरूरी सर्टिफिकेट इस वेबसाइट पर अपलोड करने होंगे. बता दें कि करीब 3.5 लाख शिक्षक करीब 8500 नियोजन इकाइयों में कार्यरत हैं.

जानकारी के मुताबिक इस पोर्टल पर सभी नियोजन इकाइयों को अब तक की सभी मेधा सूची भी अपलोड करनी होगी. जिससे निगरानी और जांच में मदद मिलेगी.एनआईसी की मदद से शिक्षा विभाग ने जो पोर्टल तैयार किया है वह दरअसल निगरानी जांच में सहायता के लिए बड़ी कड़ी के रूप में काम करेगा. यही नहीं, शिक्षा विभाग के पास तमाम शिक्षकों के सर्टिफिकेट भी एक क्लिक पर उपलब्ध होंगे. इसी सिस्टम को नई बहालियों के लिए भी फॉलो किया जाएगा ताकि फर्जीवाड़े पर रोक लग सके.

पोर्टल की जरूरत क्यों पड़ी?
दरअसल यह जो खास पोर्टल शिक्षा विभाग ने बिहार में शिक्षक नियोजन में हुए फर्जीवाड़े की तह तक पहुंचने के तैयार करवाया है. बिहार में बड़ी संख्या में फर्जी सर्टिफिकेट पर नौकरी कर रहे शिक्षकों का मामला पटना हाई कोर्ट में चल रहा है. जिसकी जांच विजिलेंस कर रहा है. पटना हाईकोर्ट ने वर्ष 2015 में ही तमाम बहाल शिक्षकों के सर्टिफिकेट की जांच का आदेश दिया था.

इस जांच के दायरे में वर्ष 2006 से वर्ष 2015 तक बहाल किए गए तमाम शिक्षक और पुस्तकालयाध्यक्ष आते हैं. जिनमें से 1,03000 शिक्षकों के सर्टिफिकेट के फोल्डर निगरानी को नहीं मिल पाए हैं और यही वजह है कि शिक्षा विभाग ने अब यह पोर्टल तैयार किया है. ताकि सभी नियोजित शिक्षक और पुस्तकालयाध्यक्ष के सर्टिफिकेट इस पोर्टल पर अपलोड करवाए जा सकें.

तय समय में अपलोड नहीं किया तो शक के घेरे में होंगे
शिक्षा विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक सर्टिफिकेट अपलोड करने के लिए एक समय सीमा तय की जाएगी. इस समय सीमा के तहत जो शिक्षक और लाइब्रेरियन पोर्टल पर अपने सर्टिफिकेट अपलोड नहीं करेंगे, उन्हें संदेह के घेरे में माना जाएगा और उनकी नियुक्ति को अवैध या अनियमित मानते हुए उन पर कार्रवाई की जा सकती है. निगरानी उन नियोजन इकाइयों पर भी कार्रवाई करेगा जो मेधा सूची पोर्टल पर अपलोड नहीं करेंगे.पोर्टल पर सर्टिफिकेट और मेधा सूची अपलोड करने को लेकर एक विस्तृत गाइडलाइंस जल्द ही जारी की जाएगी.

पटना: बिहार में शिक्षक नियोजन में होने वाले फर्जीवाड़े पर लगाम कसने के लिए अब शिक्षा विभाग ने कमर कस ली है. शिक्षकों के नियोजन पर निगरानी रखने के लिए शिक्षा विभाग ने एक खास पोर्टल तैयार किया है. इसकी मदद से शिक्षा विभाग नियोजन में होने वाले फर्जीवाड़े को रोक सकेगा. बताया जा रहा है कि इस नई साइट पर सभी शिक्षक और लाइब्रेरियन को अपने शैक्षणिक और प्रशिक्षण के प्रमाण पत्र अपलोड करने होंगे. जानकारी के मुताबिक अगले कुछ दिनों में इसे लेकर गाइडलाइंस जारी किए जाएंगे.

इसे भी पढ़ें: एक लाख से ज्यादा फर्जी शिक्षकों को पकड़ना चुनौती, अब तक नहीं बन सका वेब पोर्टल

जरूरी सर्टिफिकेट बेवसाइट पर करने होंगे अपलोड
शिक्षा विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक इस पोर्टल को लेकर पिछले कुछ महीनों से लगातार काम हो रहा था. अब इस पोर्टल को उपयोग करने और इस पर सर्टिफिकेट अपलोड करने के लिए गाइडलाइंस तैयार की जा रही हैं. पहली गाइडलाइन अगले कुछ दिनों में जारी भी हो सकती है. जिसके बाद सभी शिक्षकों और लाइब्रेरियनों को अपने तमाम जरूरी सर्टिफिकेट इस वेबसाइट पर अपलोड करने होंगे. बता दें कि करीब 3.5 लाख शिक्षक करीब 8500 नियोजन इकाइयों में कार्यरत हैं.

जानकारी के मुताबिक इस पोर्टल पर सभी नियोजन इकाइयों को अब तक की सभी मेधा सूची भी अपलोड करनी होगी. जिससे निगरानी और जांच में मदद मिलेगी.एनआईसी की मदद से शिक्षा विभाग ने जो पोर्टल तैयार किया है वह दरअसल निगरानी जांच में सहायता के लिए बड़ी कड़ी के रूप में काम करेगा. यही नहीं, शिक्षा विभाग के पास तमाम शिक्षकों के सर्टिफिकेट भी एक क्लिक पर उपलब्ध होंगे. इसी सिस्टम को नई बहालियों के लिए भी फॉलो किया जाएगा ताकि फर्जीवाड़े पर रोक लग सके.

पोर्टल की जरूरत क्यों पड़ी?
दरअसल यह जो खास पोर्टल शिक्षा विभाग ने बिहार में शिक्षक नियोजन में हुए फर्जीवाड़े की तह तक पहुंचने के तैयार करवाया है. बिहार में बड़ी संख्या में फर्जी सर्टिफिकेट पर नौकरी कर रहे शिक्षकों का मामला पटना हाई कोर्ट में चल रहा है. जिसकी जांच विजिलेंस कर रहा है. पटना हाईकोर्ट ने वर्ष 2015 में ही तमाम बहाल शिक्षकों के सर्टिफिकेट की जांच का आदेश दिया था.

इस जांच के दायरे में वर्ष 2006 से वर्ष 2015 तक बहाल किए गए तमाम शिक्षक और पुस्तकालयाध्यक्ष आते हैं. जिनमें से 1,03000 शिक्षकों के सर्टिफिकेट के फोल्डर निगरानी को नहीं मिल पाए हैं और यही वजह है कि शिक्षा विभाग ने अब यह पोर्टल तैयार किया है. ताकि सभी नियोजित शिक्षक और पुस्तकालयाध्यक्ष के सर्टिफिकेट इस पोर्टल पर अपलोड करवाए जा सकें.

तय समय में अपलोड नहीं किया तो शक के घेरे में होंगे
शिक्षा विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक सर्टिफिकेट अपलोड करने के लिए एक समय सीमा तय की जाएगी. इस समय सीमा के तहत जो शिक्षक और लाइब्रेरियन पोर्टल पर अपने सर्टिफिकेट अपलोड नहीं करेंगे, उन्हें संदेह के घेरे में माना जाएगा और उनकी नियुक्ति को अवैध या अनियमित मानते हुए उन पर कार्रवाई की जा सकती है. निगरानी उन नियोजन इकाइयों पर भी कार्रवाई करेगा जो मेधा सूची पोर्टल पर अपलोड नहीं करेंगे.पोर्टल पर सर्टिफिकेट और मेधा सूची अपलोड करने को लेकर एक विस्तृत गाइडलाइंस जल्द ही जारी की जाएगी.

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