पटना: बजट सत्र के पहले दिन शुक्रवार को बिहार सरकार ने 15वां आर्थिक सर्वेक्षण 2020-21 पेश किया. उपमुख्यमंत्री तार किशोर प्रसाद ने विधानमंडल में आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट पेश किया.
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सर्वेक्षण में तेरह अध्याय (बिहार की अर्थव्यवस्था: एक अवलोकन, राजकीय वित्त व्यवस्था, कृषि एवं सहवर्ती क्षेत्र, उद्यमिता क्षेत्र, श्रम, नियोजन एवं प्रवास, अधिसंरचना एवं संचार, ऊर्जा क्षेत्र, ग्रामीण विकास, नगर विकास, बैंकिंग और सहवर्ती क्षेत्र, मानव विकास, बाल विकास और पर्यावरण, जलवायु परिवर्तन और आपदा प्रबंधन) हैं. प्रत्येक अध्याय में कोविड-19 के दौरान सरकार द्वारा किए गए काम पर एक खंड शामिल है.
आर्थिक सर्वेक्षण के अध्यायवार हाइलाइट्स
बिहार की अर्थव्यवस्था : एक अवलोकन
- बिहार ने पूरे देश में यहां तक कि विदेश में भी विकास के मोर्चे पर अपनी उल्लेखनीय प्रगति को लेकर ध्यान आकर्षित किया है. स्थिर मूल्य पर बिहार की अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 2019-20 में 10.5 प्रतिशत थी जो भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर से अधिक है.
- 2019-20 में बिहार का सकल राज्य घरेलू उत्पाद वर्तमान मूल्य पर 6,11,804 करोड़ रुपए और 2011-12 के स्थिर मूल्य पर 4,14,977 करोड़ रुपए था.
- राज्य में प्रति व्यक्ति सकल राज्य घरेलू उत्पाद वर्तमान मूल्य पर 50,735 रुपए और 2011-12 के स्थिर मूल्य पर 34,413 था.
- तीन प्रमुख क्षेत्रों (प्राथमिक, द्वितीयक और तृतीयक) में तृतीयक क्षेत्र के हिस्से में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है. यह 2013-14 के 57.3 प्रतिशत से बढ़कर 2019-20 में 60.2 प्रतिशत हो गया.
- 2013-14 से 2019-20 के बीच सकल राजकीय मूल्यवर्धन में तृतीयक क्षेत्र में दो उप-क्षेत्रों का हिस्सा बढ़ा है. 2013-14 में पथ परिवहन का हिस्सा 4.4 प्रतिशत था जो बढ़कर 5.9 प्रतिशत हो गया है. 2013-14 में अन्य सेवाओं का हिस्सा 10.5 प्रतिशत था यह बढ़कर 13.8 प्रतिशत हो गया है.
कृषि एवं सहवर्ती क्षेत्र
- 2019-20 में सकल राज्य घरेलू उत्पाद में कृषि और सहवर्ती क्षेत्र का हिस्सा 18.7 प्रतिशत था. बिहार में 2019-20 में 163.80 लाख टन खाद्यान्न उत्पादन का रिकॉर्ड दर्ज हुआ.
- 2019-20 में पशुधन का राज्य के सकल राज्य घरेलू उत्पाद में 6 प्रतिशत योगदान था. 2019-20 में 45.47 लाख पशुओं का इलाज किया गया. 36.76 लाख पशुओं का कृत्रिम गर्भाधान कराया गया. बिहार में दूध का कुल उत्पादन 6.07 प्रतिशत की औसत वार्षिक दर से बढ़कर 2015-16 के 82.88 लाख टन से 2019-20 में 104.83 लाख टन हो गया. 2019-20 में अंडों का कुल उत्पादन 274.08 करोड़ पहुंच गया.
- 2018-19 में कुल सिंचित क्षेत्र 54.93 लाख हेक्टेयर था. 2019-20 में 166,434 किसान क्रेडिट कार्ड वितरित किए गए और लगभग 3.01 लाख किसान इस योजना से लाभान्वित हुए.
उद्यमिता क्षेत्र
- बिहार में 2007-08 से 2017-18 के बीच चालू कृषि आधारित कारखानों की वृद्धि दर 11.7 प्रतिशत रही है. यह राष्ट्रीय स्तर से 9.3 प्रतिशत अधिक थी. कृषि आधारित कारखानों की वृद्धि दर से पता चलता है कि बिहार के कृषि उत्पादन के बड़े हिस्से का वास्तविक प्रसंस्करण अब राज्य में ही होता है.
- 2019-20 में राज्य में 674.05 लाख क्विंटल ईंख की पेराई हुई और 72.29 लाख क्विंटल चीनी का उत्पादन हुआ. 2019-20 में चीनी प्राप्ति का प्रतिशत 2018-19 के 10.37 प्रतिशत से बढ़कर 10.72 प्रतिशत हो गया. चीनी मिलों ने उप-उत्पादों के उत्पादन पर भी ध्यान केंद्रित किया है.
- कौशल विकास कार्यक्रमों में 16 विभाग धनराशि पाते हैं, जिसका आवंटन पैटर्न राज्य सरकार के फोकस पर निर्भर करता है. 2019-20 में ग्रामीण विकास विभाग को 433.34 करोड़ रुपए मिले जो गत वर्ष के आवंटन से 42 प्रतिशत अधिक था. सूचना प्रौद्योगिकी विभाग और समाज कल्याण विभाग के मामले में भी यही पैटर्न देखा जा सकता है.
- कोविड-19 महामारी के दौरान 2020 में राज्य सरकार ने प्रत्येक निर्माण मजदूर के लिए 2000 रुपए के अनुदान की घोषणा की. सितंबर 2020 के अंत में 11,07,696 निबंधित मजदूरों के बीच 221.54 करोड़ रुपए वितरित किए गए. रकम लाभार्थियों के बैंक खातों में जमा करा दिया गया.
- बिहार भवन एवं अन्य सन्निर्माण श्रमिक कल्याण बोर्ड को विभिन्न कल्याण योजनाओं के तहत वित्तीय सहायता के लिए 1616 आवेदन प्राप्त हुए. 2020-21 में अभी तक 1109025 लाभार्थियों के खातों में 432.17 करोड़ रुपए जमा कराए गए.
अधिसंरचना और संचार
- सकल राज्य घरेलू उत्पाद में निर्माण क्षेत्र का योगदान 1980-81 के 5.2 प्रतिशत से बढ़कर 1990-91 में 6.2 प्रतिशत हो गया था. 1995-96 में 3.4 प्रतिशत के निम्नतम स्तर पर चला गया था. राज्य सरकार द्वारा 2005 से अधिसंरचना में भारी निवेश के बाद 2005-10 की अवधि में उल्लेखनीय सुधार हुआ था. 2009-10 में यह 11.9 प्रतिशत पर पहुंच गया था. अभी भी सकल राज्य घरेलू उत्पाद में इसका 10 प्रतिशत योगदान है.
- बिहार में 58 राष्ट्रीय उच्चपथ हैं, जिनकी लंबाई सितंबर 2020 में 5475 किमी थी. यह 2005 से लगभग 1940 किमी अधिक है. पिछले 15 वर्षों में 30 और राष्ट्रीय उच्चपथ राज्य में जुड़े हैं. एक लेन और मध्यवर्ती लेन वाले लगभग एक-चौथाई राष्ट्रीय उच्चपथों को दो या उससे अधिक लेन वाले पथों में बदल दिया गया है. राज्य उच्चपथों का भी काफी चौड़ीकरण हुआ है. एक लेन तथा मध्यवर्ती लेन वाले लगभग 75 प्रतिशत राज्य उच्चपथों को दो-लेन में बदल दिया गया है. इसी प्रकार एक लेन वाले लगभग 73 प्रतिशत मुख्य जिला पथों को दो-लेन में बदल दिया गया है. ग्रामीण पथों के मामले में 2020-21 में सार्वजनिक निवेश लगभग 10,073 करोड़ रुपए है जो 2005-6 के 404 करोड़ रुपए के 25 गुना से भी अधिक है.
- 2018 में 2.71 लाख शौचालयों का निर्माण हुआ था, जिनकी संख्या 2019 में 4.09 लाख और 2020 में सितंबर तक 4.04 लाख हो गई. अभी तक सभी 142 शहरी केंद्र और सभी 3367 वार्ड खुले में शौच से मुक्त (ओडीएफ) घोषित हो चुके हैं.
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बैंकिंग और सहवर्ती क्षेत्र
- राज्य में 2019-20 में प्रमुख बैंकों की कुल 177 नई शाखाएं खोली गईं. अनुसूचित व्यावसायिक बैंकों की तुलना में प्राइवेट बैंकों ने अधिक योगदान किया. इन 177 में से 110 शाखाएं उनके द्वारा ही खोली गईं. भारतीय स्टेट बैंक सहित सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की 48 नई शाखाएं खुलीं. वहीं, लघुवित्त बैंकों और भुगतान बैंकों की संयुक्त रूप से 19 शाखाएं खुली.
- 2019-20 में नई खुली 177 शाखाओं में से 40.1 प्रतिशत ग्रामीण क्षेत्रों में खुली. 2019-20 में महानगरीय, शहरी और अर्ध-शहरी क्षेत्रों का हिस्सा क्रमशः 13.6 प्रतिशत, 22 6 प्रतिशत और 23.7 प्रतिशत था.
- बिहार में अनुसूचित व्यावसायिक बैंकों की जमा राशि 2018-19 से 2019-20 के बीच 22,428 करोड़ रुपए बढ़ी जो 6.3 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाती है. वहीं, इस अवधि में उनके द्वारा राज्य में दी गई ऋण राशि 15,392 करोड़ रुपए बढ़ी जो 12.8 प्रतिशत की वृद्धि है. संपूर्ण भारत के स्तर पर इनकी जमा और ऋण राशियों में क्रमश: 9.5 प्रतिशत और 7.1 प्रतिशत वृद्धि हुई.
- बिहार का अनुसूचित व्यावसायिक बैंकों का ऋण-जमा अनुपात 2018-19 में 34.0 प्रतिशत था जो 2019-20 में बढ़कर 36.1 प्रतिशत हो गया. यह 2019-20 में अनुसूचित व्यावसायिक बैंकों के ऋण-जमा अनुपात के संपूर्ण भारत के स्तर (76.5 प्रतिशत) से कम है. निम्न अनुपात दर्शाता है कि बैंकों ने जिस क्षेत्र से जमा राशि प्राप्त की उसमें आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए वे अपने संसाधनों का पूरा उपयोग नहीं कर रहे हैं.
- सितंबर 2020 के अंत में 17 जिलों के ऋण-जमा अनुपात राज्य के औसत से कम थे. किसी भी जिले का ऋण-जमा अनुपात संपूर्ण भारत के औसत से अधिक नहीं था. पूर्णिया का ऋण-जमा अनुपात सर्वाधिक 75.1 प्रतिशत और मुंगेर का सबसे कम 25.9 प्रतिशत था. किशनगंज का 60.6 प्रतिशत ऋण-जमा अनुपात सुदूर दूसरे स्थान पर था. मुंगेर, सारण, भोजपुर और अरवल जिलों का ऋण-जमा अनुपात 30 प्रतिशत से भी कम था.
- प्राथमिक स्तर पर कुल नामांकन 2018-19 में 141.35 लाख और उच्च प्राचमिक स्तर पर कुल नामांकन 69.34 लाख था. प्राथमिक और उच्च प्राथमिक को मिलाकर देखने पर कुल नामांकन 2018-19 में 210.67 लाख था. इसी अवधि में अनसूचित जाति के विद्यार्थियों का प्रारंभिक स्तर पर कुल नामांकन 2012-13 के 36.75 लाख से 7.2 प्रतिशत बढ़कर 2018-19 में 39.38 लाख हो गया. इसी प्रकार, अनुसूचित जनजातियों का नामांकन इस अवधि में 12.0 प्रतिशत बढ़ा और 2012-13 के 3.93 लाख से 2018- 19 में 4.40 लाख हो गया.
- हाल के वर्षों में शिक्षा के एक महत्वपूर्ण सूचक छीजन दर (स्कूल छोड़ने वाले बच्चों का दर) में लगातार गिरावट आई है. प्राथमिक स्तर पर यह 2012-13 के 31.70 प्रतिशत से 2018-19 में 21.35 प्रतिशत रह गया.
- राज्य सरकार की कोरोना संबंधी पहलकदमियों के बीच समुचित चिकित्सा सुविधाओं से युक्त 546 अलगाव (आइसोलेशन) केंद्रों की स्थापना करना सबसे महत्वपूर्ण पहल थी. इनमें से 334 कोविड-आक्रांत देखरेख केंद्र, 200 समर्पित कोविड-आक्रांत स्वास्थ्य देखरेख केंद्र, और 12 समर्पित अस्पताल थे. जनवरी 2021 के अंत तक बिहार में प्रति 10 लाख आबादी पर जांच का आंकड़ा 1,65,129 था.
- मध्याह्न भोजन योजना (एमडीएमएस) के तहत 20 मार्च 2020 के बाद से महामारी की पूरी अवधि में पके मध्याह्न भोजन की जगह खाद्य सुरक्षा भत्ता दिया गया. अप्रैल से अगस्त 2020 के बीच सभी दिशानिर्देशों का पालन करते हुए विद्यालय स्तर पर 1.26 करोड़ लाभार्थियों के बीच 1,46,721.90 टन खाद्यान्नों का वितरण किया गया. योजना अभी भी जारी है.
- बिहार भवन एवं अन्य सन्निर्माण श्रमिक कल्याण बोर्ड को विभिन्न कल्याण योजनाओं के तहत वित्तीय सहायता के लिए 1616 आवेदन प्राप्त हुए. 2020-21 में अभी तक 1109025 लाभार्थियों के खातों में कुल 432.17 करोड़ रुपए जमा कराए गए हैं.
बाल विकास
- बिहार में बच्चों के लिए बजट निर्माण की प्रक्रिया 2013-14 में शुरू हुई. 2013-14 से 2018-19 के बीच बच्चों के लिए समग्र आबंटन 23.6 प्रतिशत की वार्षिक दर से बढ़ते हुए 2013-14 के 6329.66 करोड़ रुपए से 2018-19 में 19474.72 करोड़ रुपए हो गया. इसी अवधि में प्रति व्यक्ति व्यय भी लगभग तिगुना बढ़कर 1225 रुपए से 3910 रुपए हो गया. इन छ: वर्षों में राज्य के कुल बजट में बाल विकास पर व्यय का औसत हिस्सा लगभग 1.3 प्रतिशत था.