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Bihar Teacher Recruitment: शिक्षक नियुक्ति में डोमिसाइल समाप्त करने का निर्णय, सरकार के गले की बनी फांस!

राज्य में शिक्षक नियुक्ति को लेकर बिहार लोक सेवा आयोग की तरफ से आवेदन करने की प्रक्रिया जारी है. बड़ी संख्या में शिक्षक अभ्यर्थी प्रक्रिया का इंतजार भी कर रहे थे लेकिन मंगलवार को राज्य सरकार द्वारा शिक्षक नियोजन की नियमावली में संशोधन किए जाने और उसमें से डोमिसाइल को हटा दिए जाने के बाद राज्य में विभिन्न शिक्षक संगठन अभ्यर्थी और विरोधी दल अपने विरोध के स्वर को लगातार तेज कर रहे हैं. पढ़ें, विस्तार से.

शिक्षक नियुक्ति में डोमिसाइल समाप्त.
शिक्षक नियुक्ति में डोमिसाइल समाप्त.
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Published : Jun 28, 2023, 7:15 PM IST

शिक्षक नियुक्ति में डोमिसाइल समाप्त.

पटना: शिक्षक नियुक्ति नियमावली आने के बाद से ही इसमें कई बार संशोधन किया जा चुका है. इन संशोधनों का विरोधी दल या फिर शिक्षक संगठन में विरोध नहीं किया लेकिन डोमिसाइल को हाथ में करने की खबर जैसे ही आई, विभिन्न राजनीतिक दलों के साथ शिक्षक संगठनों और अभ्यर्थियों ने इसका विरोध किया. राष्ट्रीय लोक जनता दल के प्रमुख पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा ने डोमिसाइल को खत्म करने के निर्णय को नीतीश सरकार का तुगलकी फरमान तक कह दिया. वहीं विभिन्न शिक्षक संगठनों का कहना था कि डोमिसाइल को खत्म करके राज्य सरकार राज्य के युवाओं के हिस्से को खत्म कर देना चाहती है.

इसे भी पढ़ेंः Nitish Cabinet Meeting: अब दूसरे राज्य के कैंडिडेट भी बनेंगे बिहार में शिक्षक, नीतीश सरकार ने बदली शिक्षक भर्ती नियमावली

बयान तथ्य से परेः डोमिसाइल को खत्म करने और पर प्रख्यात शिक्षाविद प्रोफेसर नवल किशोर चौधरी कहते हैं कि सरकार के इस कदम से राज्य के शिक्षित युवा वर्ग पर बुरा असर पड़ेगा. बिहार में प्रतिभा की कमी नहीं है. बरसों से नियुक्तियां नहीं हो रही है. स्कूल कॉलेजों में बड़ी संख्या में पद रिक्त हैं, रोजगार के लिए युवा परेशान हैं. अब जब रोजगार के कुछ अवसर सामने आए हैं तो इसमें कंपटीशन को बढ़ा दिया गया है. इस नीति से स्वाभाविक है कि यहां के युवक आक्रोशित है और सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं.

"डोमिसाइल नीति के तहत युवाओं को सुरक्षा थी. अब उसे हटा लिया जाएगा और दूसरे राज्यों के भी शिक्षित युवक शिक्षक भर्ती के लिए आवेदन करेंगे. इससे कंपटीशन बढ़ जाएगा और यहां के लोगों के लिए रोजगार के अवसर घट जाएंगे"- प्रोफेसर नवल किशोर चौधरी, शिक्षाविद

शिक्षा मंत्री को जवाब देना चाहिए: प्रोफेसर नवल किशोर चौधरी यह भी कहते हैं कि दूसरे राज्य में डोमिसाइल नीति लागू है और बिहार के छात्रों को दूसरे राज्य में रोजगार के कम अवसर प्राप्त होते हैं. प्रोफेसर नवल किशोर चौधरी का यह भी कहना था कि यह बयान कि राज्य में योग्य शिक्षक नहीं मिलते हैं, यह तथ्य से परे है. अगर यह सच भी है तो शिक्षा मंत्री को इसके लिए जवाब देना चाहिए, क्योंकि पिछले 30 से भी ज्यादा साल से सत्ता में महागठबंधन के लोग हैं. पहले 15 साल लालू प्रसाद और राबड़ी देवी की सरकार रही, इसके बाद 15 साल से भी ज्यादा नीतीश कुमार का शासन है. इसमें बीजेपी भी शामिल रही.

छात्रों के भविष्य पर चोटः राज्य की प्रमुख विपक्षी पार्टी भारतीय जनता पार्टी के प्रवक्ता संतोष पाठक कहते हैं महागठबंधन की सरकार में पलटने की आदत है. तेजस्वी यादव को 10 लाख रोजगार के नाम पर जनता से मत मिला, उनके विधायक जीत कर आए. जब उनको सरकार बनाने का मौका मिला तो उनकी कलम खो गई जिससे वह रोजगार देने की बात कहते थे. आज उनकी सरकार को 11 महीने का वक्त पूरा होने वाला है, इस पूरे 11 महीने की कवायद को देखेंगे तो शिक्षक नियमावली में 8 से भी ज्यादा बार संशोधन किया गया है. उन्होंने डोमिसाइल की नीति में जो परिवर्तन किया है, उसका नुकसान यह है कि बिहार के अधिकतर छात्र जो अपने भविष्य को लेकर चिंतित है उनके भविष्य पर चोट मार दी गई है.

इसे भी पढ़ेंः Bihar Teacher Recruitment : डोमिसाइल लागू करने के लिए 72 घंटे का अल्टीमेटम.. अभ्यर्थियों ने शिक्षा मंत्री को लिया आड़े हाथ

शिक्षा मंत्री का बेतुका बयानः डोमिसाइल को खत्म करने की बात जब राज्य के शिक्षा मंत्री प्रोफेसर चंद्रशेखर से पूछी गई तो उनका कहना था कि यह संशोधन देश के लिए किया गया है. देश के विभिन्न राज्यों के जो टैलेंटेड छात्र हैं और जो बेरोजगार हैं, वह इसमें हिस्सा लेंगे. हमारे सामने एक समस्या है कि साइंस में और विशेष रूप से गणित, केमिस्ट्री, फिजिक्स और अंग्रेजी में इस तरह के छात्र नहीं मिल पाते हैं. सीटें खाली रह जाती हैं, इसलिए संशोधन किया गया. सरकार के इस बदलाव पर बीजेपी भी मुखर हुई. बीजेपी के वरिष्ठ नेता और पूर्व डिप्टी सीएम सुशील मोदी ने कहा कि अंग्रेजी, गणित, विज्ञान के शिक्षक न मिलने का बयान देना बिहार का अपमान है. स्कूल में 4 माध्यम से बहाल शिक्षक जाएंगे, यह सही नहीं है. सरकार ने जो यह नियम बनाया है, वह बदला जाए.

बड़े पैमाने पर होनी है नियुक्तिः दरअसल राज्य सरकार राज्य के स्कूलों में शिक्षकों की कमी को देखते हुए रिक्त पड़े पदों की पदों पर नियुक्ति के लिए अधिसूचना पहले ही जारी कर चुकी है. परीक्षा बिहार लोक सेवा आयोग के माध्यम से लिए ली जाएगी. जिसके बाद शिक्षकों की नियुक्ति होगी अगर आंकड़ों की बात करें तो कुछ वक्त पहले ही नीतीश सरकार ने पंचायत और नगर निकाय से शिक्षकों के नियोजन की प्रक्रिया को समाप्त करते हुए बीपीएससी के माध्यम से शिक्षकों की बहाली का निर्णय लिया था. आयोग के जरिए बहाल शिक्षकों को राज्य कर्मी का दर्जा भी मिलेगा. शिक्षकों के लिए जिस नियमावली को तैयार किया गया था उसके तहत 1.70 लाख से भी ज्यादा की संख्या में शिक्षकों की नियुक्ति होनी है.

हो चुके हैं कई संशोधन: अगर संशोधनों की बात करें तो तकनीकी शिक्षा की डिग्री तथा प्राच्य भाषा विषय से संबंधित डिग्री सामान्य विषय विद्यालय अध्यापक (कक्षा 1 से 5 पद) पर नियुक्ति के लिए मान्य नहीं था, इसे विलोपित किया गया. इसके अलावा कक्षा 9 से 10 की नियुक्ति के लिए मैथ के लिए शैक्षणिक योग्यता स्नातक स्तर पर कंप्यूटर साइंस में शामिल किया गया. कक्षा 11 के बायोलॉजी विषय में नियुक्ति के लिए संशोधन किया गया. इसके अलावा सीटीईटी अभ्यर्थियों के लिए बीईटीईटी 2017 के न्यूनतम अर्हतांक को कोटि के अनुसार प्रभावी किया गया. उच्च माध्यमिक विद्यालय के लिए भाग एक विषय पत्र में वाणिज्य के स्थान पर बिजनेस स्टडीज को दर्ज किया गया.

और भी हैं संशोधनः इस नियमावली में इतना ही नहीं कई और भी संशोधन किए गए. इसके तहत 31 अगस्त तक सीटीईटी पर भवन में शामिल होने वाले अभ्यर्थियों को आवेदन के लिए योग्य माना गया. प्राथमिक शिक्षक नियुक्ति के लिए बीएड, बीएससी एड की 4 वर्षीय उपाधि वाले अभ्यर्थियों को नियुक्ति की तिथि से 2 साल के अंदर एनसीटीई से मान्यता प्राप्त संस्थान से 6 मार्च का ब्रिज कोर्स करना अनिवार्य किया गया. कक्षा 9 व 10 के लिए विषय समूह विज्ञान के अंतर्गत जंतु विज्ञान वनस्पति विज्ञान और रसायन शास्त्र के अलावा बायोटेक्नोलॉजी माइक्रोबायोलॉजी को भी शामिल किया गया, तथा कक्षा 10 के लिए विषय सामाजिक विज्ञान के अंतर्गत इतिहास विषय के समकक्ष प्राचीन इतिहास को माना गया.

इसे भी पढ़ेंः Bihar Teacher Recruitment: क्या है डोमिसाइल नीति?.. शिक्षक संघ के नेता आखिर क्यों कर रहे हैं भर्ती का विरोध

बड़े पैमाने पर होनी है नियुक्तिः राज्य सरकार द्वारा कोई एक लाख 70 हजार 461 पदों पर वैकेंसी निकाली गई है. इनमें से प्राथमिक शिक्षा (कक्षा एक से 5 तक) के लिए 79,943 पद निकाले गए हैं. वही माध्यमिक शिक्षक (कक्षा 9 से दस तक) के लिए 32, 916 और उच्च माध्यमिक शिक्षक के कुल 57, 602 पद निकाले गए हैं. हालांकि नोटिफिकेशन के मुताबिक पदों की संख्या प्रोविजनल है, यानी इन पदों की संख्या को घटाया बढ़ाया भी जा सकता है.

हिंदी विषय में कुल 5486 पदों पर नियुक्तिः बीपीएससी द्वारा जारी विज्ञापन में सबसे ज्यादा नौवीं और दसवीं में हिंदी विषय में शिक्षकों की भर्ती होगी. हिंदी विषय में कुल 5486 पदों पर नियुक्ति होगी. इसके बाद अंग्रेजी में 5425 और विज्ञान में 5425 विषय पर नियुक्ति होगी. वही गणित में भी 5425 तथा सामाजिक विज्ञान में भी 5425 पदों पर नियुक्ति होगी. इसके अलावा संस्कृत में 2839, उर्दू में 2300, अरबी में 200, फारसी में 300 और सबसे कम बांग्ला में 91 पदों पर शिक्षकों की भर्ती होगी. कुल 32916 शिक्षकों की भर्ती होगी.

कंप्यूटर साइंस में 8395 पदों पर नियुक्तिः वहीं 11वीं 12वीं की बात करें तो इसमें सबसे ज्यादा शिक्षक कंप्यूटर साइंस में नियुक्त होंगे. कंप्यूटर साइंस में 8395 पदों पर शिक्षकों की नियुक्ति होगी. इसके बाद इतिहास के लिए 5870, राजनीति शास्त्र के लिए 5354, भौतिक विज्ञान के लिए 3022, अंग्रेजी के लिए 3535 और हिंदी के लिए 3221 पदों पर नियुक्तियां होंगी. इसी प्रकार जंतु विज्ञान में 2683, वनस्पति विज्ञान में 2738, रसायन शास्त्र में 4799, गणित में 2673 और अर्थशास्त्र में 997, भूगोल में 1033, गृह विज्ञान में 1275, संगीत में 2043 दर्शनशास्त्र में 170, मनोविज्ञान में 2015, समाजशास्त्र में 1434, अकाउंटेंसी में 612, बिजनेस स्टडीज में 1328 में इंटर प्रेन्योरशिप में 292 संस्कृत में 1289 और उर्दू में 1749 पदों पर शिक्षकों की नियुक्ति होगी.

शिक्षक नियुक्ति में डोमिसाइल समाप्त.

पटना: शिक्षक नियुक्ति नियमावली आने के बाद से ही इसमें कई बार संशोधन किया जा चुका है. इन संशोधनों का विरोधी दल या फिर शिक्षक संगठन में विरोध नहीं किया लेकिन डोमिसाइल को हाथ में करने की खबर जैसे ही आई, विभिन्न राजनीतिक दलों के साथ शिक्षक संगठनों और अभ्यर्थियों ने इसका विरोध किया. राष्ट्रीय लोक जनता दल के प्रमुख पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा ने डोमिसाइल को खत्म करने के निर्णय को नीतीश सरकार का तुगलकी फरमान तक कह दिया. वहीं विभिन्न शिक्षक संगठनों का कहना था कि डोमिसाइल को खत्म करके राज्य सरकार राज्य के युवाओं के हिस्से को खत्म कर देना चाहती है.

इसे भी पढ़ेंः Nitish Cabinet Meeting: अब दूसरे राज्य के कैंडिडेट भी बनेंगे बिहार में शिक्षक, नीतीश सरकार ने बदली शिक्षक भर्ती नियमावली

बयान तथ्य से परेः डोमिसाइल को खत्म करने और पर प्रख्यात शिक्षाविद प्रोफेसर नवल किशोर चौधरी कहते हैं कि सरकार के इस कदम से राज्य के शिक्षित युवा वर्ग पर बुरा असर पड़ेगा. बिहार में प्रतिभा की कमी नहीं है. बरसों से नियुक्तियां नहीं हो रही है. स्कूल कॉलेजों में बड़ी संख्या में पद रिक्त हैं, रोजगार के लिए युवा परेशान हैं. अब जब रोजगार के कुछ अवसर सामने आए हैं तो इसमें कंपटीशन को बढ़ा दिया गया है. इस नीति से स्वाभाविक है कि यहां के युवक आक्रोशित है और सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं.

"डोमिसाइल नीति के तहत युवाओं को सुरक्षा थी. अब उसे हटा लिया जाएगा और दूसरे राज्यों के भी शिक्षित युवक शिक्षक भर्ती के लिए आवेदन करेंगे. इससे कंपटीशन बढ़ जाएगा और यहां के लोगों के लिए रोजगार के अवसर घट जाएंगे"- प्रोफेसर नवल किशोर चौधरी, शिक्षाविद

शिक्षा मंत्री को जवाब देना चाहिए: प्रोफेसर नवल किशोर चौधरी यह भी कहते हैं कि दूसरे राज्य में डोमिसाइल नीति लागू है और बिहार के छात्रों को दूसरे राज्य में रोजगार के कम अवसर प्राप्त होते हैं. प्रोफेसर नवल किशोर चौधरी का यह भी कहना था कि यह बयान कि राज्य में योग्य शिक्षक नहीं मिलते हैं, यह तथ्य से परे है. अगर यह सच भी है तो शिक्षा मंत्री को इसके लिए जवाब देना चाहिए, क्योंकि पिछले 30 से भी ज्यादा साल से सत्ता में महागठबंधन के लोग हैं. पहले 15 साल लालू प्रसाद और राबड़ी देवी की सरकार रही, इसके बाद 15 साल से भी ज्यादा नीतीश कुमार का शासन है. इसमें बीजेपी भी शामिल रही.

छात्रों के भविष्य पर चोटः राज्य की प्रमुख विपक्षी पार्टी भारतीय जनता पार्टी के प्रवक्ता संतोष पाठक कहते हैं महागठबंधन की सरकार में पलटने की आदत है. तेजस्वी यादव को 10 लाख रोजगार के नाम पर जनता से मत मिला, उनके विधायक जीत कर आए. जब उनको सरकार बनाने का मौका मिला तो उनकी कलम खो गई जिससे वह रोजगार देने की बात कहते थे. आज उनकी सरकार को 11 महीने का वक्त पूरा होने वाला है, इस पूरे 11 महीने की कवायद को देखेंगे तो शिक्षक नियमावली में 8 से भी ज्यादा बार संशोधन किया गया है. उन्होंने डोमिसाइल की नीति में जो परिवर्तन किया है, उसका नुकसान यह है कि बिहार के अधिकतर छात्र जो अपने भविष्य को लेकर चिंतित है उनके भविष्य पर चोट मार दी गई है.

इसे भी पढ़ेंः Bihar Teacher Recruitment : डोमिसाइल लागू करने के लिए 72 घंटे का अल्टीमेटम.. अभ्यर्थियों ने शिक्षा मंत्री को लिया आड़े हाथ

शिक्षा मंत्री का बेतुका बयानः डोमिसाइल को खत्म करने की बात जब राज्य के शिक्षा मंत्री प्रोफेसर चंद्रशेखर से पूछी गई तो उनका कहना था कि यह संशोधन देश के लिए किया गया है. देश के विभिन्न राज्यों के जो टैलेंटेड छात्र हैं और जो बेरोजगार हैं, वह इसमें हिस्सा लेंगे. हमारे सामने एक समस्या है कि साइंस में और विशेष रूप से गणित, केमिस्ट्री, फिजिक्स और अंग्रेजी में इस तरह के छात्र नहीं मिल पाते हैं. सीटें खाली रह जाती हैं, इसलिए संशोधन किया गया. सरकार के इस बदलाव पर बीजेपी भी मुखर हुई. बीजेपी के वरिष्ठ नेता और पूर्व डिप्टी सीएम सुशील मोदी ने कहा कि अंग्रेजी, गणित, विज्ञान के शिक्षक न मिलने का बयान देना बिहार का अपमान है. स्कूल में 4 माध्यम से बहाल शिक्षक जाएंगे, यह सही नहीं है. सरकार ने जो यह नियम बनाया है, वह बदला जाए.

बड़े पैमाने पर होनी है नियुक्तिः दरअसल राज्य सरकार राज्य के स्कूलों में शिक्षकों की कमी को देखते हुए रिक्त पड़े पदों की पदों पर नियुक्ति के लिए अधिसूचना पहले ही जारी कर चुकी है. परीक्षा बिहार लोक सेवा आयोग के माध्यम से लिए ली जाएगी. जिसके बाद शिक्षकों की नियुक्ति होगी अगर आंकड़ों की बात करें तो कुछ वक्त पहले ही नीतीश सरकार ने पंचायत और नगर निकाय से शिक्षकों के नियोजन की प्रक्रिया को समाप्त करते हुए बीपीएससी के माध्यम से शिक्षकों की बहाली का निर्णय लिया था. आयोग के जरिए बहाल शिक्षकों को राज्य कर्मी का दर्जा भी मिलेगा. शिक्षकों के लिए जिस नियमावली को तैयार किया गया था उसके तहत 1.70 लाख से भी ज्यादा की संख्या में शिक्षकों की नियुक्ति होनी है.

हो चुके हैं कई संशोधन: अगर संशोधनों की बात करें तो तकनीकी शिक्षा की डिग्री तथा प्राच्य भाषा विषय से संबंधित डिग्री सामान्य विषय विद्यालय अध्यापक (कक्षा 1 से 5 पद) पर नियुक्ति के लिए मान्य नहीं था, इसे विलोपित किया गया. इसके अलावा कक्षा 9 से 10 की नियुक्ति के लिए मैथ के लिए शैक्षणिक योग्यता स्नातक स्तर पर कंप्यूटर साइंस में शामिल किया गया. कक्षा 11 के बायोलॉजी विषय में नियुक्ति के लिए संशोधन किया गया. इसके अलावा सीटीईटी अभ्यर्थियों के लिए बीईटीईटी 2017 के न्यूनतम अर्हतांक को कोटि के अनुसार प्रभावी किया गया. उच्च माध्यमिक विद्यालय के लिए भाग एक विषय पत्र में वाणिज्य के स्थान पर बिजनेस स्टडीज को दर्ज किया गया.

और भी हैं संशोधनः इस नियमावली में इतना ही नहीं कई और भी संशोधन किए गए. इसके तहत 31 अगस्त तक सीटीईटी पर भवन में शामिल होने वाले अभ्यर्थियों को आवेदन के लिए योग्य माना गया. प्राथमिक शिक्षक नियुक्ति के लिए बीएड, बीएससी एड की 4 वर्षीय उपाधि वाले अभ्यर्थियों को नियुक्ति की तिथि से 2 साल के अंदर एनसीटीई से मान्यता प्राप्त संस्थान से 6 मार्च का ब्रिज कोर्स करना अनिवार्य किया गया. कक्षा 9 व 10 के लिए विषय समूह विज्ञान के अंतर्गत जंतु विज्ञान वनस्पति विज्ञान और रसायन शास्त्र के अलावा बायोटेक्नोलॉजी माइक्रोबायोलॉजी को भी शामिल किया गया, तथा कक्षा 10 के लिए विषय सामाजिक विज्ञान के अंतर्गत इतिहास विषय के समकक्ष प्राचीन इतिहास को माना गया.

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बड़े पैमाने पर होनी है नियुक्तिः राज्य सरकार द्वारा कोई एक लाख 70 हजार 461 पदों पर वैकेंसी निकाली गई है. इनमें से प्राथमिक शिक्षा (कक्षा एक से 5 तक) के लिए 79,943 पद निकाले गए हैं. वही माध्यमिक शिक्षक (कक्षा 9 से दस तक) के लिए 32, 916 और उच्च माध्यमिक शिक्षक के कुल 57, 602 पद निकाले गए हैं. हालांकि नोटिफिकेशन के मुताबिक पदों की संख्या प्रोविजनल है, यानी इन पदों की संख्या को घटाया बढ़ाया भी जा सकता है.

हिंदी विषय में कुल 5486 पदों पर नियुक्तिः बीपीएससी द्वारा जारी विज्ञापन में सबसे ज्यादा नौवीं और दसवीं में हिंदी विषय में शिक्षकों की भर्ती होगी. हिंदी विषय में कुल 5486 पदों पर नियुक्ति होगी. इसके बाद अंग्रेजी में 5425 और विज्ञान में 5425 विषय पर नियुक्ति होगी. वही गणित में भी 5425 तथा सामाजिक विज्ञान में भी 5425 पदों पर नियुक्ति होगी. इसके अलावा संस्कृत में 2839, उर्दू में 2300, अरबी में 200, फारसी में 300 और सबसे कम बांग्ला में 91 पदों पर शिक्षकों की भर्ती होगी. कुल 32916 शिक्षकों की भर्ती होगी.

कंप्यूटर साइंस में 8395 पदों पर नियुक्तिः वहीं 11वीं 12वीं की बात करें तो इसमें सबसे ज्यादा शिक्षक कंप्यूटर साइंस में नियुक्त होंगे. कंप्यूटर साइंस में 8395 पदों पर शिक्षकों की नियुक्ति होगी. इसके बाद इतिहास के लिए 5870, राजनीति शास्त्र के लिए 5354, भौतिक विज्ञान के लिए 3022, अंग्रेजी के लिए 3535 और हिंदी के लिए 3221 पदों पर नियुक्तियां होंगी. इसी प्रकार जंतु विज्ञान में 2683, वनस्पति विज्ञान में 2738, रसायन शास्त्र में 4799, गणित में 2673 और अर्थशास्त्र में 997, भूगोल में 1033, गृह विज्ञान में 1275, संगीत में 2043 दर्शनशास्त्र में 170, मनोविज्ञान में 2015, समाजशास्त्र में 1434, अकाउंटेंसी में 612, बिजनेस स्टडीज में 1328 में इंटर प्रेन्योरशिप में 292 संस्कृत में 1289 और उर्दू में 1749 पदों पर शिक्षकों की नियुक्ति होगी.

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