पटना: केंद्रीय मंत्री आरसीपी सिंह को लेकर जेडीयू में ऊहापोह (Differences in JDU over RCP Singh) की स्थिति है. यही वजह है कि अब तक राज्यसभा उम्मीदवार की घोषणा नहीं हो पाई है. आरसीपी सिंह को राज्यसभा का टिकट (Suspense on RCP Singh Rajya Sabha candidature) मिलेगा या नहीं, इस पर सस्पेंस अभी भी बना हुआ है. नीतीश कुमार के लिए भी फैसला लेना कठिन हो रहा है, क्योंकि आरसीपी सिंह उनके खासमखास माने जाते हैं तो वहीं ललन सिंह नीतीश कुमार के पुराने मित्रों में से हैं. ऐसे में सीएम के फैसले से एक गुट का नाराज होना तय है. हालांकि पार्टी में गुटबाजी से जेडीयू के प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा साफ इंकार करते हैं.
ये भी पढ़ें: एक 'तीर' से सीएम नीतीश का डबल गेम, RCP को कबूल होगी मुख्यमंत्री की शर्त!
ललन सिंह और आरसीपी सिंह के बीच विवाद: आरसीपी सिंह पिछले 28 सालों से नीतीश कुमार के साथ हैं तो वहीं ललन सिंह उनसे भी पहले से नीतीश कुमार से जुड़े हुए हैं. हालांकि बीच में ललन सिंह जरूर विद्रोही हो गए थे. इसके बावजूद ललन सिंह की नीतीश कुमार से नजदीकियां को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है. केंद्र में जब से आरसीपी सिंह मंत्री बने हैं, तब से ललन सिंह उनसे नाराज हैं. उत्तर प्रदेश चुनाव से लेकर पार्टी के कई कार्यक्रमों को लेकर भी विरोधाभास दोनों नेताओं का सामने आ चुका है.
"पार्टी में कोई गुटबाजी नहीं है. जेडीयू के सर्वमान्य नेता मुख्यमंत्री नीतीश कुमार हैं और एनडीए के घटक दल भी नीतीश कुमार के नेतृत्व में विश्वास और आस्था रखते हैं. उन्हीं के नेतृत्व में सरकार चल रही है. लिहाजा कहीं कोई दिक्कत नहीं है"- उमेश कुशवाहा, प्रदेश अध्यक्ष, जेडीयू
"देखिए जेडीयू बड़ी पार्टी रही है और हमेशा 2-3 राज्यसभा कैंडिडेट को भेजने की क्षमता रही है लेकिन इस बार हमारी केवल एक ही उम्मीदवार को भेजने की कैपेसिटी है. इसके कारण विचार-विमर्श हो रहा है लेकिन फैसला नीतीश कुमार को ही करना है. हम लोग इसके पार्ट नहीं हैं"- अशोक चौधरी, मंत्री, जेडीयू
क्या हैं नीतीश की शर्तें: इस बीच सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक सीएम नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) ने राज्यसभा चुनाव में उम्मीदवारी को लेकर आरसीपी सिंह के सामने एक शर्त रखी है. अब यह आरसीपी सिंह पर है कि वे इसे स्वीकार करें या न करें. बताया जाता है कि नीतीश कुमार के शर्त के मुताबिक आरसीपी सिंह यदि मोदी कैबिनेट का हिस्सा नहीं रहते हैं, तभी उन्हें राज्यसभा के लिए दोबारा नामित (Rajya Sabha ticket to Union Minister RCP Singh) किया जाएगा. इस रणनीतिक कदम से नीतीश कुमार मोदी की कैबिनेट में जदयू का आनुपातिक प्रतिनिधित्व मांगेंगे. इस तरह नीतीश एक तीर से दो निशाना लगायेंगे. एक तो वह आरसीपी को अपनी शर्तों पर रखेंगे और दूसरी तरफ बीजेपी को यह संदेश भी जाएगा कि नीतीश अपना 'शो' चलाना चाहते हैं. वे सांसद की संख्या के आधार पर मोदी मंत्रिमंडल में अपनी दावेदारी चाहते हैं.
अधर में आरसीपी सिंह का राजनीतिक भविष्य: आरसीपी सिंह का राजनीतिक भविष्य अधर में है. नीतीश कुमार ने अब तक राज्यसभा चुनाव को लेकर अपने पत्ते नहीं खोले हैं. दरअसल, जदयू खेमे में इस बात को लेकर नाराजगी है कि केंद्रीय मंत्रिमंडल पार्टी को समानुपातिक प्रतिनिधित्व नहीं मिला है. नीतीश कुमार की इच्छा के विरुद्ध आरसीपी सिंह ने भाजपा के सांकेतिक प्रतिनिधित्व को स्वीकार कर लिया था. इसी बात से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की नाराजगी है. जेडीयू के प्रत्याशी की घोषणा में विलंब का सबसे बड़ा कारण भी यही है.
विश्वसनीय खबरों को देखने के लिए डाउनलोड करें ETV BHARAT APP