पटनाः राजधानी पटना से महज कुछ ही दूरी पर है धनरूआ, जो लाई के लिए काफी मशहूर है. धनरूआ के लाई की खुशबू अब विदेशों तक पहुंच रही है.
सन् 1984 में सबसे पहले इसकी शुरुआत धनरूआ के पंडित गंज के निवासी सीताराम साह हलवाई ने की थी, उसके बाद श्याम बिहारी ने सीताराम साहू से इस की कला सीखी और उसके बाद शुरू हो गया मसौढ़ी के धनरूआ में लाई का व्यवसाय.
लाई के लिए मशहूर है धनरूआ बाजार
वैसे तो बिहार में कई मिठाइयां मशहूर हैं. वहीं धनरूआ का लाई भी उन मिठाइयों में मशहूर है. राजधानी पटना से 25 किलोमीटर की दूरी पर या धनरूआ बाजार है. जहां स्टेट हाईवे पर तकरीबन 2 दर्जन से अधिक लाई का बाजार रोजाना सजता है. जहां आते जाते लोग लाई लेना नहीं भूलते हैं. शुद्ध खोवा और रामदाना से बना यह अनोखी मिठाई लाई जिसकी खुशबू विदेशों तक भी पहुंच रही है.
सीएम नीतीश कुमार को भी खूब भाता है लाई
दरअसल, बोधगया में पर्यटक जब कभी भी आते हैं, यहां रुकते हैं और अपने देश में खास तौर पर लाई जरूर ले जाते हैं. दुकानदार बताते है कि सुबे के मुखिया नीतीश कुमार जब कभी इस रास्ते से गुजरते हैं तो लाई लेना कभी नहीं भूलते. वहीं, लालू प्रसाद यादव रामविलास पासवान,और सुशील मोदी भी इस लाई के मुरीद हैं.
'रोजाना में धनरूआ में सजती हैं 30 लाई की दुकानें'
स्थानीय दुकानदार बताते हैं कि लाई के लिए धनरूआ प्रसिद्ध हो चुका है. धनरूआ में 30 दुकाने लाई की हैं. जैसे-जैसे लाई का डिमांड बढ़ रहा है, वैसे-वैसे इसका रोजगार भी बढ़ता जा रहा है. धनरूआ की सबसे पुरानी दुकान विजय लाई की दुकान है. जिसके वंशजों ने लाई की शुरुआत की थी.
वह बताते हैं- तकरीबन 500 किलो लाई की खपत रोजाना होती है. अब शादी ब्याह से लेकर के अन्य समारोह में लाई कि काफी डिमांड रहता है. शुरुआती दौर में इस लाई की कीमत 25 से 30 रुपये प्रति किलो थी, लेकिन अब इसकी कीमत 250 रुपये प्रति किलो हो गयी है. दाम अधिक होने के बाद भी इस लाई के खरीदारों की संख्या में कोई कमी नहीं आयी है.
शुद्ध खोवे की इस स्वादिष्ट मिठाई से ही आज धनरूआ की पहचान होती है. सन् 1984 में पंडितगंज के रहने वाले सीताराम साव ने धनरूआ लाई की शुरुआत की थी. धनरूआ के प्रसिद्धि शुद्ध खोवे से बनी लाई की धमक अब विदेशों में भी है.