पटनाः बिहार में इन दिनों बढ़ रहे अपराध के मद्देनजर पुलिस मुख्यालय कई तरह के उपाय कर रहा है. पुलिस मुख्यालय की ओर से सभी जिलाधीक्षकों के थाने में दर्ज संगीन अपराध में फरार अपराधियों की गिरफ्तारी सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं. साथ ही पुलिस मुख्यालय अपराधियों की जमानत रद्द कराकर उन पर अंकुश लगाएगी.
बिहार के डीजीपी एसके सिंघल ने आदतन अपराधियों की जमानत रद्द कराने की मुहिम को जोर-शोर से चलाने का निर्देश दिया है. बिहार में इन दिनों हत्या, लूट, अपहरण, दुष्कर्म जैसी वारदात में लगातार वृद्धि हो रही है. जिससे सरकार और प्रशासन की साख गिरती जा रही है.
अपराधियों को चिन्हित करने का निर्देश
9 साल पहले बिहार पुलिस द्वारा शुरू की गई इस मुहिम का खौफ अपराधियों में दिखा था. लेकिन वक्त के साथ जमानत रद्द कराने की कार्यवाही भी सुस्त पड़ती गई जिसका खामियाजा अब पुलिस को फिर से भुगतना पड़ रहा है. अपराधी लगातार एक के बाद अपराधिक घटना को अंजाम दे रहे हैं और आराम से बेल लेकर बाहर घूम रहे हैं.
पुलिस मुख्यालय ने अभियान चलाकर ऐसे अपराधियों को चिन्हित करने का निर्देश दिया है, जो आदतन बार-बार अपराध कर आसानी से बेल लेकर बाहर निकल जाते हैं. वैसे अपराधियों का बेल कैंसिलेशन कराया जाएगा.
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साल 2012 में शुरू हुई थी मुहिम
आपको बता दें कि अपराधियों की जमानत रद्द कराने की मुहिम साल 2012 में शुरू हुई थी. तत्कालीन डीजीपी अभयानंद ने इसके लिए बजाबता एक टीम भी तैयार की थी. ऐसे अपराधियों को चिन्हित किया गया था कि जो बार-बार अपराध में संलिप्त पाए गए थे.
अनुसंधान और स्पीडी ट्रायल पर होगा फोकस
अपराधियों की गिरफ्तारी और त्वरित अनुसंधान और स्पीडी ट्रायल पर फोकस से करने के लिए पुलिस मुख्यालय की तरफ से जिलों के एसपी को कई बिंदुओं पर कार्रवाई के आदेश दिए गए हैं. पुलिस का मानना है कि जमानत रद्द कराने की उनकी कोशिश कामयाब होगी. जमानत मिलने के बाद दोबारा अपराध में शामिल होने के साक्ष्य मिलते हैं तो पूर्व के मामले में मिली जमानत रद्द कराई जा सकती है.
एमआर नायक बनाए गए नोडल पदाधिकारी
जमानत रद्द करने के लिए आईजी बीएमपी एमआर नायक नोडल पदाधिकारी बनाए गए हैं. जिला पुलिस और अदालत के बीच की कड़ी के तौर पर वह इस मुहिम को आगे बढ़ाएंगे. अब देखना यह होगा कि पुलिस द्वारा अपराधियों पर लगाम हेतु यह जो मुहिम की शुरुआत की गई है, वह कितनी कामयाब हो पाती है.