पटना : फर्जी चीफ जस्टिस फोन कॉल मामले पर डीजीपी एसके सिंघल (DGP SK Singhal) पहली बार मीडिया के सामने बयान दिया है. उन्होंने कहा कि यह बेहद ही संवेदनशील मामला है, इसपर अटकलें नहीं लगाई जानी चाहिए. हालांकि जब उनसे मामले में सीबीआई जांच करवाने को लेकर प्रश्न पूछा गया तो उन्होंने इसपर कुछ भी कहने से इंकार कर दिया.
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''ये बहुत ही गंभीर मामला है. इसका अनुसंधान चल रहा है. सबको ये सुझाव दूंगा कि अंदाज पर बात बिल्कुल ना करें. इसका अनुसंधान चलने दीजिए. इसमें कुछ चीजें और भी हैं जिसपर बात की जाएगी. बिल्कुल सही समय पर मैं आपको एक-एक चीज के बारे में ब्रिफ करूंगा.''- एसके सिंघल, डीजीपी, बिहार
CBI जांच पर टिप्पणी करने से इंकार : जब उनसे पूछा गया कि क्या इस मामले में सीबीआई जांच होनी चाहिए, क्योंकि बीजेपी सांसद सुशील मोदी ने यह बात उठायी है. एसके सिंघल ने कहा कि इसपर मुझे कोई टिप्पणी नहीं करनी है. हमारी जो एजेंसी है वह पूरी तरह से सक्षम है. उनके अंदर पूरी दक्षता है. हमें किसी राजनीतिक बात में पड़ना ही नहीं है. हमलोग अफसर हैं. ये बहुत संवेदनशील, पेंचीदा, रेयर टाइप का मामला है. जिसका अनुसंधान अभी चल रहा है.
DGP पर दबाव बनाने के लिए रची साजिश : फर्जी फोन कॉल मामले के बाद बिहार के गृह विभाग ने आदित्य कुमार को उसके दोस्त अभिषेक अग्रवाल की गिरफ्तारी के बाद निलंबित कर दिया है. गया के पूर्व एसएसपी आदित्य कुमार के खिलाफ दर्ज शराब उल्लंघन मामले में क्लीन चिट दिलाने के लिए डीजीपी पर दबाव बनाने के लिए दोनों ने गहरी साजिश रची थी.
चीफ-जस्टिस बना DGP को कराए फोन : पटना हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश संजय करोल के रूप में अभिषेक अग्रवाल ने बिहार के डीजीपी को मुख्य न्यायाधीश के डीपी वाले फोन नंबर से 30 से अधिक कॉल किए थे. बिहार के डीजीपी ने अपनी रिपोर्ट में आदित्य कुमार के खिलाफ उस मामले में गलत तथ्य की ओर इशारा किया था. नतीजतन, वह पुलिस मुख्यालय पटना में एआईजी में शामिल हो गए.
CM नीतीश के निर्देश पर दर्ज हुआ था FIR: 2011 बैच के आईपीएस अधिकारी आदित्य कुमार गया के एसएसपी थे और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के निर्देश पर उन पर आईपीसी की धारा 353, 387, 419, 420, 467, 468, 120बी, 66सी और 66 के तहत फतेहपुर थाने में मामला दर्ज किया गया था. उनके अलावा फतेहपुर के एसएचओ संजय कुमार को भी सह आरोपी बनाया गया है.