पटना: अप्रैल 2016 में बिहार 5वां ऐसा राज्य बना था, जिसने देश में पूर्ण शराबबंदी कानून को लागू किया था. अप्रैल 2016 से बिहार में पूर्ण शराबबंदी है. शराबबंदी के लगभग 6 साल होने जा रहे हैं. इसके बावजूद भी बिहार के कई जिलों में जहरीली शराब से कई लोगों की मौत (Death due to Poisonous Liquor in Bihar) हो चुकी है. इसके बावजूद भी राज्य सरकार शराबबंदी को लेकर अपनी पीठ खुद थपथपा रही है.
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शराबबंदी के बाद भी नहीं घटा आपराधिक ग्राफ : बिहार सरकार का मानना था कि शराबबंदी कानून लागू हो जाने के उपरांत राज्य में आपराधिक वारदातों में कमी आएगी हत्या, लूट, अपहरण और गैंगरेप जैसी घटनाओं में कमी आएगी, लेकिन ना ही अपराध में किसी तरह की कोई कमी आई है और ना ही पूर्ण रूप से बिहार में शराबबंदी कानून लागू हो पाया है. आए दिन बिहार में शराब की बड़ी-बड़ी खेप पकड़ी जा रही हैं. सरकार के दबाव के कारण अब बिहार में जहरीली शराब पीने पर लोग मजबूर हो गए हैं. जिस वजह से आए दिन जहरीली शराब से लोगों की मौतें हो रही हैं.
बिहार में जहरीली शराब से मौत: होली के दौरान जहरीली शराब पीने की वजह से अब तक करीबन 40 लोगों से ज्यादा की मौत हो चुकी है साल 2022 में अब तक लगभग 60 से ज्यादा लोगों की मौत जहरीली शराब से हो चुकी है. वहीं, साल 2021 की बात करें तो लगभग 90 लोगों की मौत जहरीली शराब से हुई थी. हालांकि, सरकार और पुलिस मुख्यालय के पास शराब से मौत का आंकड़ा मौजूद नहीं है. या यूं कहे कि सही आंकड़ों को छुपाने की कोशिश की जा रही है.
ड्राई स्टेट बिहार में जहरीली शराब: बिहार में अप्रैल 2016 से पूर्ण शराबबंदी लागू है, लेकिन महाराष्ट्र और गोवा की तुलना में बिहार में शराब की खपत आज भी ज्यादा है. कहने को तो बिहार में शराबबंदी है लेकिन ऐसा कहीं भी दिखाई नहीं दे रहा है. ड्राई स्टेट में जहरीली शराब पीने से मौतों का सिलसिला बंद होने का नाम नहीं ले रहा है. बिहार राज्य में खासकर पर्व त्योहार के समय में ज्यादा लोग जहरीली शराब पीने से मौत का शिकार हो रहे हैं.
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पहले दिवाली पर हुई थी करीब 40 मौत: साल 2021 के दिवाली के समय पश्चिम चंपारण, वैशाली, मुजफ्फरपुर, गोपालगंज और सिवान में जहरीली शराब की वजह से 40 से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी. इस बार होली के समय जहरीली शराब पीने की वजह से अब तक लगभग 40 लोगों की मौत हो चुकी है. हालांकि, कई लोगों ने पुलिस के डर से उनके परिजनों की हुई मौत के बारे में भी हिचक के मारे दाह संस्कार करना ही मुनासिब समझा है.
बिहार में जहरीली शराब से सैकड़ों मौत: पुलिस मुख्यालय के सूत्रों से मिल रही जानकारी के अनुसार 6 साल में जहरीली शराब पीने से लगभग 200 लोगों की मौत हो चुकी है. हालांकि, आधिकारिक रूप से कोई भी इस बात की पुष्टि नहीं कर रहा है. साल 2016 के अगस्त महीने में गोपालगंज के खजुर्बानी में जहरीली शराब पीने की वजह से 19 लोगों की मौत हो गई थी और 6 लोगों की आंखों की रोशनी चली गई थी.
29 जुलाई 2017 को मुंगेर के असरगंज थाना क्षेत्र के रहमतपुर बादशाह के मुसहरी टोला में जहरीली शराब के सेवन से 8 लोगों की मौत हुई थी. घटना के बाद उस एरिया का अधिकतर लोग घर छोड़कर भाग खड़े हुए थे. 6 फरवरी 2021 के कैमूर जिले में जहरीली शराब पीने से 2 व्यक्तियों की मौत हुई थी, जिसके बाद भगवान पुलिस थाना क्षेत्र के कुरसन गांव में जहरीली शराब पीने से 4 लोग बीमार पड़ गए थे.
19 फरवरी 2021 गोपालगंज जिले के विजयपुर थाना क्षेत्र में कथित जहरीली शराब पीने से 2 मजदूरों की मौत हुई थी. इस मामले में हथवा के अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी नरेश कुमार के जांच रिपोर्ट के आधार पर वहां के एसपी ने थाना अध्यक्ष मनोज कुमार और चौकीदार अमरेश यादव को निलंबित किया था. 20 फरवरी 2021 को मुजफ्फरपुर जिले के कटरा प्रखंड के दरगाह टोला से शराब पीने के कारण मौत की खबर सामने आई थी, जहां जहरीली शराब पीने से 5 लोगों की मौत हुई थी.
23 मार्च 2021 को मुजफ्फरपुर के अधेड़ की संदिग्ध स्थिति में मौत हो गई थी. अधेड़ की मौत होने के बाद आसपास के गांव में जहरीली शराब पीने से मौत होने की चर्चा जोर पकड़ने लगी थी. ग्रामीणों का कहना था कि किशोर साहनी पास के गांव स्थित शराब भट्टी पर शराब पीने गया था. वहां से लौटने के दौरान उसकी मौत हुई थी. 30 मार्च 2021 से 2 अप्रैल 2021 तक नवादा में जहरीली शराब पीने से अलग-अलग जगह पर 15 लोगों की जान गई थी. जांच में पाया गया था कि जहरीली शराब यानी कि नकली शराब पीने से इनकी मौत हुई है.
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जुलाई 2021 में पश्चिम चंपारण के लोरिया और रामनगर प्रखंड क्षेत्र में जहरीली शराब के सेवन से 16 लोगों की मौत हुई थी. 3 अगस्त को वैशाली के राघोपुर में जुड़ावनपुर थाना क्षेत्र में जहरीली शराब पीने से 5 लोगों की जान गई थी. नवंबर 2021 में शुरुआती दिनों में पश्चिम चंपारण, वैशाली, मुजफ्फरपुर और गोपालगंज में 1-1 लोगों की मौत जहरीली शराब पीने की वजह से हुई थी, जिसकी जांच अभी भी चल रही है. होली के दौरान बांका में 13, मधेपुरा में 3, सिवान में 3 और भागलपुर में 22 लोगों की जान चली गई है. लोगों की जहरीली शराब पीने से मौत की खबर सामने आई थी.
अब होली पर हुई करीब 40 मौत: बिहार में होली के मौके पर और फिर उसके बाद भागलपुर, बांका, मधेपुरा, बक्सर, सिवान और शेखपुरा में 40 लोगों की मौत हो गई है. इसके अलावा कई लोगों की आंखों की रोशनी चली गई है. यही नहीं गंभीर अवस्था में कुछ लोग विभिन्न निजी और सरकारी अस्पतालों में इलाज करवा रहे हैं. चर्चा यह भी है कि जहरीली शराब पीने से 1 की मौत हुई है. ग्रामीण और उनके परिजन दबी जुबान में ये स्वीकार करते हैं, लेकिन प्रशासनिक कार्रवाई के डर से साफ तौर पर कुछ भी नहीं कहते हैं.
लीपापोती में लगा प्रशासन: बता दें कि जिनकी मौत हुई है उनमें से ज्यादातर लोगों को पेटदर्द, सांस लेने में परेशानी, उल्टी और सिर में चक्कर आने की शिकायत थी. ज्यादातर लोगों की तबीयत बिगड़ी और अस्पताल में इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई. कहीं ना कहीं परिजनों द्वारा पुलिस के डर से बिना पोस्टमार्टम करवाए ही अंतिम संस्कार भी किया गया है. हालांकि उसके बाद होली के बाद बिहार में एक साथ कई जिलों में 40 लोग से अधिक रहस्यमय तरीके से मौत हो गई है. जहां लोग इसका कारण जहरीली शराब का सेवन बता रहे हैं. वहीं, प्रशासन कहीं ना कहीं अपनी रिपोर्ट में इसकी वजह बीमारी बता रहे हैं.
शराबबंदी कानून लागू होने के बाद बिहार में पहले जहां 6000 दुकान में खुलेआम शराब बिका करती थी और राज्य सरकार को इससे करीब डेढ़ हजार करोड़ रुपए आता था. इसके बाद 5 अप्रैल 2016 को बिहार में शराब पीने पर पूर्ण रूप से बैन लगा दिया गया, बिहार में खुलेआम शराब की बिक्री बंद हो गई. लेकिन, पड़ोसी देश नेपाल और फिर दूसरे राज्यों जैसे यूपी, झारखंड, पंजाब, हरियाणा से इसकी आपूर्ति होने लगी. पहले पड़ोस के राज्यों से सटे लोग केवल पीने के लिए दो-तीन घंटे का सफर से नहीं हिचकते थे. धीरे-धीरे चोरी छिपे शराब को राज्य में लाने का भी खेल का पूरा नेटवर्क तैयार हो गया और लोगों की डिमांड भी पूरी होने लगी.
बिहार में बढ़ी आपराधिक वारदातें: शराबबंदी कानून लागू होने के बावजूद भी बिहार में आपराधिक वारदातों में किसी भी तरह की कोई कमी नहीं आई है. दूसरी तरफ बिहार के विभिन्न जिलों में लगातार हत्या की खबरें भी सामने आ रही हैं. बिहार पुलिस के आंकड़ों पर गौर करें तो साल 2016 में कुल 1,89,681 मामले दर्ज हुए थे, जिसमें हत्या, लूट, डकैती, चोरी, दंगा, किडनैपिंग, रेप से जुड़े मामले थे. इनमें से अगर सिर्फ हत्या की बात करें तो साल 2016 में 2581 हत्या के मामले दर्ज हुए थे. वहीं, साल 2017 में यह बढ़कर बिहार में कुल 2,36,037 मामले दर्ज हुए थे, जिसमें से हत्या के सिर्फ 2803 मामले दर्ज हुए थे. साल 2018 में कुल आपराधिक वारदात 2,62,802 दर्ज हुआ था, जिसमें से सिर्फ हत्या के 2933 मामले दर्ज हुए थे.
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साल दर साल अपराधों में बढ़ोतरी: पुलिस मुख्यालय की ऑफिशियल वेबसाइट के आंकड़े के मुताबिक साल 2019 के सितंबर माह तक 2,05,692 मामले दर्ज हुए थे, जिसमें से सिर्फ हत्या के 2379 मामले थे. वहीं, साल 2020 में कुल 2,57,506 मामले दर्ज हुए थे, जिसमें से सिर्फ हत्या के 3149 मामले दर्ज हुए थे. साल 2021 की बात करें तो कुल 2,82,067 मामले दर्ज हुए हैं, जिसमें से 27 और 99 मामले हत्या के दर्ज हुए हैं. इन आंकड़ों को देखकर ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि शराबबंदी कानून लागू होने के बावजूद भी साल दर साल आपराधिक वारदातों में वृद्धि हुई है.
जहरीली शराब से हो रही लगातार मौत को लेकर पुलिस मुख्यालय कुछ भी खुलकर बोलने से बच रहा है. पुलिस मुख्यालय के एडीजी जितेंद्र सिंह गंगवार (ADG Jitendra Singh Gangwar) के मुताबिक शराबबंदी कानून जब से लागू हुआ है, तब से पुलिस प्रशासन मुस्तैदी से कार्य कर रहा है. जो घटना घटित हुई है स्थानीय प्रशासन को कड़े निर्देश दिए गए हैं. पुलिस प्रशासन के साथ-साथ जिला प्रशासन और एक्साइज डिपार्टमेंट इन सभी मामलों की छानबीन कर रही है. सभी मामलों में कांड दर्ज कर लिए गए हैं.
''आसपास के इलाकों में जो लोग भी इलाजरत है, उनका बयान लेकर रिपोर्ट तैयार की जाएगी. जो लोग भी दोषी होंगे उन्हें कड़ी से कड़ी सजा दिलाई जाएगी. शुरुआती दौर में बीमारी की बात सामने आ रही है. हालांकि, यह भी नहीं कहा जा सकता है कि सभी लोगों की मौत बीमारी की वजह से ही हुई है. या यूं कहें कि यह भी नहीं कहा जा सकता है कि सभी लोगों की मौत जहरीली शराब पीने से हुई है. हालांकि, सस्पेक्ट मानकर अनुसंधान किया जा रहा है. जल्द ही इस मामले का खुलासा किया जाएगा.''- जितेंद्र सिंह गंगवार, एडीजी, पुलिस मुख्यालय
पूर्व आईपीएस के निशाने पर सरकार: वहीं, जहरीली शराब से हो रही मौत को लेकर पूर्व आईपीएस अधिकारी अमिताभ दास ने कहा कि बिहार में कीड़े मकोड़े की तरह जहरीली शराब से लोगों की मौत हो रही है. मुख्यमंत्री कहीं ना कहीं इन मामलों में चुप्पी साध साध रखे हैं. राज्य सरकार शराबबंदी कानून को पालन करवाने के लिए तरह-तरह के हथकंडे अपना रही है, इसके बावजूद भी शराबबंदी नहीं लागू हो पा रही है. राज्य सरकार कहीं ना कहीं शराबबंदी कानून के तहत ड्रोन कैमरे, हेलीकॉप्टर के अलावा कई तरह के महंगे उपकरण का इस्तेमाल कर रही है, लेकिन जमीन पर इसका कोई असर नहीं दिखाई दे रहा है. उन्होंने कहा कि जो 40-50 लोगों की मौत की खबर आ रही है, यह सिर्फ रिपोर्टेड केस हैं. इससे ज्यादा केस की रिपोर्ट भी छुपाई गई है.
''किसी परिवार में अगर जहरीली शराब पीने से मौत हो रही है तो चोरी चुपके उसका दाह संस्कार किया जा रहा है, क्योंकि फिर पुलिस उस पर दबाव बनाएगी. जिस वजह से परिवार के सदस्य भी छुपाने की कोशिश कर रहे हैं. शराबबंदी कानून कहीं ना कहीं राज्य सरकार की सबसे बड़ी विफलता है. एक ओर जहां जहरीली शराब से दर्जनों लोगों की मौत हो रही है, तो वहीं राज्य सरकार बिहार दिवस के नाम पर करोड़ों रुपए पानी में बहा रही है. जब बिहार में शराबबंदी पूर्ण रूप से हुई ही नहीं है तो अपराध में कमी नहीं आ सकती है, जिस वजह से साल दर साल अपराध के ग्राफ में भी बढ़ोतरी हो रही है.''- अमिताभ दास, पूर्व आईपीएस अधिकारी
'बिहार में भ्रष्ट अधिकारी हो रहे मालामाल': पूर्व आईपीएस अधिकारी ने कहा कि शराबबंदी के कारण बिहार में एक बड़ा माफिया पैदा हो गया है. बिहार में जो भ्रष्ट अधिकारी हैं, वह मालामाल हो रहे हैं. शराब होम डिलीवरी हो रही है. बिहार में अगर किसी के पास पैसे हो तो वह किसी भी ब्रांड की शराब घर बैठे मंगवा कर पी सकता है. राज्य सरकार की नियत सबसे पहले साफ होनी चाहिए. मौजूदा वक्त में सिर्फ बिहार में गरीब और दलित समाज के लोग ही जेल में बंद हैं, जबकि जो माफिया लोग हैं वह खुलेआम अभी भी घूम रहे हैं. सरकार का संरक्षण उन्हें प्राप्त है.
''मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा हड़बड़ी में लिया गया यह फैसला है. नीतीश कुमार वह पहले शख्स थे, जिन्होंने बिहार की गली मोहल्ले में शराब की दुकानें खुलवाई थी. जब उन्हें अपनी राजनीतिक भूल का अहसास हुआ तो आनन-फानन में उन्होंने शराबबंदी करने का फैसला किया. आज उसी के फलस्वरुप बिहार में जहरीली शराब से लगातार मौत हो रही है और अपराध का ग्राफ भी कम होने के बजाय लगातार बढ़ता जा रहा है.''- चंदन सिंह, प्रवक्ता, लोजपा रामविलास
''ये बिहार के लिए चिंता का विषय है, क्योंकि राज्य सरकार ने शराबबंदी को सख्ती से लागू किया है. चोरी छिपे शराब की बिक्री हो रही है और जहरीली शराब से लोगों की मौत हो रही है. इसके बावजूद भी राज्य सरकार ने हार नहीं मानी है और इसकी कार्रवाई के लिए हेलीकॉप्टर और ड्रोन के अलावा कई तरह से शराबियों पर नजर रखी जा रही है. एक ना एक दिन राज्य सरकार पूर्ण शराब बंदी कानून लागू करने में सफलता हासिल करेगी. हम चाह कर भी बिहार के सभी घर में पुलिस नहीं बैठा सकते हैं. शराबबंदी कानून में जन सहयोग की जरूरत है. राज्य की आबादी बहुत बड़ी है. घटना में जरूर कमी आई है, लेकिन समय पहले वाला नहीं है. पहले अपराधी अपराध कर बैठ जाता था, लेकिन अब अपराधी को जल्द से जल्द राज्य सरकार या बिहार पुलिस सजा दिलवा रही है.''- विनोद शर्मा, प्रवक्ता, बीजेपी
महाराष्ट्र से ज्यादा बिहार में शराब की खपत: आपको बता दें कि राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण 2020 की रिपोर्ट के मुताबिक ड्राई स्टेट होने के बावजूद भी बिहार में महाराष्ट्र से ज्यादा लोग शराब पी रहे हैं. आंकड़े बताते हैं कि बिहार में 15.5% पुरुष शराब का सेवन करते हैं. वहीं, महाराष्ट्र में शराब प्रतिबंध नहीं है, लेकिन शराब पीने वाले पुरुषों की तादात 13.9% है. राज्य सरकार का मानना था कि बिहार में शराबबंदी कानून सख्ती से लागू होने के बाद कहीं ना कहीं बिहार में आपराधिक वारदातों में कमी आएगी, लेकिन इसका असर भी नहीं देखने को मिल रहा है. आए दिन बिहार में हत्या, लूट, अपहरण और गैंगरेप जैसी वारदातों में बढ़ोतरी हो रही है.
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