पटनाः बिहार में नई शिक्षक नियमावली का विरोध लगातार हो रहा है. ऐसे में बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ ने 1 मई से चरणबंद्ध आंदोलन करने का फैसला लिया है. इसकी जानकारी बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ के महासचिव व बलिया के पूर्व सांसद शत्रुघ्न प्रसाद सिंह ने प्रेसवार्ता में दी. सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि बिना कोई शर्त शिक्षकों को राज्यकर्मी का दर्जा दें, अन्यथा चरणबद्ध आंदोलन होगा. सरकार यदि सभी नियोजित शिक्षकों को जल्द सीधे राज्य कर्मी का दर्जा और सरकारी प्रावधानों के तहत सम्मानजनक वेतन नहीं देती है तो संघर्ष शुरू करेंगे.
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बिना प्रमोशन काम कर रहे शिक्षकः पूर्व सांसद शत्रुघ्न प्रसाद सिंह ने कहा कि हाल ही में शिक्षा विभाग जिस वेतनमान की स्वीकृति शिक्षकों के लिए दी है, वह कहीं से भी सरकारी कर्मियों का वेतनमान नहीं है. पुरानी शिक्षक जो 17 वर्षों से कार्यरत हैं, उनकी उपेक्षा कर उनके वेतन की विसंगतियां दूर नहीं की गई है. पूरे सेवाकाल में कोई प्रोन्नति नहीं दी गई है. विगत 17 वर्षों से बिना प्रमोशन के काम कर रहे हैं. बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ के अध्यक्ष रघुवंश प्रसाद सिंह की अध्यक्षता में शनिवार को बैठक संपन्न हुई है. निर्णय लिया गया है कि अध्यापक नियुक्ति नियमावली 2023 के प्रतिरोध में राज्यव्यापी संघर्ष की शुरुआत 1 मई 2023 मजदूर दिवस के मौके पर की जाएगी.
प्रत्येक जिला मुख्यालय में होगा प्रदर्शनः राज्य के प्रत्येक जिला मुख्यालय में प्रदर्शन किया जाएगा और मुख्यमंत्री को प्रत्येक जिले के डीएम के माध्यम से ज्ञापन सौंपा जाएगा. शत्रुघ्न प्रसाद सिंह ने कहा कि उनके आंदोलन में बिहार राज्य प्रारंभिक शिक्षक संघ और बिहार राज्य प्राथमिक शिक्षक संघ के अलावा विभिन्न शिक्षक संगठन भी शामिल होंगे. उन्होंने कहा कि 1 मई के दिन प्रदर्शन के बाद 20 मई 2023 को प्रखंड मुख्यालय में आयुक्त के समक्ष तमाम शिक्षक प्रदर्शन करेंगे और फिर से एक बार आयुक्त को ज्ञापन सौंपेंगे.
20 मई से धरना भी होगाः शत्रुघ्न प्रसाद सिंह ने कहा कि इसके बाद भी यदि सरकार निर्णय में बदलाव नहीं करती है और बिना परीक्षा लिए राज्य कर्मी का दर्जा नहीं देती है तो 20 मई से जून के प्रथम सप्ताह तक जिला स्तर पर धरना कार्यक्रम चलेगा. तमाम शिक्षक संगठन साथ में रहेंगे. जुलाई महीने में विधानसभा सत्र का आयोजन किया जाएगा तो विधानमंडल का घेराव करने के साथ-साथ तमाम शिक्षक सभी मंत्रियों और विधायकों के आवास का भी घेराव करेंगे. घेरा डालो, डेरा डालो कार्यक्रम करेंगे. इस दौरान स्कूलों में जो शैक्षणिक व्यवस्था प्रभावित होगी, उसकी जिम्मेदारी सरकार की होगी.
सरकार का छलावा वाला व्यवहारः शत्रुघ्न प्रसाद सिंह ने कहा कि शिक्षकों की गुणवत्ता में कोई कमी नहीं है, बल्कि शिक्षक पहले पात्रता परीक्षा को उत्तीर्ण हुए हैं, फिर दक्षता परीक्षा उत्तीर्ण हुए हैं. बार-बार इस प्रकार से परीक्षा लेकर सरकार उन्हें नीचा दिखा रही है. सरकार विभागीय स्तर पर परीक्षा ले, कोई आपत्ति नहीं है. बिहार सरकार ने जो शिक्षक नियुक्ति नियमावली के तहत प्रावधान लाया है, उससे देश में बिहार एकमात्र अनोखा राज्य होगा, जहां एक ही विद्यालय में तीन अलग-अलग व्यवस्था के तहत शिक्षक नियुक्त होंगे. सभी की सेवा शर्त और वेतनमान तो अलग-अलग होगी. ऐसे में उन शिक्षकों को समान वर्ग में पढ़ने वाले विद्यार्थियों के साथ ही शैक्षणिक कार्य करना होगा. यह कदम शिक्षकों के साथ सरकार का छलावा वाला व्यवहार है.
"शिक्षक नियमावली 2023 का विरोध किया जाएगा. सरकार शिक्षकों को बिना शर्त के राज्यकर्मी का दर्जा दें. नई नियमावली के विरोध में 01 मई को पूरे राज्य में चरणबद्ध आंदोलन चलाया जाएगा. इसके बाद भी सरकार मांग नहीं मानती है तो आने वाले समय में भी प्रदर्शन किया जाएगा, जिसमें पूरे राज्य के शिक्षक शामिल होंगे. इस आंदोलन के कारण पढ़ाई बाधित होगी तो इसका जिम्मेवार सरकार होगी." -शत्रुघ्न प्रसाद सिंह, पूर्व सांसद