पटना: इस साल होली (Holi 2023) 8 मार्च को मनाई जा रही है. पर्व को लेकर रंग गुलाल का बाजार सज गया है. हालांकि इस बार राजधानी में इस बार हर्बल गुलाल के साथ इको फ्रेंडली रंगों की डिमांड है. हालांकि यह थोड़ा महंगा है लेकिन लोग इन्हें खरीदना पसंद कर रहे हैं. इन दुकानदारों की मानें तो बाजार में हर्बल गुलाल की ज्यादा मांग है. लोग बढ़-चढ़कर इन रंगों को खरीद रहे हैं. बाजार में ये हर्बल गुलाल पीले, हरे, लाल, गुलाबी और केसरिया जैसे रंगों में उपलब्ध हैं.
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गुलाल को लेकर खरीदार जागरूक: राजधानी के कारोबारी आशीष कुमार बताते हैं कि इस बार गुलाल की खरीद को लेकर लोगों में काफी जागरूकता देखी जा रही है. लोग साधारण और केमिकल युक्त गुलाल को खरीदने से परहेज कर रहे हैं. वह कम मात्रा में ही गुलाल खरीद रहे हैं लेकिन उनकी प्राथमिकता हर्बल की है. आशीष यह भी बताते हैं कि यह हर्बल गुलाल त्वचा के लिए एकदम मुफीद हैं और इनसे कोई नुकसान नहीं है. इन गुलाल के कई पैकेट बाजार में खरीदारों के लिए उपलब्ध है. लोग अपनी सुविधा के अनुसार इन पैकेट्स को खरीद सकते हैं.
होली में हर्बल गुलाल की मांग: आशीष बताते हैं कि हर्बल गुलाल दो तरह के हैं. जिनमें से वैसे भी हर्बल गुलाल हैं, जो अपने पटना में बने हुए हैं. वहीं दूसरी तरफ उत्तर प्रदेश के हाथरस, आगरा से लेकर राजस्थान के जयपुर से हर्बल गुलाल के का कच्चे माल को मंगाया जाता है. उन्हें पटना में अंतिम रूप दिया जाता है और वह बाजार में बिकने के लिए चला आता है. दोनों ही प्रकार के गुलाल उपलब्ध हैं और यह सभी रंगों में है. लोग अपने मनपसंद रंग के अनुसार इन गुलाबों की खरीद कर रहे हैं.
"इस बार होली पर हर्बल गुलाल की मांग अधिक है, क्योंकि इसमें केमिकल नहीं रहता है. इससे हमारे शरीर में कोई साइड इफेक्ट भी नहीं पड़ता है. इन हर्बल गुलाल को लगाने में भी कोई नहीं डरता है. लोग खुशी से इन्हें लगा लेते हैं. बाजार में अभी हर्बल ही बिक रहे हैं. इस बार केमिकल वाले गुलाल की डिमांड नहीं है क्योंकि उसके लगाने के बाद स्किन में कई तरह की बीमारियां हो जाती हैं, जबकि हर्बल गुलाल लगाने के बाद एक बार में ही साफ हो जाता है"- आशीष कुमार, दुकानदार
अभी है हर्बल गुलाल की मांग: राजधानी के ही एक और दुकानदार अंजनी पटेल कहते हैं कि हर्बल गुलाल में किसी भी प्रकार का केमिकल नहीं होता है. हर्बल गुलाल शुद्ध रूप से वनस्पति से तैयार होता है. इससे चर्म रोग का कोई डर भी नहीं होता है. अभी बाजार में हर्बल गुलाल 120 रुपये से लेकर 700 रुपये तक में बिक रहा है. यह विभिन्न प्रकार के पैकेट में है. रेंज बढ़ने का एक कारण यह भी है कि कुछ गुलाल पटना के बाहर से बनकर आते हैं. यहां आते-आते उसकी कीमत बढ़ जाती है. इसके अलावा क्वालिटी पर भी रेंज निर्भर करता है. क्वालिटी वाला हर्बल गुलाल अभी प्रचलन में है. महिलाएं विशेष रूप से पसंद कर रही हैं. अंजनी बताते हैं कि बिहार के अलावा नेपाल और झारखंड में भी गुलाल यहां से जाते हैं.
हानिकारक है रासायनिक गुलाल: वहीं, पीएमसीएच में एसोसिएट प्रोफेसर और वरिष्ठ चर्म रोग विशेषज्ञ डॉक्टर पंकज तिवारी कहते हैं कि बाजार में रासायनिक और हर्बल दो तरह के गुलाल उपलब्ध हैं. आम आदमी को इनमें फर्क पता नहीं होता है. रासायनिक गुलाल में बहुत तरह के केमिकल को मिलाकर तैयार किया जाता है, जबकि हर्बल में टेसू के फूल, सैंडलवुड, रोजवुड या गुलाब की पंखुड़ियों के मिश्रण से गुलाल तैयार किया जाता है.
"रासायनिक गुलाल हमारी त्वचा पर बहुत तरह के दुष्प्रभाव छोड़ते हैं. जिनकी त्वचा में पहले से एलर्जी की समस्या है या चेहरे पर दाग धब्बे या फिर कील मुहासे हो, उनके लिए यह जहरीले रसायन बहुत ही दुष्प्रभावी हैं. जिनकी त्वचा में कोई दुष्प्रभाव नहीं है, उनको भी इन रसायनिक गुलाल के दुष्प्रभाव से बचना चाहिए. यह न सिर्फ हमारी आंखों को बल्कि हमारी त्वचा, हाथ पैरों, होठों को इन सभी जगहों पर इनका दुष्प्रभाव पड़ता है. हर्बल या ऑर्गेनिक गुलाल में रसायनिक पदार्थ बहुत ही कम मात्रा में होते हैं"- डॉ. पंकज तिवारी, वरिष्ठ चर्म रोग विशेषज्ञ
कैसे करें रासायनिक और हर्बल गुलाल में अंतर?: विशेषज्ञ कहते हैं कि गुलाल को खरीदते वक्त उसे सूंघकर देखें. अगर उसमें किसी केमिकल या पेट्रोल की गंध आती है तो नहीं खरीदे. किसी भी तरह की गंध उसमें मिले केमिकल की पहचान हो सकती है, जबकि आमतौर पर हर्बल रंगों में खुशबू होती है. अगर खुशबू न हो तो कोई गंध नहीं होता लेकिन ये केमिकल से अलग होते हैं. वहीं इन गुलाल को खरीदते समय थोड़ा सा गुलाल पानी में घोल कर देखें. अगर गुलाल पानी में नहीं घुलता है तो हो सकता है कि इसमें केमिकल हो. ऐसे गुलाल को न खरीदें. साथ ही गुलाल खरीदते वक्त यह जरूर देखें कि उसमें चमकीले कण न हों. आमतौर पर प्राकृतिक गुलाल में ऐसे कण नहीं होते और वे मिलावटी रंगों की तरह चटख भी नहीं होते हैं.