पटना: साल 2018 में बिहार के मुजफ्फरपुर बालिका गृह कांड ने देश ही नहीं दुनिया को भी झकझोर कर रख दिया था. यह मामला अभी शांत भी नहीं हुआ है कि राजधानी पटना सिटी स्थित बालिका गृह की महिला ने रिमांड होम (Gaighat Shelter Home Patna) की अधीक्षिका पर गंभीर आरोप लगाए हैं. हालांकि बालिकाओं के आरोप को समाज सुधार विभाग द्वारा निराधार बताकर वहां की इंचार्ज को क्लीन चिट दे दी गई है.
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दरअसल, राजधानी पटना के आलमगंज थाना के गायघाट शेल्टर होम की अधीक्षिका शिखा वंदना गुप्ता (Gaighat Shelter Home Superintendent Sheekha Bandana Gupta) पर वहीं की एक लड़की ने वीडियो वायरल कर गंभीर आरोप लगाए हैं. युवती द्वारा आरोप लगाया गया है कि वंदना गुप्ता द्वारा लड़कियों को जिंदगी बनाने के नाम पर बाहरी लोगों के साथ भेजा जाता था. उसने वहां की अधीक्षिका पर आरोप लगाया है कि सुधार गृह में लड़कियां कानून की मर्जी से आती हैं और वंदना गुप्ता की मर्जी से ही जाती हैं.
हालांकि वीडियो वायरल होने के बाद पूरे मामले की जांच शुरू कर दी गई है. समाज कल्याण विभाग ने अपने स्तर से जांच की है. जांच के बाद विभाग ने वायरल वीडियो में लगाए गए आरोपों को निराधार बताकर वहां की अधीक्षिका को क्लीन चिट दे दी है. हालांकि ईटीवी भारत से टेलीफोनिक बातचीत के दौरान पटना के एसएसपी ने बताया कि मामले की जांच कराई जा रही है. अगर जांच में सत्यता मिलेगी तो प्राथमिकी दर्ज कर कानूनी कार्रवाई की जाएगी.
वहीं, बालिका गृह कांड मामले के तूल पकड़ने के बाद विपक्ष सरकार पर हमलावर हो गया है. राजद के प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने सरकार पर हमला करते हुए कहा कि 'यह घटना बिहार ही नहीं पूरे देश को झकझोर देने वाली है. मुजफ्फरपुर कांड अभी शांत भी नहीं हुआ है कि राजधानी पटना की बालिका गृह का नया मामला सामने आ गया है. जल्द से जल्द इस मामले की निष्पक्ष जांच करवानी चाहिए. तभी जाकर दूध का दूध और पानी का पानी होगा.'
वहीं लोजपा के प्रवक्ता चंदन सिंह ने कहा, 'यह काफी निंदनीय और गंभीर मामला है. इस मामले की जांच टीम गठित कर की जानी चाहिए. तभी जाकर इसकी सत्यता सामने आएगी. जब बालिका गृह में रहने वाली लड़कियां सुरक्षित नहीं हैं तो आम लड़कियों की बात करना ही बेमानी है.'
मुजफ्फरपुर शेल्टर होम कांड के बाद राजधानी पटना की बालिका गृह कांड के सामने आने के बाद पॉलिटिकल एक्सपर्ट डॉ. संजय कुमार ने कहा कि यह काफी निंदनीय घटना है. साल 2018 में जिस तरह से मुजफ्फरपुर बालिका गृह कांड हुआ था, उसके बाद फिर से इस तरह की घटना सामने आई है. हालांकि समाज सुधार विभाग ही बालिका गृह को देखता है. इस वजह से उसकी जांच पर भरोसा नहीं किया जा सकता है.
संजय कुमार का कहना है कि बिहार सरकार को इस मामले की निष्पक्ष जांच करवाने के लिए अलग से एक टीम गठित करनी चाहिए. तभी मामले का समाधान हो पाएगा और सत्यता सामने आएगी. वहां की बच्ची जो आरोप लगा रही है, हो सकता है कि यौन शोषण का मामला न हो लेकिन प्रताड़ना का भी मामला सामने आता है तो उसे भी गंभीरता से लेकर कमेटी गठित (Demand for formation of committee On Shelter Home case) कर जांच करवानी चाहिए.
आपको बता दें कि साल 2018 में मुंबई के टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंस ने पूरे बिहार में स्थित आश्रय गृहों का सोशल ऑडिट किया था. जिसमें कहा गया था कि, बृजेश ठाकुर द्वारा संचालित आश्रय गृह में नाबालिग लड़कियों के साथ लगातार यौन शोषण होता है. टीआईएसएस ने अप्रैल 2018 में अपनी रिपोर्ट जमा कराई थी. इसकी समीक्षा के बाद सरकार ने 21 मई 2018 को प्राथमिकी दर्ज कराई थी.
मामला सामने आने के बाद लड़कियों को आश्रय गृह से मधुबनी पटना और मोकामा शिफ्ट किया गया था. बाद में जून में पटना मेडिकल कॉलेज अस्पताल पीएमसीएच में बोर्ड ने बालिका गृह की अधिकांश लड़कियों के साथ यौन शोषण होने की भी पुष्टि की थी. बालिका गृह में मौजूद 42 लड़कियों में से 34 लड़कियों के यौन शोषण की पुष्टि हुई थी.
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लड़कियों द्वारा अदालत के सामने अपनी आप बीती भी बताई गई थी. उन्होंने बताया था कि उनका लगातार शोषण किया जाता था. हालांकि इस मामले में मुख्य आरोपी बृजेश ठाकुर को सजा भी सुना दी गई है. जिसके बाद पटना शेल्टर होम में जो खुलासा हुआ है, उससे मुजफ्फरपुर शेल्टर होम की याद ताजा हो गई है. युवती महिला रिमांड होम से बाहर आने पर सीधे महिला थाने पहुंची, जहां उसने कई राज खोले. हालांकि इस मामले की जांच समाज सुधार विभाग द्वारा की गयी है. फिर भी विपक्ष द्वारा निष्पक्ष जांच कराने के लिए कमेटी की गठन की मांग की जा रही है. अब देखना यह होगा कि राज्य सरकार इस मामले को कितनी गंभीरता से लेती है.
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