पटना: बिहार के कई मेगा प्रोजेक्ट पर ग्रहण खत्म नहीं हो रहा है. कुछ प्रोजेक्ट तो पिछले 11 साल में भी पूरा नहीं (Many mega projects in Bihar are still incomplete) हुआ है. पटना गया डोभी 2013 में शुरू हुआ 9 साल बाद भी पूरा नहीं हुआ. इसी तरह ताजपुर बख्तियारपुर गंगा नदी पर बनने वाला पुल पिछले 11 साल में भी बनकर तैयार नहीं हुआ है अभी भी आधा अधूरा है. दोनों की लागत भी दोगुने से अधिक हो चुकी है. बिहार का पहला एक्सप्रेसवे आज दरभंगा एक्सप्रेस वे का निर्माण चार पैकेज में होना है और चारों का टेंडर जारी हो गया है लेकिन जमीन के पेंच के कारण 2022 में निर्माण कार्य की शुरुआत नहीं हो सकी. अब अगले साल का इंतजार करना होगा. अभी 5000 करोड़ से अधिक का प्रोजेक्ट है.
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दशकों से चर्चा में रहा है पटना गया डोभी मार्ग: पटना गया डोभी सड़क पिछले एक दशक से चर्चा में रहा है. यह महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट है लेकिन पिछले 9 साल में बनकर तैयार नहीं हुआ और अभी भी आधा अधूरा पड़ा है. जबकि इसमें तीन एजेंसी आग लगी हुई हैं. 2013 में 2264.94 करोड़ की लागत थी. आज यह बढ़ कर 5519.90 करोड़ रुपए हो गया है. 127 किलोमीटर लंबाई में बनने वाले पटना गया डोभी सड़क की मॉनिटरिंग पटना हाई कोर्ट की तरफ से की जा रही है और दिसंबर तक पूरा होने का लक्ष्य दिया गया था लेकिन अब लोगों को अगले साल जून तक इंतजार करना होगा. अभी भी कई जगह काम आधा अधूरा है जमीन अधिग्रहण का पेंच और एजेंसियों का बीच में ही काम छोड़ देना. इसके लेटलतीफी का बड़ा कारण रहा है. अभी पटना गया और जहानाबाद में अलग-अलग एजेंसियां काम कर रही है लेकिन कई जगह जमीन का मामला अभी भी लटका हुआ है, लेकिन हाईकोर्ट की मॉनिटरिंग से यह उम्मीद जरूर जगी है कि यह परियोजना पूरी हो जाएगी, लेकिन इसके लिए अगले साल तक इंतजार करना होगा.
आमस दरभंगा एक्सप्रेस का नहीं शुरू हो सका निर्माण: बिहार के पहले एक्सप्रेसवे आमस दरभंगा एक्सप्रेसवे (Aamas Darbhanga Expressway) 4 पैकेज में बनना है और चारों पैकेज का टेंडर जारी हो गया है, लेकिन जमीन अधिग्रहण के कारण इस साल इसका निर्माण शुरू नहीं हो सका. लगभग 5000 करोड़ से अधिक की राशि इस पर खर्च होनी है. चार पैकेज में आमस शिबरामपुर 55 किलोमीटर, शिबरामपुर से रामनगर 54 किलोमीटर, कल्याणपुर से पाल दशहरा 45 किलोमीटर, पाल दशहरा से बेला दरभंगा 44 किलोमीटर. टेंडर जारी होने के बावजूद इस साल जमीन पर काम शुरू नहीं हो सका और इसका बड़ा कारण जमीन अधिग्रहण की समस्या रही है. पिछले दिनों केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने बिहार में कई योजनाओं की शुरुआत की थी और चर्चा बिहार के पहले एक्सप्रेसवे को लेकर भी था लेकिन इसका निर्माण का शिलान्यास का काम नहीं हुआ. अब नए साल में ही इस प्रोजेक्ट पर काम शुरू होने की उम्मीद है.
11 सालों से लटका है ताजपुर बख्तियारपुर पुल: इसी तरह ताजपुर बख्तियारपुर पुल पिछले 11 सालों से लटका हुआ है 50% काम भी अब तक नहीं हुआ है. इस साल बिहार सरकार ने इस प्रोजेक्ट के लिए लोन लेने का फैसला लिया है और जो एजेंसी काम कर रही थी. उसी के माध्यम से पूरा कराने का फैसला भी लिया, लेकिन काम इसमें भी आगे नहीं बढ़ा है. इस प्रोजेक्ट की लागत अब 3000 करोड से अधिक हो चुकी है. वही बिहार इंजीनियरिंग सेवा के पूर्व महासचिव सुनील कुमार चौधरी का कहना है कि बिहार में बड़े प्रोजेक्ट के लिए जमीन अधिग्रहण बड़ी समस्या रही है. जिसके कारण ही परियोजनाएं लेट लतीफ का शिकार हो रही है. वहीं बिहार में कई बड़े प्रोजेक्ट राशि के अभाव में भी अटकने लगा है.
"जब सरकार में हम लोग थे तो पटना मरीन ड्राइव का एक भाग को शुरू करवाया था लेकिन और जो बड़े प्रोजेक्ट हैं उस पर जिस तरह से काम होना चाहिए नहीं हुआ. जब से तेजस्वी यादव पथ निर्माण विभाग की जिम्मेवारी संभालें हैं सारे प्रोजेक्ट पर असर पड़ा है. तेजस्वी यादव नीतीश कुमार के बीच है अपना चेहरा छुपाना चाहते हैं. जब मंत्री पद उनके पास है तो सेहरा भी उन्हीं के मत्थे होगा और नाकामी भी उन्हीं को जाएगा, लेकिन तेजस्वी यादव चाहते हैं जो उपलब्धि हो उस में हिस्सेदारी करने लेकिन जो नाकामी हो वह नीतीश कुमार के सर पर जाए." :- नितिन नवीन, पूर्व पथ निर्माण मंत्री