पटना: बिहार में इस साल मानसून कमजोर है और बारिश कम होने के कारण भूजल स्तर पर भी असर पड़ा है. बिहार सरकार के लघु जल संसाधन विभाग (Minor Water Resources Department) की ओर से संग्रहित किए गए आंकड़े चिंताजनक हैं. 374 प्रखंडों में जो आंकड़े इकट्ठे किए गए हैं, उसमे से 368 का भूजल स्तर काफी नीचे गया है. 3 मीटर से लेकर 9:50 मीटर तक भूजल स्तर नीचे चला गया है. कई जिलों की स्थिति चिंताजनक है. सबसे अधिक समस्तीपुर में साढ़े 9 मीटर भूजल स्तर नीचे चला गया है, नालंदा में 8 मीटर, वैशाली और सीतामढ़ी में साढ़े 7 मीटर, पटना जिले में भी भूजल स्तर 6 मीटर से अधिक नीचे चला गया है. कोसी और सीमांचल इलाकों में स्थिति थोड़ी बेहतर है.
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बिहार के अधिकांश जिलों में भूजल स्तर में गिरावट: बिहार में इस साल मानसून के कमजोर रहने के कारण औसत से 40 फीसदी कम बारिश हुई है और उसका असर ग्राउंड वाटर लेवल (भूजल स्तर) पर भी दिखने लगा है. जुलाई महीने में लघु जल संसाधन विभाग ने जो आंकड़े इकट्ठे किए हैं, उसमें कई जिलों में भूजल स्तर चौकने वाले हैं और आने वाले दिनों में उन जिलों में पेयजल के लिए मुश्किलें बढ़ सकती है. समस्तीपुर और नालन्दा में सबसे अधिक भूजल स्तर गिरा है.
लघु जल संसाधन विभाग के अनुसार समस्तीपुर जिले में साढ़े 9 मीटर तक भूजल स्तर गिरा है. वहीं नालंदा में 8 मीटर तक नीचे गया है. इसके साथ मोतिहारी, शेखपुरा, सिवान, शिवहर, सीतामढ़ी और वैशाली में 7 मीटर से अधिक जल स्तर नीचे गया है, जबकि बक्सर, नवादा, मधुबनी, पटना, मुंगेर में 6 मीटर से अधिक भू-जल स्तर नीचे गया है. दरभंगा, गया, रोहतास, मुजफ्फरपुर, बेगूसराय, भागलपुर, कटिहार, गोपालगंज और भोजपुर में 5 मीटर से अधिक भूजल स्तर नीचे चला गया है.
पूर्णिया, किशनगंज, बेतिया, जमुई, लखीसराय, कैमूर, जहानाबाद, छपरा और बांका में 4 मीटर से नीचे भूजल स्तर गया है. वहीं अरवल, औरंगाबाद, सहरसा, खगड़िया, सुपौल, मधेपुरा में 3 मीटर से नीचे भूजल स्तर चला गया है. सीमांचल इलाकों में इस बार बारिश अच्छी हुई है और इसके कारण सीमांचल के जिलों में स्थिति थोड़ी बेहतर है लेकिन प्रदेश के अधिकांश जिलों में स्थिति चिंताजनक है.
राजकीय नलकूपों की स्थिति ठीक नहीं: भूजल स्तर नीचे जाने के कारण राजकीय नलकूपों की स्थिति ठीक नहीं है. साथ ही चापाकल, तलाब, आहर, पाइन पर भी इसका जबरदस्त असर पड़ा है. भूजल स्तर नीचे जाने का आने वाले दिनों में पेयजल पर संकट बढ़ सकता है. वैसे विभाग के अधिकारियों की मानें तो अगस्त और सितंबर में बारिश अच्छी होने पर भूजल रिचार्ज हो सकता है और तब स्थिति में सुधार होने की उम्मीद भी है लेकिन यह सब कुछ बारिश पर ही निर्भर होगा.
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