पटनाः बिहार में तेजी से पांव पसारते कोरोना के मामले को देखते हुए 16 जुलाई से 31 जुलाई तक पूर्ण लॉकडाउन लागू कर दिया गया है. इसके साथ ही आगामी विधानसभा चुनाव को टालने की मांग भी जोर पकड़ने लगी है. लेकिन सत्तादल के नेता चुनाव को लेकर पूरी तरह तैयार दिख रहे हैं. ऐसे में विपक्ष सवाल खड़े कर रहा है कि क्या लोगों की जान से बढ़कर चुनाव है?
चुनाव को रद्द करने की मांग
बिहार में विपक्षी पार्टियों ने चुनाव आयोग को ज्ञापन सौंपा है. जिसमें फिलहाल चुनाव को रद्द करने की मांग की गई है. साथ ही अन्य राजनीतिक दल परंपरागत तरीके से चुनाव कराने की मांग भी कर रहे हैं. विपक्षी दलों को यह डर सता रहा है कि सत्ताधारी पार्टियां अपने अधिकारियों के जरिए चुनाव में धांधली कर सकती हैं.
'परंपरागत तरीके से हो चुनाव'
विपक्षी पार्टियां एक सुर में परंपरागत तरीके से चुनाव कराने या फिर चुनाव को फिलहाल टालने की मांग कर रही हैं. राष्ट्रीय जनता दल ने साफ तौर पर कहा है कि अगर चुनाव कराने हैं तो परंपरागत तरीके से होने चाहिए ताकि जनता और नेता के बीच सीधा संवाद हो सके.
स्थिति को गंभीर नहीं मानती सरकार?
राजद नेता मृत्युंजय तिवारी ने कहा कि आखिर एनडीए को चुनाव की इतनी जल्दी क्यों है? कोरोना संक्रमण चारों तरफ तेजी से फैल रहा है. सरकार को लॉकडाउन लगाना पड़ा, इसके बाद भी क्या सरकार स्थिति को गंभीर नहीं मानती? ऐसे में चुनाव को टाल देने चाहिए और अगर स्थिति अच्छी है तो परंपरागत तरीके से ही चुनाव होना चाहिए.
'लोगों की जान बचाना ज्यादा जरूरी'
इधर कांग्रेस नेता प्रेमचंद्र मिश्रा ने भी कहा है कि कोरोना के इस दौर में जब लोगों की जान की परवाह करनी चाहिए तब सरकार को चुनाव की पड़ी है. उन्होंने कहा कि पार्टी का सरकार से आग्रह है कि चुनाव आते-जाते रहेंगे, अभी लोगों की जान बचाना ज्यादा जरूरी है.
'हार मान चुके हैं तेजस्वी'
विपक्ष के नेताओं की मांग को लेकर सत्ताधारी दल ने बड़ा हमला बोला है. भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता निखिल आनंद ने कहा कि नेता प्रतिपक्ष खुद हार मान चुके हैं. वह लगातार अपनी बातों से यह साबित कर रहे हैं कि वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के काम को देख कर परेशान और हताश हो गए हैं.
'कोरोना पूरे विश्व की समस्या'
निखिल आनंद ने कहा कि चुनाव आयोग का जो काम है, उसे चुनाव आयोग को करने देना चाहिए. जहां तक कोरोना का सवाल है तो केंद्र और बिहार सरकार दोनों मिलकर इससे निपटने के लिए सारे प्रयास कर रही है. उन्होंने कहा कि यह सिर्फ बिहार की नहीं बल्कि पूरे विश्व की समस्या है और इससे हम मिलकर निपटेंगे.
क्या होगा चुनाव आयोग का फैसला ?
बिहार में कोरोना संक्रमितों की संख्या 21 हजार 558 हो गई है. ऐसी परिस्थिति में एक तरफ सत्ताधारी दल की समय पर चुनाव कराने की जिद है. वहीं दूसरी तरफ विपक्ष का चुनाव टालने का दबाव. अब बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर चुनाव आयोग का क्या फैसला होता है, यह देखना अहम होगा.