पटना: बिहार में विकास की नई इबारत लिखी जा रही है, लेकिन सरकार के सामने कई चुनौतियां भी हैं. राजधानी पटना में कई इमारतें ऐसी हैं जो 100 साल पुरानी है और वह तकनीकी दृष्टि से महफूज नहीं है. ऐसे में पुरानी बिल्डिंग के लिए नीति बनाने को लेकर बहस शुरू हो गई है.
यह भी पढ़ें- लखीसराय में बैंक कर्मी की गोली मारकर हत्या, शक के घेरे में पहली पत्नी
पुरानी इमारतों के पुनरुद्धार की जरूरत
सरदार पटेल भवन, ज्ञान भवन और म्यूजियम को तो दुरूस्त कर लिया गया है. लेकिन अब भी कई भवन हैं जिन्हें भूकंपरोधी बनाने की जरूरत है ये इमारतें सदियों पुरानी हैं. 100 साल पुराने भवन के पुनरुद्धार की मांग जोर शोर से उठ रही है. राजधानी पटना में कई ऐसी ही इमारतें हैं जो 100 साल पुरानी है और तकनीकी दृष्टिकोण से बिल्डिंग के लिए नीति बनाए जाने की जरूरत महसूस की जा रही है.
राजधानी पटना में कई इमारतें ऐसी हैं जो 100 साल से अधिक पुरानी हैं. और अब नए सिरे से उनके रखरखाव और पुनरुद्धार पर नीति बनाने की जरूरत है क्योंकि आज भी सचिवालय और पटना उच्च न्यायालय पुरानी बिल्डिंग में चल रहे हैं. पटना भूकंप जोन में आता है और ऐसे में सरकार को ठोस कदम उठाने की जरूरत है.- डॉ संजय कुमार, समाजसेवी
यह भी पढ़ें- मोतिहारी: गन्ना उद्योग मंत्री पर दिए बयान के विरोध में JDU नेताओं ने तेजस्वी का पुतला फूंका
सिस्मिक जोन 4 में आता है पटना
भूकंप की तीव्रता रिक्टर पैमाने पर अगर ज्यादा रही तो राजधानी में भारी तबाही मच सकती है. पटना सचिवालय जहां से बिहार की सत्ता और शासन चलता है. इसका निर्माण 104 साल पहले हुआ था और आज भी उस की चमक धमक बरकरार है. पटना उच्च न्यायालय 105 साल पुराना है. ऐसे में भूकंप से यहां भारी तबाही मच सकती है.
क्या है सिस्मिक जोन
सिस्मिक जोन पांच भूकंप के लिहाज से देश का सबसे खतरनाक इलाका माना जाता है. इस जोन में भूकंप आने पर भारी तबाही होती है. इससे एक नीचे यानी सिस्मिक जोन चार के दायरे में पटना आता है. यहां सात से 7.9 तीव्रता तक भूकंप आ सकता है. इससे भी तबाही अधिक होने की संभावना है.
1934 में बिहार में हुई थी बड़ी त्रासदी
बिहार में भूकंप से सबसे बड़ी त्रासदी 15 जनवरी 1934 को हुई थी जब इसकी तीव्रता रिक्टर पैमाने पर 8.4 थी. तब इस भूकंप के झटके में 10,700 लोगों की मौत हुई थी. इसके बाद की दूसरी सबसे बड़ी तबाही 21 अगस्त 1988 में आए भूकंप से हुई थी, जिसका केंद्र बिहार-नेपाल की सीमा था और भूकंप की तीव्रता 6.7 थी . इसमें 1000 लोगों की मौत हुई थी जबकि भूकंप की हालिया घटनाओं को देखें तो 25 अप्रैल 2015 को 7.9 तीव्रता वाला भूकंप आया था, जिसमें करीब 58 लोगों की मौत हुई थी और भूकंप का केंद्र भारत-नेपाल सीमा था.
पटना हाईकोर्ट और सचिवालय तो मेंटेन है लेकिन कई सरकारी इमारत रखरखाव के बगैर जर्जर हो चुकी है. 100 साल से भी पुरानी इमारतों को जहां एक और भूकंप रोधी बनाने की जरूरत है. वही नए सिरे से रखरखाव का काम भी पूरा किया जाना चाहिए.- आशीष कुमार, आर्किटेक्ट
तकनीकी दृष्टिकोण से बिल्डिंग निर्माण की मांग
वहीं पटना उच्च न्यायालय का निर्माण 1916 से शुरू हुआ था. इसके अलावा पटना विश्वविद्यालय भी 104 साल पुराना है और रखरखाव के बिना बिल्डिंग दम तोड़ रहा है. अब मांग हो रही है कि इन इमारतों को ठीक किया जाए. भूकंप रोधी बनवाया जाए. साथ ही जो भी जरूरी कदम हैं, वह उठाए जाएं.
बिल्डिंग जर्जर हो चुके हैं और जो कभी भी जमींदोज हो सकते हैं. ऐसे में मल्टी स्टोरेज बिल्डिंग बनाने की जरूरत है. हम लोगों ने प्रस्ताव भी सरकार को भेज दिया है.- गिरीश चौधरी, कुलपति, पटना विश्वविद्यालय
सरकार भी महसूस करती है कि ऐसे विषयों पर कार्रवाई हो और बजट सत्र के बाद हम इस मामले को गंभीरता से देखेंगे.- तारकिशोर प्रसाद, नगर विकास मंत्री, बिहार
इन इमारतों का ऐतिहासिक महत्व
सौ साल पुरानी इन इमारतों का अपना विशेष महत्व है. पटना उच्च न्यायालय, सचिवालय, विश्वविद्यालय इत्यादि को संरक्षण की जरूरत है.हालांकि सरकार की ओर से इस दिशा में जल्द से जल्द कदमा उठाने का आश्वासन दिया गया है.
भूकंप से हो सकती है भारी तबाही
पुरानी इमारतों की हालत जर्जर हो चुकी हैं. इन इमारतों को अब भूकंपरोधी बनाने की मांग की जा रही है. ताकि अगर कभी रिक्टर पैमाने पर भूकंप की तीव्रता ज्यादा हो तो जान माल का ज्यादा नुकसान कम से कम हो. वहीं बारिश में हालात और विकट हो जाते हैं. ऐसे में जल्द से जल्द इन इमारतों के संरक्षण की पहल करने पड़ेगी. ताकि बिहार के इन गौरवशाली इमारतों की पहचान बनी रहे. भूकंपरोधी भवन का निर्माण कर भूकंप से होने वाली क्षति को कम किया जा सकता है.