पटना: आज अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस है और देश और विदेश में महिलाएं सफलता की नई-नई कहानी लिख रही हैं. आज महिलाएं जाति और लिंग की बंधनों को तोड़कर महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा दे रही हैं. समाज के मिथकों को तोड़कर दानापुर की महिलाओं ने 'सरगम म्यूजिकल बैंड' बनाया और अपने गांव ढीबरा गांव को अंतरराष्ट्रीय मानचित्र पर स्थापित कर दिया.
दानापुर के ढिबरा गांव की दलित महिलाओं ने ताल और धुन के बदौलत महानायक अमिताभ बच्चन को भी अपने प्रतिभा का कायल कर दिया है. रंगीन परिधानों में सजी दानापुर केडी ढिबरा गांव की यह महिला कल किसी के खेतों में मजदूरी करती थी. दलित होने के वजह से लोग इनसे दूरी भी बनाया करते थे. जब इनका गांव शहर में तब्दील हुआ तो इनकी मजदूरी भी खत्म हो गई. ऐसे में नारी गुंजन स्वयं सेवी संस्था की सुधा वर्गीज ने इन्हें आत्मनिर्भर बनाने के लिए पटना के बैंड मास्टर गुंजन से मिलवाया. शुरू में इन महिलाओं के मन में डर हुआ कि लोग क्या कहेंगे. लेकिन बाद में इनकी कोशिश ने इनके सपनों पर नया पंख लगा डाला.
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2012 से शुरू हुआ इन महिलाओं का सफर दानापुर के ढिबरा से जब मुंबई तक पहुंच गया. इन महिलाओं ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज से सामने भी कार्यक्रम कर चुकीं हैं. इतना ही नहीं इनका खास कार्यक्रम केबीसी तक में हो चुका है.
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'हमने बैंड बजाना सीखा. सुधा वर्गींज ने हमे ड्रम बजाने की ट्रेनिंग दिलवाई. आज हम अपने परिवार भरण-पोषण खुद ही कर रहे है. दूसरे महिलाों को भी आत्मनिर्भर होकर काम करना चाहिए': छठिया देवी, बैंड मास्टर
बैंड मास्टर छठिया देवी देवी बताती हैं कि वे अमिताभ बच्चन, बिहार के सीएम नीतीश कुमार और पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज से भी मुलाकात कर चुकी है. उनका कहना है कि पहले खेती करते थे. लेकिन अब बैंड बजाते है. पहले से अब काफी बेहतर लग रहा है. परिवार खुशहाल है.
दानापुर की इन महिलाओं ने अपनी किस्मत खुद बदली. कभी खेतों में खुरपी चलाने वाली यह महिलाएं है आज आसमान की उड़ान भर रही हैं और यहां तक जहाजों में सफर कर रही हैं. इन महिलाओं के हौसले को देखकर अन्य महिलाएं को भी सीखने की जरूरत है.