नई दिल्ली/पटना: प्रधानमंत्री शिशु विकास योजना के नाम पर लोगों से ठगी करने वाले दो गैंग के तीन सदस्यों को साइबर सेल ने गिरफ्तार किया है. आरोपियों ने बकायदा इसके लिए फर्जी वेबसाइट बना रखी थी. अब तक वे 15 हजार से ज्यादा लोगों से ठगी कर चुके थे. पुलिस ने इनके पास से लैपटॉप, सीपीयू, मोबाइल और दस्तावेज जब्त किए हैं.
पुलिस को की शिकायत
डीसीपी अन्येश रॉय के अनुसार साइबर सेल को शिकायत मिली थी कि कुछ लोग प्रधानमंत्री शिशु विकास योजना के नाम पर वेबसाइट बनाकर लोगों से ठगी कर रहे हैं. इसे लेकर नेशनल हेल्थ अथॉरिटी के डायरेक्टर ने पुलिस को शिकायत की. उन्होंने बताया कि इसके लिए www.pmsvy.cloud.in बनाई गई है.
उस पर प्रधानमंत्री शिशु विकास योजना के नाम पर लोगों से पंजीकरण करवाने के नाम पर रुपये वसूले जा रहे हैं. सूचना पर एसआई मंजीत ने मामले की जांच शुरू की. छानबीन के दौरान पुलिस ने दो आरोपियों नीरज पांडे और आदर्श यादव को गिरफ्तार कर लिया.
15 हजार से ज्यादा लोगों को ठगा
इस मामले में ये आरोपी 15000 से ज्यादा लोगों के साथ ठगी कर चुके थे. आरोपियों ने पुलिस को बताया कि वो लोगों की जानकारी इकट्ठी करने के बाद उसे कमीशन पर स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्र में बेचना चाहते थे. गिरफ्तार किये गए आरोपी नीरज पांडे ने पुलिस को बताया कि इस तरीके की एक अन्य वेबसाइट पटना निवासी सुरेंद्र यादव ने बना रखी है. वो पहले उसका पार्टनर था, लेकिन बाद में उसने अलग से यह वेबसाइट बना ली. इस जानकारी पर स्पेशल सेल की साइबर सेल ने पटना में छापा मारकर सुरेंद्र यादव को भी गिरफ्तार कर लिया.
BCA और MBA पढ़े हैं आरोपी
गिरफ्तार किए गए आरोपी नीरज पांडे ने बीसीए किया है. वहीं आदर्श यादव ने एमबीए किया हुआ है. दोनों आरोपियों के पास से 7 मोबाइल, 3 लैपटॉप, दो सीपीयू और नोटपैड बरामद किए गए हैं.
इस वेबसाइट के जरिए आरोपी पीएम शिशु विकास योजना के नाम पर हेल्थ इंश्योरेंस और बच्चों की शिक्षा के लिए आर्थिक सहायता का झांसा देते थे. उन्होंने इसके लिए विभिन्न राज्यों में स्टेट हेड और एजेंट भी रखे हुए थे. ग्राउंड लेवल पर एजेंट लोगों को झांसा देते थे. पंजीकरण के लिए 250 रुपये लिए जाते थे. इसमें से 50 रुपये स्टेट हेड जबकि 50 रुपये एजेंट को मिलते थे.
कई राज्यों में फैला था नेटवर्क
इस गैंग का नेटवर्क केरल, तमिलनाडु, हरियाणा, गुजरात, पंजाब, जम्मू-कश्मीर, मध्य प्रदेश, कर्नाटक, गोवा, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, राजस्थान, असम, अरुणाचल प्रदेश, मिजोरम, सिक्किम, मेघालय, त्रिपुरा, नागालैंड, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, यूपी और उड़ीसा तक फैला हुआ था. अब तक वे 15000 बच्चों का पंजीकरण इस फर्जी योजना में शामिल कर चुके थे. इन गैंग्स से जुड़े हुए अन्य लोगों के बारे में साइबर सेल की टीम जानकारी जुटा रही है.