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अक्षय नवमी पर गंगा घाटों पर उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़, महिलाओं ने आंवला के पेड़ के नीचे पूजा-अर्चना की

अक्षय नवमी पूजन के मौके पर राजधानी पटना के घाटों पर श्रद्धालुओं की (Crowd of devotees gathered at ghats of Patna) भीड़ उमड़ी. कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को अक्षय नवमी मनाई जाती है. यह दिन भगवान विष्णु की पूजा के लिए बेहद शुभ माना गया है. पढे़ें पूरी खबर...

अक्षय नवमी पूजन
अक्षय नवमी पूजन
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Published : Nov 2, 2022, 7:56 PM IST

पटना : अक्षय नवमी पूजन (Akshaya Navami Puja) के मौके पर बुधवार को राजधानी पटना के घाटों पर श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी. सुबह से ही श्रद्धालु गंगा में स्नान कर तुलसी आंवला पेड़ के नीचे भगवान विष्णु की पूजा करते हुए पेड़ के पास खिचड़ी और आंवला का भोग लगाकर प्रसाद ग्रहण किया.

ये भी पढ़ें : गोपालगंजः अक्षय नवमी पर महिलाओं ने आंवला के वृक्ष के नीचे किया पूजा-अर्चना

आंवला के वृक्ष की पूजा का महत्व : कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष के नवमी को यह पर्व मानाने की परंपरा वैदिक काल से चली आ रही है. मान्यता के अनुसार इस दिन आंवला वृक्ष के नीचे पूजा और दान-पुण्य करने से अक्षय फल की प्राप्ति होती है. कार्तिक मास भगवान विष्णु को सदा प्रिय रहा है. इस मास में 33 कोटि देवता मनुष्य के समीप आ जाते है. इस दिन आंवला के पेड़ की पूजा का विशेष महत्व है.

आंवला के वृक्ष की छांव में पकाया जाता है भोजन : महिलाएं आंवला के वृक्ष की 108 परिक्रमा लगाकर पूजा करती हैं. आंवला के पेड़ पर हल्दी, रौली और सिंदूर लगाने के साथ-साथ दीपक जलाकर पूजा की जाती है. इसके बाद आंवला पेड़ की परिक्रमा कर व्रती मौली बांधती हैं. श्रद्धालुओं ने बताया कि आज के दिन आंवला के वृक्ष के नीचे महिलाएं सामूहिक रूप से ब्राह्मण से कथा सुनती हैं. पूजा के बाद वृक्ष की छांव में भोजन पकाया जाता है, जिसे पूरे परिवार के साथ ग्रहण किया जाता है.

"अक्षय नवमी के दिन सतयुग की शुरुआत हुई. आज से तीन दिनों तक गंगा में स्नान करना शुभमुहूर्त माना जाता है. पौराणिक मान्यतानुसार आज दिन आंवला पेड़ के नीचे खिचड़ी का भोग लगाया जाता है. " - राजकिशोर पांडे, पुजारी

ये भी पढ़ें : पटना में अक्षय नवमी की धूम, श्रद्धालुओं की उमड़ी भीड़

पटना : अक्षय नवमी पूजन (Akshaya Navami Puja) के मौके पर बुधवार को राजधानी पटना के घाटों पर श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी. सुबह से ही श्रद्धालु गंगा में स्नान कर तुलसी आंवला पेड़ के नीचे भगवान विष्णु की पूजा करते हुए पेड़ के पास खिचड़ी और आंवला का भोग लगाकर प्रसाद ग्रहण किया.

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आंवला के वृक्ष की पूजा का महत्व : कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष के नवमी को यह पर्व मानाने की परंपरा वैदिक काल से चली आ रही है. मान्यता के अनुसार इस दिन आंवला वृक्ष के नीचे पूजा और दान-पुण्य करने से अक्षय फल की प्राप्ति होती है. कार्तिक मास भगवान विष्णु को सदा प्रिय रहा है. इस मास में 33 कोटि देवता मनुष्य के समीप आ जाते है. इस दिन आंवला के पेड़ की पूजा का विशेष महत्व है.

आंवला के वृक्ष की छांव में पकाया जाता है भोजन : महिलाएं आंवला के वृक्ष की 108 परिक्रमा लगाकर पूजा करती हैं. आंवला के पेड़ पर हल्दी, रौली और सिंदूर लगाने के साथ-साथ दीपक जलाकर पूजा की जाती है. इसके बाद आंवला पेड़ की परिक्रमा कर व्रती मौली बांधती हैं. श्रद्धालुओं ने बताया कि आज के दिन आंवला के वृक्ष के नीचे महिलाएं सामूहिक रूप से ब्राह्मण से कथा सुनती हैं. पूजा के बाद वृक्ष की छांव में भोजन पकाया जाता है, जिसे पूरे परिवार के साथ ग्रहण किया जाता है.

"अक्षय नवमी के दिन सतयुग की शुरुआत हुई. आज से तीन दिनों तक गंगा में स्नान करना शुभमुहूर्त माना जाता है. पौराणिक मान्यतानुसार आज दिन आंवला पेड़ के नीचे खिचड़ी का भोग लगाया जाता है. " - राजकिशोर पांडे, पुजारी

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