पटना: बिहार में इस साल भी बाढ़ से एक दर्जन जिले प्रभावित हैं. गंडक तटबंध टूटने के कारण लाखों लोगों की बाढ़ से मुश्किलें बढ़ी हुई है. वहीं बाढ़ से बचाव के लिए बिहार में 3789.96 किलोमीटर लंबाई में तटबंध का निर्माण किया गया है. जिससे 39.96 लाख हेक्टेयर क्षेत्र को सुरक्षित करने का दावा किया जाता है. लेकिन हर साल सरकार के करोड़ों खर्च के दावे पर बाढ़ मुंह चिढ़ाता है.
बढ़ती गई लंबाई और खर्च
बिहार का कुल बाढ़ प्रभावित क्षेत्र 68.801 हेक्टेयर है. जिसमें उत्तर बिहार 44.46 लाख हेक्टेयर और दक्षिण बिहार 24.3 चार लाख हेक्टेयर है. बाढ़ से बचाव के लिए उत्तर बिहार के तटबंध की लंबाई 3,305 किलोमीटर और दक्षिण बिहार के तटबंध की लंबाई 485 किलोमीटर है. बिहार में नदियों के 12 बेसिन हैं. जिन पर तटबंध का निर्माण किया गया है, जो इस प्रकार से हैं.
- गंडक बेसीन तटबंध की लंबाई 511.66 किलोमीटर.
- बूढ़ी गंडक बेसीन तटबंध 779.26 किलोमीटर.
- बागमती बेसीन तटबंध 488.14 किलोमीटर
- कोसी बेसीन तटबंध 652.41 किलोमीटर.
- कमला बेसीन तटबंध 204 किलोमीटर.
- घाघरा बेसीन तटबंध 132.90 किलोमीटर.
- पुनपुन बेसीन तटबंध 37.62 किलोमीटर.
- चंदन बेसीन तटबंध 83.18 किलोमीटर.
- महानंदा बेसीन तटबंध 230.33 किलोमीटर.
- गंगा बेसीन तटबंध 596. 2 किलोमीटर.
- सोन बेसीन तटबंध 59.54 किलोमीटर.
- किउल हरोहर बेसीन तटबंध14 किलोमीटर.
बिहार में बाढ़
हर साल करोड़ों रुपये खर्च
वर्ष 2019-20 में 4,711 बाढ़ नियंत्रण परियोजनाओं पर 1286.33 करोड़ रुपये राज्य स्कीम के तहत खर्च किया गया. 2019 में बाढ़ से पहले कोसी और गंडक नदी पर नेपाल भाग की 24 योजना पर 186.73 करोड रुपये, राज्य योजना के तहत 178 योजना पर 479.62 करोड़ रुपये, बाढ़ प्रबंधन कार्यक्रम के तहत 6 योजना पर 311.22 करोड़ रुपये की राशि खर्च की गई.
बाढ़ से पहले तैयारियों पर हर साल करोड़ों खर्च होते रहे हैं. एक आंकड़ा देखिए इसी से पता चलता है कि बीते कई सालों से कितनी राशि खर्च हो रही है.
वर्ष | योजनाओं की संख्या | राशि (करोड़ में) |
1991 | 121 | 32.99 |
2000 | 335 | 106.95 |
2004 | 263 | 128.35 |
2006 | 289 | 191.06 |
2009 | 363 | 354.02 |
2010 | 362 | 213.07 |
2011 | 250 | 238.24 |
2012 | 323 | 258.24 |
2013 | 349 | 270.58 |
वर्ष | योजनाओं की संख्या | राशि (करोड़ में) |
2014 | 309 | 398.40 |
2015 | 442 | 436.47 |
2016 | 297 | 330.53 |
2017 | 317 | 1231.63 |
2018 | 429 | 1560.81 |
2019 | 208 | 977.57 |
हर साल आती है बाढ़
बिहार में हर साल बाढ़ के नाम पर खेल होता रहा है. पहले तटबंध के मरम्मत पर करोड़ों रुपये की राशि खर्च होती है. फिर बाढ़ आने पर राहत और बचाव के नाम पर करोड़ों रुपये खर्च किए जाते हैं. इस बार भी वही हो रहा है और फिर बाढ़ के समाप्त होने के बाद सड़कों के निर्माण पर करोड़ों रुपये की राशि खर्च होगी. ऐसे सरकार हर साल दावा करती है कि विभाग ने टतबंध को दुरुस्त किया है और हर बार तटबंध टूटता है. लोगों की मुश्किल पहले से और बढ़ती जा रही है.