पटना: साल 2021 खत्म होने को आ रहा है. ऐसे में पुलिस मुख्यालय का मानना है कि बिहार में पूर्व मद्य निषेध कानून लागू (Liquor Ban In Bihar) होने के कारण महिलाओं के विरुद्ध अपराध (Crime Against Women In Bihar) में पिछले साल की तुलना में काफी कमी आई है. राष्ट्रीय अपराध 56.5 की तुलना में बिहार के 26.3 के साथ 29 वें स्थान पर है. वर्ष 2018 में दुष्कर्म शिर्ष में 1,475 वर्ष 2019 में 1,450 वर्ष 2020 में 1,438 और वर्ष 2021 के अक्टूबर माह तक राज्य में 1,274 कांड प्रतिवेदित हुए हैं.
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आंकड़ों पर नजर डालें तो वर्ष 2018 में छेड़खानी का कांड 501, दहेज हत्या कांड 1,107, दहेज प्रताड़ना के कांड 3,387, घरेलू हिंसा के कांड 3,958, महिला प्रताड़ना के कांड 2,018 दर्ज किया गया था. वहीं, वर्ष 2019 में छेड़खानी का कांड 486, दहेज हत्या कांड 1,120, दहेज प्रताड़ना कांड 3,556, घरेलू हिंसा कांड 4,723 महिला प्रताड़ना का कांड 2133 दर्ज किया गया था.
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वहीं, वर्ष 2020 में छेड़खानी कांड 905, दहेज हत्या कांड 245, दहेज प्रताड़ना कांड 2,686, घरेलू हिंसा कांड 3,946, महिला प्रताड़ना कांड 1,811 दर्ज किया गया था. वहीं साल 2021 के अक्टूबर माह तक छेड़खानी कांड 457, दहेज हत्या कांड 828, दहेज प्रताड़ना कांड 2,967, घरेलू हिंसा कांड 2,207, महिला प्रताड़ना कांड 1656 प्रतिवेदित हुए हैं.
पुलिस मुख्यालय का मानना है कि आंकड़ों से यह स्पष्ट होता है कि मद्य निषेध कानून लागू होने के उपरांत महिला अपराध विशेषकर छेड़खानी घरेलू हिंसा तथा महिला प्रताड़ना के कांडों में कमी अंकित की गई है. राजकीय पुलिस महिलाओं के विरुद्ध होने वाले अपराध पर अंकुश लगाने उन्हें सुरक्षा देने तथा महिला सशक्तिकरण के लिए कटिबद्ध है. महिलाओं को पुलिस के अस्तर से मिलने वाली प्रत्येक सहायता प्रदान करने के लिए लगातार प्रयासरत हैं.
'शराबबंदी का सीधा-सीधा फायदा अपराध में कमी से जोड़ा जा रहा है. महिलाओं के अपराध में राष्ट्रीय औसत अपराध दर 56.5 की तुलना में 26.3 अपराध दर के साथ बिहार 29वें स्थान पर है. आंकड़ों से स्पष्ट किया जा सकता है कि महिलाओं के विरुद्ध अपराधों की संख्या में कमी आयी है.' -जितेंद्र सिंह गंगवार, एडीजी, पुलिस मुख्यालय
इधर, विपक्ष इन आंकडों को नकार रहा है. राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के प्रवक्ता मृतयुंजय तिवारी कटाक्ष करते हुए कहते हैं कि आखिर शराबबंदी है कहां? शराब की तो होम डिलिवरी हो रही है. उन्होंने कहा कि नीतीश सरकार आंकड़ों की बाजीगिरी प्रारंभ से करती आ रही है. उन्होंने कहा कि कई मामले तो थाना में दर्ज ही नहीं किए जाते. प्राथमिकी दर्ज करने आने वाले लोगों के मामले दर्ज तक नहीं किए जाते. उन्होंने कहा कि अपराध के मामले में बिहार कहां पहुंच गया है, यह केंद्र सरकार की एजेंसियों की रिपोर्ट से बराबर स्पष्ट होता है.
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