पटना: राजधानी के विद्यापति मार्ग में राष्ट्रीय मत्स्य जीवी सहकारिता संघ के भवन में जिला मत्स्य संसाधन कार्यालय है. यहां जिला मत्स्य संसाधन की ओर से ताजी मछलियों की बिक्री के लिए एक काउंटर खोला गया था. जो पिछले चार-पांच महीनों से बंद पड़ा हुआ है. वर्तमान में काउंटर के ऊपर का बोर्ड भी हटा लिया गया है.
अनुबंध खत्म होने के कारण हुआ बंद
जिला मत्स्य पदाधिकारी के कार्यालय से मिली जानकारी के मुताबिक काउंटर का अनुबंध खत्म हो जाने के कारण यह बंद पड़ा हुआ है. अनुबंध बढ़ाने के लिए केंद्रीय मत्स्य पदाधिकारी के पास पत्र भेजा जा चुका है. लेकिन अभी तक दोबारा काउंटर खोलने की अनुमति नहीं मिली है. जब काउंटर का कॉन्ट्रैक्ट खत्म हो रहा था. तब जिला मत्स्य कार्यालय की ओर से केंद्रीय मत्स्य कार्यालय को काउंटर का एग्रीमेंट आगे बढ़ाने के लिए आवेदन नहीं दिया गया. जब अनुबंध समाप्त हो गया, तब जाकर एग्रीमेंट आगे बढ़ाने का आवेदन दिया गया.
दोबारा खोलने के लिए दिया गया आवेदन
जिला मत्स्य पदाधिकारी के कार्यालय से जुड़े कर्मचारियों की बात माने, तो पिछले तीन चार महीने से काउंटर को दोबारा खोलने का आवेदन दिया गया है. लेकिन अभी तक काउंटर नहीं खुला है. वर्तमान में अभी जिला मत्स्य कार्यालय में मत्स्यजीवीओं के लिए प्रधानमंत्री विशेष पैकेज योजना की जांच चल रही है. जिसमें सभी जिला के मत्स्य विभाग के डिप्टी डायरेक्टर अन्य दूसरे जिलों में जाकर योजना की मद में खर्च किए गए राशि की जांच कर रहे हैं. ताकि अगले अनुदान की राशि विभाग तक पहुंच सके.
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1007 सरकारी तालाबों में किया जा रहा मछली पालन
इस जांच की दिशा में आज पटना जिला मत्स्य कार्यालय में मुंगेर जिला के मत्स्य विभाग के डिप्टी डायरेक्टर पहुंचे. पटना जिला के मत्स्य विभाग के डिप्टी डायरेक्टर मोहम्मद फारूखी हाजीपुर जिला में जांच के लिए गए हुए है. पटना जिला मत्स्य कार्यालय के मुताबिक 1007 सरकारी तालाबों में मछली पालन किया जा रहा है. पटना जिला में पंगास मछली का सर्वाधिक उत्पादन किया जा रहा है. पंगास के बाद रेहू और कतला का उत्पादन किया जा रहा है. पटना जिला में 2019-20 वित्तीय वर्ष में 19000 मीट्रिक टन मछली के उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है. जिसमें अब तक 8000 मीट्रिक टन का उत्पादन हो चुका है.