पटना: देश में कोरोना संक्रमण काफी तेजी से फैल रहा है. कोरोना संक्रमण का वेब टू पहले के मुकाबले काफी तेजी से लोगों में के बीच फैल रहा है. ऐसे में कई मामले ऐसे भी सामने आए हैं जिनमें लोगों के अंदर लक्षण भी काफी कम दिख रहे हैं और रैपिड टेस्ट और आरटीपीसीआर टेस्ट कराने के बाद भी रिपोर्ट नेगेटिव आ रही है. लेकिन लोगों को कोरोना संक्रमण की अधिक जानकारी के लिए हमने जाने-माने चिकित्सक डॉ. दिवाकर तेजस्वी से खास बातचीत की.
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कोरोना संक्रमण का वेब टू भयावह
डॉ. दिवाकर तेजस्वी ने बताया कि कोरोना संक्रमण का जो वेब टू है. वह काफी तेजी से म्यूटेशन कर रहा है. जिस कारण संक्रमण काफी तेजी से फैल रहा है. किसी भी वायरस का यह स्वभाव होता है. वह अपना समय के साथ अपना स्वरूप बदलता है. वायरस जब न्यूटेक ज्यादा करेगा तो और तेजी के साथ पहले का और नए-नए बॉडी की तलाश करेगा.
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डॉ दिवाकर तेजस्वी ने बतायी कुछ महत्वपूर्ण बातें-
- अब लोगों में क्लासिक लक्षण के साथ में लक्षण भी दिखने लगे हैं. फेफड़ों तक वायरस को जाने में पहले 7 से 8 दिन का समय लगता था. लेकिन अब 3 से 4 दिन में ही वायरस पहुंच जा रहा है. पहले लोगों को फीवर आता था. अब उससे भी तेज बुखार लोगों को रह रहे हैं.
- मस्कुलर पेन, ज्वाइंट पेन, बॉडी पेन, डायरिया डिसेंट्री हो रही है. नोजिया वोमेटिंग हो रही है. कई लोगों को बुखार के साथ आंखों में लाली आ जा रही है और कोई लक्षण नहीं दिख रहा है लेकिन बावजूद इसके लोग कोरोना संक्रमित पाए जा रहे हैं.
- पटना में कई ऐसे मरीज मिले हैं जिनकी RT-PCR रिपोर्ट और रैपिड एंटीजन टेस्ट नेगेटिव आई है. लेकिन बावजूद उसके जब सिटी स्कैन और अन्य प्रकार के जांच हुए तो पता चला कि वह कोरोना संक्रमित हैं. पटना के एम्स में भी ऐसा कई मामला देखने को मिला है.
बिना लक्षण के भी लोग हो रहें पॉजिटिव
कई लोगों में थोड़ा लक्षण दिखता है लेकिन लोग पॉजिटिव नहीं होते और ज्यादातर केस में लक्षण नहीं देखने के बाद भी लोग पॉजिटिव दिख रहे हैं. कोरोना का जो दूसरा लहर चल रहा है, वह काफी ज्यादा तेज और खतरनाक है. फिलहाल कोरोना के दो तरीके के जांच हैं. दोनों जांच के बावजूद लोग संक्रमित होने के बाद भी नेगेटिव पाए जा रहे हैं. इसका 2-3 कारण हो सकता है.
दो तरह से हो रही जांच
1. पहले तरीके में लैब टेक्नीशियन जहां से जांच करने के लिए नाक में जहां से स्पेसमीन लेना है. वहां से प्रॉपर अमाउंट में लिया जाता है और बेहतर तरीके से निकाला जाता है. तो रिपोर्ट के सही आने की 90% चांस बढ़ जाती है. लेकिन अगर इसमें प्रॉपर अमाउंट नहीं लिया जाता है तो कोरोनावायरस होने के बावजूद जो संक्रमण संक्रमित लोग है उनकी भी रिपोर्ट नेगेटिव आ जाती हैं.
2. वहीं, दूसरे तरीके में जांच के लिए जो सैंपल लिए जाते हैं, उसे उचित टेंपरेचर मिलता है और सही समय पर वह जांच के लिए पहुंच जाता है. ट्रांसपोर्टेशन में किसी प्रकार की समस्या नहीं होती है. तो रिपोर्ट सही आने के ज्यादा चांस होते हैं. वायरस काफी तेजी से म्यूटेशन कर रहा है और अपना स्वरूप ही बदल रहा है. इसलिए उसे बेहतर तरीके से जानने के लिए पूरे जेनेटिक स्ट्रक्चर को जानना होगा.
कोरोना किट में बदलाव की जरूरत
कहीं ना कहीं अब आवश्यकता है कि जो जांच किट है उसमें बदलाव किए जाएं. ताकि जो वायरस सामने नहीं आ पा रहें हैं, उनकी जांच सही तरीके से हो सके. कई देशों में यह देखने को मिला है कि जांच किट में बदलाव किए गए हैं और उसका बेहतर रिपोर्ट भी आया है.
क्यों है नए किट की जरुरत
नए किट की जरूरत इसलिए है क्योंकि अगर वायरस टेस्ट किट को स्कीप करेंगे तो हो सकता है कि वह वैक्सीन को भी स्कीप करें. जिससे लोगों को काफी समस्या हो सकती है. संक्रमण बढ़ने के कारण लोग भयभीत हैं लेकिन एक सबसे बड़ा कारण यह है कि काफी लोग पॉजिटिव रहते हैं लेकिन रिपोर्ट नेगेटिव आती है. जिसके बाद वह बाहर घूमते हैं और उनसे कई लोगों को संक्रमण फैलने का डर होता है.
बिना लक्षण के संक्रमित होना गंभीर समस्या
कई बार ऐसा देखने को मिलता है कि लोगों में पता ही नहीं चल पाता कि वह संक्रमित हैं. काफी संख्या में ऐसे भी लोग हैं जिनमें कोई लक्षण नहीं है लेकिन वह संक्रमित हैं. उससे भी संक्रमण काफी तेजी से बढ़ रहा है.
ज्यादा खतरनाक हो गया है कोरोना वायरस
जिस तरह से मामले सामने आ रहें हैं. यह काफी गंभीर है. अब कहीं ना कहीं साइंटिफिक कम्युनिटी और जितने भी बायोलॉजिकल लैब हैं उनमें सेम्पलिंग की तुरंत होने की आवश्यकता है और जेनेटिक एनालिसिस होने की आवश्यकता है और अगर जरूरत पड़ी तो समय रहते ही टेस्टिंग कीट को बदलने की आवश्यकता है.
म्यूटेशन चेन पर लगाना होगा ब्रेक
वायरस की टेंडेंसी होती है कि वहअपना स्ट्रक्चर आसानी से बदल ले. चेकोरोनावायरस काफी तेजी से अपना स्वरूप बदल रहा है और अगर इसके म्यूटेशन चेन पर ब्रेक नहीं लगा तो आने वाले समय में यह और भी ज्यादा खतरनाक हो सकता है.