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कोरोना ने छीना प्लम्बर और इलेक्ट्रीशियन का रोजगार, अब परिवार का पेट पालने की सता रही चिंता - Scared people in the corona era

जानलेवा कोरोना संक्रमण के चलते लोग तरह-तरह के एहतियात बरत रहे हैं. बिहार में 5 मई से ही लॉकडाउन लगा है. ऐसे में घर-घर जाकर प्लम्बर और इलेक्ट्रीशियन का काम करने वाले कारीगरों को लोग नहीं बुला रहे हैं. जिसके कारण इन कारीगरों की माली हालत खराब हो रही है. देखिए ये रिपोर्ट.

पटना
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Published : May 17, 2021, 5:20 PM IST

Updated : May 17, 2021, 9:20 PM IST

पटना: राज्य में लगातार कोरोना का संक्रमण बढ़ रहा है. बढ़ते कोरोना संक्रमण को देखते हुए राज्य में 5 मई से ही लॉकडाउन लगाया गया है. लॉकडाउन की वजह से प्रति दिन कमाकर खाने वाले मजदूर और कारीगरों के सामने आर्थिक संकट हो गया है. ऐसे काम करने वाले लोगों को अब अपने परिवार के पेट पालने की चिंता सता रही है.

ये भी पढ़ें- सुशासन बाबू, आपके राज में कोरोना नहीं, ये प्राइवेट अस्पताल वाले मार डालेंगे

कोरोना वायरस ने छीना रोजगार
कोरोना संक्रमण के कारण लोग अपने घरों में नल या इलेक्ट्रिक के सामान खराब होने पर भी नहीं बुलाते हैं. लोग ये मानते है कि संक्रमण के दौर में अपने घरों में ऐसे मिस्त्री और कारीगर को बुलाना खतरे से खाली नहीं है. ऐसे लोगों को लॉक डाउन या कोरोना संक्रमण के कारण काफी दिक्कत हो रही है, लेकिन क्या करें घर में छोटी मोटी बिजली में खराबी या नल में खराबी को ठीक करवाने के लिए फिलहाल बाहरी मिस्री को बुलाना ठीक नहीं है.

पेट पालने की सता रही चिंता
पेट पालने की सता रही चिंता

''वर्तमान में कोरोना संक्रमण का दौर है, ऐसे में कारीगरों को हम घर पर बुलाकर काम नहीं करवा रहे हैं, क्योंकि हमें इनको बुलाने से शंका की स्थिति हो सकती है. लेकिन क्या करें मजबूरी है, फिलहाल घर के नल में कोई खराबी हो या इलेक्ट्रिक में कुछ गड़बड़ी हो, खुद ही कुछ ना कुछ काम चला रहे हैं.''- किसलय कुमार, स्थानीय

''हम प्लम्बर का काम करते हैं, जबसे कोरोना संक्रमण बढ़ने लगा है लोग डर से हम लोगों को अपने घर नहीं बुलाते हैं. अब तो पेट भरना मुश्किल हो गया है. किसी तरह बाल बच्चें के साथ जी रहे हैं. सरकार भी हम लोगों के लिए कुछ नहीं कर रही है और ऐसे समय में कर्ज लेकर किसी तरह अपने परिवार को चला रहे हैं.''- मेहबूब अली, प्लम्बर मिस्त्री

ये भी पढ़ें- बिहार में ब्लैक फंगस के आठ नए मरीज मिले, संक्रमितों की संख्या हुई 42

''संक्रमण काल में अगर लोगों को कोई काम भी होता है, तो हमको घर में नहीं बुलाते हैं. रोजी रोजगार साफ चौपट हो गया है. सरकार कुछ कर नहीं रही है, जिससे हम लोगों को राहत मिल सकें. कम से कम राशन पानी भी मिल जाता तो अच्छा था, लेकिन ऐसा कुछ हो नहीं रहा है.'' - चंदन कुमार, इलेक्ट्रिक मिस्त्री

कारीगरों का रोजगार चौपट
कारीगरों का रोजगार चौपट

महामारी में सतर्कता बरत रहे लोग
जिस तरह इस बार कोरोना संक्रमण ने बिहार में हजारों लोगों की जान ली है और हालात ऐसे हुए हैं कि सभी उम्र के लोगों की मौत हुई है. इसलिए लोग संक्रमण को लेकर काफी सतर्कता बरत रहे हैं और अपने घर में ऐसे लोगों को प्रवेश नहीं देना चाहते हैं, जिनकी उसे नितांत जरूरत नहीं है. ऐसे में राजधानी पटना में काम करने वाले हजारों ऐसे कारीगर है जिनका रोजगार छीन गया है और अपने परिवार का पेट भरना भी उनके लिए दूभर हो रहा है.

ये भी पढ़ें- अब 31 मई तक बैंकों में 2 बजे तक होगा कामकाज, कोरोना संक्रमण के कारण लिया गया फैसला

सरकार की घोषणा से कोई फायदा नहीं
हालांकि, सरकार ये जरूर कहती हैं कि स्किल्ड लेबर जो हमारे यहां रजिस्टर्ड हैं, उसे हम आर्थिक मदद करते हैं. लेकिन इन लोगों के हालात देखने से लगता है कि सरकार की घोषणा का इन लोगों को कोई खास फायदा नहीं होता है. कोरोना काल में ये अपने और अपने परिवार के पेट भरने के लिए मशक्कत कर रहे हैं.

पटना: राज्य में लगातार कोरोना का संक्रमण बढ़ रहा है. बढ़ते कोरोना संक्रमण को देखते हुए राज्य में 5 मई से ही लॉकडाउन लगाया गया है. लॉकडाउन की वजह से प्रति दिन कमाकर खाने वाले मजदूर और कारीगरों के सामने आर्थिक संकट हो गया है. ऐसे काम करने वाले लोगों को अब अपने परिवार के पेट पालने की चिंता सता रही है.

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कोरोना वायरस ने छीना रोजगार
कोरोना संक्रमण के कारण लोग अपने घरों में नल या इलेक्ट्रिक के सामान खराब होने पर भी नहीं बुलाते हैं. लोग ये मानते है कि संक्रमण के दौर में अपने घरों में ऐसे मिस्त्री और कारीगर को बुलाना खतरे से खाली नहीं है. ऐसे लोगों को लॉक डाउन या कोरोना संक्रमण के कारण काफी दिक्कत हो रही है, लेकिन क्या करें घर में छोटी मोटी बिजली में खराबी या नल में खराबी को ठीक करवाने के लिए फिलहाल बाहरी मिस्री को बुलाना ठीक नहीं है.

पेट पालने की सता रही चिंता
पेट पालने की सता रही चिंता

''वर्तमान में कोरोना संक्रमण का दौर है, ऐसे में कारीगरों को हम घर पर बुलाकर काम नहीं करवा रहे हैं, क्योंकि हमें इनको बुलाने से शंका की स्थिति हो सकती है. लेकिन क्या करें मजबूरी है, फिलहाल घर के नल में कोई खराबी हो या इलेक्ट्रिक में कुछ गड़बड़ी हो, खुद ही कुछ ना कुछ काम चला रहे हैं.''- किसलय कुमार, स्थानीय

''हम प्लम्बर का काम करते हैं, जबसे कोरोना संक्रमण बढ़ने लगा है लोग डर से हम लोगों को अपने घर नहीं बुलाते हैं. अब तो पेट भरना मुश्किल हो गया है. किसी तरह बाल बच्चें के साथ जी रहे हैं. सरकार भी हम लोगों के लिए कुछ नहीं कर रही है और ऐसे समय में कर्ज लेकर किसी तरह अपने परिवार को चला रहे हैं.''- मेहबूब अली, प्लम्बर मिस्त्री

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''संक्रमण काल में अगर लोगों को कोई काम भी होता है, तो हमको घर में नहीं बुलाते हैं. रोजी रोजगार साफ चौपट हो गया है. सरकार कुछ कर नहीं रही है, जिससे हम लोगों को राहत मिल सकें. कम से कम राशन पानी भी मिल जाता तो अच्छा था, लेकिन ऐसा कुछ हो नहीं रहा है.'' - चंदन कुमार, इलेक्ट्रिक मिस्त्री

कारीगरों का रोजगार चौपट
कारीगरों का रोजगार चौपट

महामारी में सतर्कता बरत रहे लोग
जिस तरह इस बार कोरोना संक्रमण ने बिहार में हजारों लोगों की जान ली है और हालात ऐसे हुए हैं कि सभी उम्र के लोगों की मौत हुई है. इसलिए लोग संक्रमण को लेकर काफी सतर्कता बरत रहे हैं और अपने घर में ऐसे लोगों को प्रवेश नहीं देना चाहते हैं, जिनकी उसे नितांत जरूरत नहीं है. ऐसे में राजधानी पटना में काम करने वाले हजारों ऐसे कारीगर है जिनका रोजगार छीन गया है और अपने परिवार का पेट भरना भी उनके लिए दूभर हो रहा है.

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सरकार की घोषणा से कोई फायदा नहीं
हालांकि, सरकार ये जरूर कहती हैं कि स्किल्ड लेबर जो हमारे यहां रजिस्टर्ड हैं, उसे हम आर्थिक मदद करते हैं. लेकिन इन लोगों के हालात देखने से लगता है कि सरकार की घोषणा का इन लोगों को कोई खास फायदा नहीं होता है. कोरोना काल में ये अपने और अपने परिवार के पेट भरने के लिए मशक्कत कर रहे हैं.

Last Updated : May 17, 2021, 9:20 PM IST
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