पटना: कार्यक्रम में 29 छात्र छात्राओं को गोल्ड मेडल से नवाजा गया जिसमें 16 छात्राएं और 13 छात्र शामिल रहे. दीक्षांत समारोह (convocation at Aryabhatta gyan university) के दौरान 2021 और 2022 सत्र के कुल 17495 छात्र-छात्राओं को डिग्री दी गई. दीक्षांत समारोह के दौरान 17 से 36 स्टूडेंट्स शामिल हुए जिन्हें डिग्री मिली. कार्यक्रम में 7 स्टूडेंट्स को पीएचडी की उपाधि दी गई. (eighth convocation at Aryabhatta gyan university)
पढ़ें- लिटिल क्रेटर प्ले स्कूल में 10वां वार्षिक समारोह दिवस का आयोजन, बच्चों ने जमकर मचाया धमाल
29 छात्र-छात्राओं को गोल्ड मेडल: दीक्षांत समारोह के दौरान बीएएमएस, एमबीबीएस, बीटेक, एमटेक, एमबीए समेत विभिन्न प्रोफेशनल कोर्सेज के छात्र छात्राओं को डिग्री दी गई और उत्तीर्ण करने वाले छात्र-छात्राओं को गोल्ड मेडल से नवाजा गया. कार्यक्रम के संबोधन के दौरान प्रदेश के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री सुमित कुमार सिंह ने कहा कि विद्यार्थी जीवन में यह एक बेहद महत्वपूर्ण दिन होता है, जिस दिन दीक्षांत समारोह में छात्र-छात्राओं को उपाधि मिलती है.
"इसके आगे जीवन का असली संघर्ष शुरू होता है. जब लोगों को समाज में खुद को स्थापित करना होता है. परिवार के लिए निर्णय लेना पड़ता है. इसलिए जरूरी है कि दीक्षांत समारोह से जो भी छात्र निकलेंगे सभी पढ़े लिखे हैं युवा हैं, वह समाज में जाति धर्म से ऊपर उठकर निर्णय लेंगे. युवा वर्ग राजनीति से नहीं जुड़ना चाहता और कई लोगों की अवधारणा बन गई है कि राजनीति गंदी जगह है. राजनीति बिल्कुल भी गंदी जगह नहीं है. देश के भविष्य का निर्णय राजनीति से ही होता है."- सुमित कुमार सिंह, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री, बिहार
'जाति धर्म के दायरे से निकलें बाहर': कार्यक्रम के दौरान अपने संबोधन में शिक्षा मंत्री प्रोफेसर चंद्रशेखर ने कहा कि दीक्षांत समारोह में सम्मिलित सभी छात्र छात्राओं से वह अनुरोध करेंगे कि जाति धर्म से ऊपर उठकर भविष्य में अपना निर्णय लें. जहां भी जात-पात की बात आती है कटुता आती है वहां और भाई चारा खत्म हो जाता है.
"हिंदू धर्म कि आज जो दुर्दशा है इसके पीछे बड़ा कारण जात पात का भेद है. सभी भगवान राम की पूजा करते हैं धूप बत्ती दिखाते हैं, लेकिन कोई राम के गुणों का आचरण नहीं करता और शबरी के बच्चे को आज भी मंदिर में प्रवेश से रोका जाता है. भगवान राम कृष्ण को मानने वाले रामकृष्ण को सिर्फ धूप बत्ती ही नहीं दिखाए बल्कि उनके पद चिन्हों पर चलने का प्रयास करें जिसमें उन्होंने समाज के सभी वर्गों के साथ प्रेम और भाईचारा का संदेश दिया है."- प्रोफेसर चंद्रशेखर, शिक्षा मंत्री, बिहार