पटना: राज्य में ग्रामीण इलाकों के लिए संविदा पर डॉक्टरों की बहाली का निर्णय मंगलवार को हुए कैबिनेट की बैठक में लिया गया है. नीतीश सरकार में अधिकांश भर्तियां संविदा पर ही हुई हैं. अब संविदा कर्मी समान काम समान वेतन सहित कई मांगों के लिए सरकार का दरवाजा खटखटा रहे हैं.
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संविदा कर्मियों को विपक्ष का साथ
संविदा कर्मियों की मांगों को लेकर विपक्षी पार्टियां भी सरकार को घेरने में जुटी हैं. कांग्रेस प्रवक्ता राजेश राठौर ने बयान जारी कर संविदा कर्मियों के पक्ष में कांग्रेस पार्टी को बताया.
'पिछले 16 वर्षों के शासन काल में नीतीश कुमार ने स्थायी नियुक्ति नहीं की है. जो भी नियुक्तियां उन्होंने की है वह संविदा पर ही की गई है. लेकिन जब संविदा कर्मियों को काम के बदले उनके हक का पैसा देने की बात आती है, तो सरकार आनाकानी शुरु कर देती है. कांग्रेस संविदा बहाली के पक्ष में नहीं है.'- राजेश राठौर, कांग्रेस प्रवक्ता
सभी विभाग में संविदाकर्मी ही संभाल रहे काम
बता दें कि बिहार में कई सालों से नियमित बहाली की प्रक्रिया लगभग ठप पड़ी है. बिहार में धड़ल्ले से पिछले करीब 10 साल से संविदा पर नौकरी की व्यवस्था चल रही है. स्वास्थ्य, शिक्षा और उद्योग से लेकर जल संसाधन और सरकार के लगभग सभी विभागों में भी संविदाकर्मी ही सारा काम संभाल रहे हैं. लेकिन इन संविदा कर्मियों की सेवा शर्तें और उन्हें नियमित करने का मामला लंबित पड़ा है. 2020 के अगस्त महीने में संविदा कर्मियों पर गठित हाई लेवल कमिटी की रिपोर्ट भी सरकार को मिल चुकी है. सरकार ने सभी विभागों से संविदा कर्मियों की पूरी लिस्ट मांगी थी. उसके बावजूद आज तक इन लोगों की मांगों पर विचार नहीं किया गया.