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Bihar Caste Census: जातीय जनगणना पर क्रेडिट पॉलिटिक्स शुरू, JDU का पोल खोल अभियान.. BJP ने कह दी बड़ी बात

बिहार में जातीय जनगणना का काम पूरा हो गया है. हालांकि अभी तक आंकड़ों को लेकर तस्वीर साफ नहीं हुई है लेकिन राजनीति खूब होने लगी है. तमाम दलों के बीच श्रेय लेने की होड़ शुरू हो गई है. आरजेडी और जेडीयू के साथ-साथ बीजेपी भी इसमें पीछे नहीं है. ऐसे में जाहिर है कि लोकसभा चुनाव तक यह मुद्दा गरमाया रहेगा.

बिहार में जातीय जनगणना
बिहार में जातीय जनगणना
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By ETV Bharat Bihar Team

Published : Aug 27, 2023, 10:09 AM IST

देखें रिपोर्ट

पटना: बिहार में 7 जनवरी से जाति आधारित गणना का काम शुरू हुआ था. सर्वे के बाद अब डाटा एंट्री का काम अंतिम दौर में है. उसके बाद विश्लेषण किया जाएगा और फिर एक से दो महीने के अंदर रिपोर्ट जारी की जा सकती है. इधर पटना हाईकोर्ट में भी 28 अगस्त को इस पर सुनवाई होनी है. उधर जेडीयू ने जातीय जनगणना पर क्रेडिट लेने की तैयारी शुरू कर दी है. 1 सितंबर से बीजेपी को घेरने के लिए पोल खोल अभियान की शुरुआत होगी. इसके माध्यम से यह भी कोशिश होगी कि इसका क्रेडिट मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को मिल जाए.

ये भी पढ़ें: Bihar Politics: बिहार में जातीय गणना पर राजनीति तेज, बीजेपी के खिलाफ जदयू शुरू करेगा पोल-खोल

जातीय जनगणना का श्रेय लेने की कोशिश में जेडीयू: जेडीयू की तरफ से जातीय गणना का कार्य पूरा होने के बाद अब क्रेडिट लेने की कोशिश भी शुरू हो गई है तो दूसरी तरफ बीजेपी को घेरने की कोशिश भी हो रही है. जेडीयू का कहना है कि बीजेपी ने साजिश के तहत मामले को कोर्ट में अपने एजेंट के माध्यम से याचिका दायर करवाया है. ऐसे में बीजेपी का चेहरा बेनकाब हो चुका है. इसलिए पोल खोल अभियान के माध्यम से जनता को बीजेपी की हकीकत बताई जाएगी.

एक सितंबर से जेडीयू का पोल-खोल अभियान: जेडीयू अध्यक्ष ललन सिंह ने ऐलान किया है कि एक सिंतबर से पार्टी जनता के बीच जाएगा और जाति आधारित गणना के बारे में लोगों को बताएगी. उन्होंने बताया कि पोल खोल अभियान के तहत 1 से 5 सितंबर तक संध्या काल में बिहार के सभी जिला मुख्यालयों में मसाल और कैंडल मार्च का आयोजन किया जाएगा. 7 से 12 सितंबर तक सभी प्रखंड मुख्यालयों में आयोजन होगा. उसके बाद 15 से 20 सितंबर तक जेडीयू के सभी स्तर के पदाधिकारी और सक्रिय साथी अपने-अपने घरों में काला झंडा लगाकर भारतीय जनता पार्टी के संविधान विरोधी चरित्र को उजागर करेंगे.

"मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जातीय जनगणना का मॉडल दे दिया है. अब बिहार का मॉडल पूरे देश में अमल में आ सकता है. नीतीश कुमार की सोच के कारण ही यह संभव हो सका है. बीच में रुकावट भी आई लेकिन सीएम के दिशा-निर्देश में काम पूरा हो गया"- संजय झा, मंत्री, बिहार सरकार

जातीय जनगणना पर बीजेपी क्या बोली?: उधर, बीजेपी प्रवक्ता संजय टाइगर का कहना है जातीय गणना को लेकर भारतीय जनता पार्टी ने शुरू से समर्थन करती रही है. चाहे सर्वदलीय समिति हो या फिर ऑल पार्टी मीटिंग, सभी में हमारी पार्टी ने साथ दिया है लेकिन अब क्रेडिट लेने की कोशिश है तो बीजेपी का नाम बदमान किया जा रहा है.

"हमलोग शुरू से जातीय जनगणना पर सरकार के साथ थे. जब प्रधानमंत्री से मिलने सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल गया था, तब भी हमारे नेता साथ थे. सर्वदलीय बैठक में भी हमलोगों ने समर्थन किया था. जेडीयू का बीजेपी पर आरोप गलत है"- संजय टाइगर, प्रवक्ता, बीजेपी

जाति आधारित गणना का काम पूरा: आपको बताएं कि बिहार में जातीय जनगणना का काम दो चरणों में पूरा हो चुका है. 7 जनवरी से जातीय गणना का काम शुरू हुआ था. पहले फेज में मकान का सर्वे किया गया था. 21 जनवरी तक पहले चरण का काम पूरा किया गया. वहीं 15 अप्रैल से दूसरे फेज में सर्वे का काम शुरू हुआ. 15 मई तक काम चलना था लेकिन बीच में पटना हाईकोर्ट ने जातीय गणना पर रोक लगा दी, जिस वजह से काम में देरी हुई.

बिहार में जातीय जनगणना
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28 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई: पटना हाई कोर्ट से अनुमति मिलने के बाद अब यह काम पूरा हो चुका है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी कहा है कि जातीय गणना का कार्य पूरा हो गया है. अब आंकड़ों का विश्लेषण हो रहा है. आर्थिक, सामाजिक और अन्य जानकारी के आधार पर रिपोर्ट तैयार की जा रही है. हालांकि अभी भी यह मामला सुप्रीम कोर्ट में है और 28 अगस्त को सुनवाई होना है लेकिन कानून विद का कहना है कि अब इसमें रोक लगेगी, इसकी संभावना कम है.

जातीय जनगणना पर बिहार में सियासत: बिहार में जातीय जनगणना को लेकर पिछले कई सालों से सियासत होती रही है. आरजेडी की तरफ से भी कहा जाता रहा है कि जाति आधारित गणना की मांग उसकी रही है लेकिन जेडीयू की तरफ से साफ कहा जा रहा है कि नीतीश कुमार ने ही इसकी पहल की और मॉडल तैयार किया है. एक तरफ जेडीयू नीतीश कुमार के नाम पर अपने पक्ष में जातीय गणना को भुनाने में लगी है तो दूसरी तरफ बीजेपी को लोकसभा चुनाव 2024 में इसका नुकसान हो, यह भी कोशिश हो रही है.

देखें रिपोर्ट

पटना: बिहार में 7 जनवरी से जाति आधारित गणना का काम शुरू हुआ था. सर्वे के बाद अब डाटा एंट्री का काम अंतिम दौर में है. उसके बाद विश्लेषण किया जाएगा और फिर एक से दो महीने के अंदर रिपोर्ट जारी की जा सकती है. इधर पटना हाईकोर्ट में भी 28 अगस्त को इस पर सुनवाई होनी है. उधर जेडीयू ने जातीय जनगणना पर क्रेडिट लेने की तैयारी शुरू कर दी है. 1 सितंबर से बीजेपी को घेरने के लिए पोल खोल अभियान की शुरुआत होगी. इसके माध्यम से यह भी कोशिश होगी कि इसका क्रेडिट मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को मिल जाए.

ये भी पढ़ें: Bihar Politics: बिहार में जातीय गणना पर राजनीति तेज, बीजेपी के खिलाफ जदयू शुरू करेगा पोल-खोल

जातीय जनगणना का श्रेय लेने की कोशिश में जेडीयू: जेडीयू की तरफ से जातीय गणना का कार्य पूरा होने के बाद अब क्रेडिट लेने की कोशिश भी शुरू हो गई है तो दूसरी तरफ बीजेपी को घेरने की कोशिश भी हो रही है. जेडीयू का कहना है कि बीजेपी ने साजिश के तहत मामले को कोर्ट में अपने एजेंट के माध्यम से याचिका दायर करवाया है. ऐसे में बीजेपी का चेहरा बेनकाब हो चुका है. इसलिए पोल खोल अभियान के माध्यम से जनता को बीजेपी की हकीकत बताई जाएगी.

एक सितंबर से जेडीयू का पोल-खोल अभियान: जेडीयू अध्यक्ष ललन सिंह ने ऐलान किया है कि एक सिंतबर से पार्टी जनता के बीच जाएगा और जाति आधारित गणना के बारे में लोगों को बताएगी. उन्होंने बताया कि पोल खोल अभियान के तहत 1 से 5 सितंबर तक संध्या काल में बिहार के सभी जिला मुख्यालयों में मसाल और कैंडल मार्च का आयोजन किया जाएगा. 7 से 12 सितंबर तक सभी प्रखंड मुख्यालयों में आयोजन होगा. उसके बाद 15 से 20 सितंबर तक जेडीयू के सभी स्तर के पदाधिकारी और सक्रिय साथी अपने-अपने घरों में काला झंडा लगाकर भारतीय जनता पार्टी के संविधान विरोधी चरित्र को उजागर करेंगे.

"मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जातीय जनगणना का मॉडल दे दिया है. अब बिहार का मॉडल पूरे देश में अमल में आ सकता है. नीतीश कुमार की सोच के कारण ही यह संभव हो सका है. बीच में रुकावट भी आई लेकिन सीएम के दिशा-निर्देश में काम पूरा हो गया"- संजय झा, मंत्री, बिहार सरकार

जातीय जनगणना पर बीजेपी क्या बोली?: उधर, बीजेपी प्रवक्ता संजय टाइगर का कहना है जातीय गणना को लेकर भारतीय जनता पार्टी ने शुरू से समर्थन करती रही है. चाहे सर्वदलीय समिति हो या फिर ऑल पार्टी मीटिंग, सभी में हमारी पार्टी ने साथ दिया है लेकिन अब क्रेडिट लेने की कोशिश है तो बीजेपी का नाम बदमान किया जा रहा है.

"हमलोग शुरू से जातीय जनगणना पर सरकार के साथ थे. जब प्रधानमंत्री से मिलने सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल गया था, तब भी हमारे नेता साथ थे. सर्वदलीय बैठक में भी हमलोगों ने समर्थन किया था. जेडीयू का बीजेपी पर आरोप गलत है"- संजय टाइगर, प्रवक्ता, बीजेपी

जाति आधारित गणना का काम पूरा: आपको बताएं कि बिहार में जातीय जनगणना का काम दो चरणों में पूरा हो चुका है. 7 जनवरी से जातीय गणना का काम शुरू हुआ था. पहले फेज में मकान का सर्वे किया गया था. 21 जनवरी तक पहले चरण का काम पूरा किया गया. वहीं 15 अप्रैल से दूसरे फेज में सर्वे का काम शुरू हुआ. 15 मई तक काम चलना था लेकिन बीच में पटना हाईकोर्ट ने जातीय गणना पर रोक लगा दी, जिस वजह से काम में देरी हुई.

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28 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई: पटना हाई कोर्ट से अनुमति मिलने के बाद अब यह काम पूरा हो चुका है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी कहा है कि जातीय गणना का कार्य पूरा हो गया है. अब आंकड़ों का विश्लेषण हो रहा है. आर्थिक, सामाजिक और अन्य जानकारी के आधार पर रिपोर्ट तैयार की जा रही है. हालांकि अभी भी यह मामला सुप्रीम कोर्ट में है और 28 अगस्त को सुनवाई होना है लेकिन कानून विद का कहना है कि अब इसमें रोक लगेगी, इसकी संभावना कम है.

जातीय जनगणना पर बिहार में सियासत: बिहार में जातीय जनगणना को लेकर पिछले कई सालों से सियासत होती रही है. आरजेडी की तरफ से भी कहा जाता रहा है कि जाति आधारित गणना की मांग उसकी रही है लेकिन जेडीयू की तरफ से साफ कहा जा रहा है कि नीतीश कुमार ने ही इसकी पहल की और मॉडल तैयार किया है. एक तरफ जेडीयू नीतीश कुमार के नाम पर अपने पक्ष में जातीय गणना को भुनाने में लगी है तो दूसरी तरफ बीजेपी को लोकसभा चुनाव 2024 में इसका नुकसान हो, यह भी कोशिश हो रही है.

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