पटना: बिहार में भारतीय जनता पार्टी (BJP) और जनता दल यूनाइटेड (JDU) के बीच काफी पुराना गठबंधन है. बिहार विधानसभा चुनाव (Bihar Assembly Elections) में बीजेपी को बड़ी कामयाबी हासिल हुई है और जेडीयू छोटे भाई की भूमिका में आ गया. जिसके बाद से दोनों दलों के बीच प्रतिस्पर्धा साफ तौर पर देखी जा रही है. जेडीयू की ओर से पार्टी दफ्तर में 'दरबार' लगाने का फैसला भी इसी से जोड़कर देखा जा रहा है.
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कोरोना संक्रमण कम होने के बाद बीजेपी दफ्तर में सहयोग कार्यक्रम की शुरुआत हुई. इस बार खास बात यह रही कि उपमुख्यमंत्री भी सहयोग कार्यक्रम में शामिल होने लगे. बीजेपी कोटे के तमाम मंत्री आम लोगों की शिकायतों का निपटारा करने लगे. इस दौरान लोगों की भीड़ भी खूब जुटने लगी है, इसका कार्यकर्ताओं और आमजन में सकारात्मक संदेश भी जा रहा है.
बीजेपी के 'सहयोग कार्यक्रम' की सफलता से प्रेरित होकर जेडीयू नेताओं ने भी उसी तर्ज पर 'सहयोग कार्यक्रम' का ऐलान कर दिया है. जेडीयू कोटे के मंत्री भी अब पार्टी दफ्तर में दरबार लगाएंगे और आम लोगों की शिकायतों का निपटारा करेंगे.
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क्या यह आपस में प्रतिस्पर्धा है? इस सवाल के जवाब में बिहार बीजेपी (Bihar BJP) के प्रवक्ता प्रेम रंजन पटेल (Prem Ranjan Patel) कहते हैं कि हम जेडीयू के फैसले का स्वागत करते हैं. वे कहते हैं कि बीजेपी पहले से ही सहयोग कार्यक्रम आयोजित करती आ रही है. आम लोगों को इससे फायदा भी हो रहा है. अब जेडीयू की पहल से यह साफ हो गया है कि हम (NDA) सत्ता में सेवा के लिए आते हैं और आम लोगों की सेवा ही हमारा धर्म है.
वहीं, बीजेपी नेता और सहकारिता मंत्री सुभाष सिंह (Subhash Singh) ने कहा है कि हम लोग लंबे समय से सहयोग कार्यक्रम के जरिए आम लोगों के शिकायतों का निपटारा करते हैं. अब जेडीयू भी इसकी शुरुआत करने जा रहा है तो हम इसका स्वागत करते हैं. वे कहते हैं कि अगर जेडीयू कोटे के मंत्री दरबार में बैठेंगे तो निचले स्तर पर समस्याओं का समाधान होगा और मुख्यमंत्री जनता दरबार का बोझ भी कम होगा.