पटना: बिहार की सत्ताधारी दल जदयू में इन दिनों सब कुछ सामान्य नहीं है. जदयू संसदीय बोर्ड अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा के बयान से नीतीश कुमार तिलमिलाए हुए हैं. नीतीश कुमार बार-बार बयान दे रहे हैं जिसको जाना है चले जाएं, लेकिन नीतीश कुमार का ट्रैक रिकॉर्ड रहा है कि अपने बड़े नेताओं पर कार्रवाई करने से बचते हैं.
उपेंद्र कुशवाहा पर सीएम नीतीश लेंगे एक्शन?: हालांकि सीएम नीतीश बयानवीरों के लिए पार्टी में ऐसी स्थिति जरूर पैदा कर देते हैं कि खुद पार्टी छोड़ना उनकी मजबूरी हो जाती है. इसके कई उदाहरण हैं. जॉर्ज फर्नांडिस, शरद यादव, आरसीपी सिंह जैसे बड़े नेता की चर्चा हमेशा इसको लेकर होती है. उपेंद्र कुशवाहा को लेकर भी नीतीश कोई बड़ी कार्रवाई करेंगे, इसकी संभावना कम है. क्योंकि उपेंद्र कुशवाहा के साथ कुशवाहा वोट बैंक भी जुड़ा है और कुशवाहा वोट बैंक को लेकर कोई रिस्क फिलहाल नीतीश नहीं लेंगे.
नीतीश नहीं लेते एक्शन पर..: बिहार की सत्ताधारी दल जदयू में पिछले दो दशक से नीतीश कुमार का ही सिक्का चलता रहा है. नीतीश कुमार के खिलाफ जाने वाले पार्टी के बड़े नेताओं को भी बाहर का रास्ता देखना पड़ा. हालांकि नीतीश कुमार ने किसी बड़े नेता के खिलाफ अब तक कोई कार्रवाई नहीं की है.
कई नेताओं को छोड़नी पड़ी थी पार्टी: समता पार्टी के समय से लेकर जदयू के संस्थापक माने जाने वाले नेताओं में जॉर्ज फर्नांडिस, दिग्विजय सिंह, शरद यादव, अरुण कुमार, आरसीपी सिंह जैसे बड़े नेताओं की चर्चा हमेशा होती है. यही नहीं ललन सिंह और उपेंद्र कुशवाहा भी पार्टी छोड़ चुके हैं. इसके अलावा भी एक दर्जन ऐसे नेता होंगे जिनके लिए पार्टी से बाहर निकलना मजबूरी हो गयी.
अपनाते हैं ऐसी रणनीति: जॉर्ज फर्नांडिस तो पार्टी के संस्थापक रहे तो वहीं शरद यादव लंबे समय तक पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे और आरसीपी सिंह भी पार्टी के कर्ता-धर्ता माने जाते रहे और अंत में राष्ट्रीय अध्यक्ष भी रहे. जॉर्ज फर्नांडिस लोकसभा चुनाव लड़ना चाहते थे, लेकिन नीतीश कुमार ने उन्हें टिकट नहीं दिया.
चारों तरफ से सीएम नीतीश करते हैं वार: दिग्विजय सिंह को भी नीतीश कुमार ने टिकट नहीं दिया. आखिरकार उन्हें निर्दलीय चुनाव लड़ना पड़ा. शरद यादव की तो राज्यसभा सदस्यता ही समाप्त करा दी थी. आरसीपी सिंह को केंद्रीय मंत्रीमंडल से इस्तीफा देना पड़ा था क्योंकि उन्हें राज्यसभा नहीं भेजा गया. जमीन को लेकर पार्टी की तरफ से नोटिस तक भेजा गया था. अंत में आरसीपी सिंह ने पार्टी छोड़ना ही मुनासिब समझा.
"उपेंद्र कुशवाहा को बहुत से बहुत नीतीश कुमार जदयू संसदीय बोर्ड के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से हटा सकते हैं लेकिन पार्टी से निकालेंगे इसकी संभावना कम है. क्योंकि लव-कुश वोट बैंक नीतीश कुमार का कोर वोट बैंक माना जाता है. उपेंद्र कुशवाहा पर कार्रवाई हुई तो कुशवाहा वोट बैंक खिसकने का डर रहेगा. इसके कारण कोई रिस्क नहीं लेंगे."- अरुण पांडे, वरिष्ठ पत्रकार
"किसी नेता से पार्टी नहीं बनती है. पार्टी नेता को बनाता है. जितने भी बड़े नेता हुए पार्टी ने उन्हें तैयार किया है. पार्टी आज भी चल रही है पहले से बेहतर हुई है."- जयंत राज, ग्रामीण कार्य मंत्री, बिहार
उपेंद्र कुशवाहा ने बढ़ाई मुश्किल: उपेंद्र कुशवाहा की बीजेपी से नजदीकियां बढ़ने की चर्चा जोरों पर है. क्योंकि उपेंद्र कुशवाहा जिस मकसद से अपनी पार्टी का विलय जदयू में कराए थे और नीतीश कुमार के साथ आए थे वह कहीं से पूरा होता उन्हें दिख नहीं रहा है. इसलिए ऐसे सवाल खड़ा कर रहे हैं जिनसे पार्टी नेतृत्व बेचैन है. जब तक जदयू में रहेंगे तब तक पार्टी नेतृत्व के साथ सहयोगी आरजेडी की मुश्किल भी बढ़ाते रहेंगे.
उपेंद्र कुशवाहा के हाल के बयान: उपेंद्र कुशवाहा के हाल के बयानों से पार्टी नेतृत्व तिलमिलाया हुआ है. आरजेडी मंत्रियों के बयान पर सबसे पहले उपेंद्र कुशवाहा ने ही मोर्चा खोला था और तेजस्वी यादव को चेतावनी दी थी. जदयू का आरजेडी में विलय की चर्चा पर उपेंद्र कुशवाहा ने ही सवाल खड़ा किया था और कहा था यह जदयू के लिए मौत जैसा होगा. बाद में नीतीश कुमार को भी सफाई देनी पड़ी.
सीएम नीतीश vs उपेंद्र कुशवाहा: उपेंद्र कुशवाहा ने उपमुख्यमंत्री बनाए जाने की चर्चा पर कहा था कि खुशी होती है हालांकि बाद में नीतीश कुमार ने इसे बेतुका बता दिया. दिल्ली में जब एम्स में भर्ती थे तो बीजेपी के प्रवक्ता और कुछ नेता उनसे मुलाकात की थी और उसके बाद कई तरह के कयास लगने लगे जब पटना लौटे तो उन्होंने बड़ा बयान दे दिया कि जदयू के बड़े नेता बीजेपी के संपर्क में हैं.
उपेंद्र कुशवाहा ने आरजेडी के साथ क्या डील हुई है इसका खुलासा करने की मांग कर पार्टी की मुश्किल बढ़ा दी. पहले से जदयू कमजोर हुआ है और नीतीश कुमार को कमजोर करने की साजिश हो रही है, बयान देकर भी पार्टी के लिए असहज स्थिति पैदा कर दी है.
दो बार छोड़ चुके हैं साथ: उपेंद्र कशवाहा समता पार्टी के समय से नीतीश के साथ रहे हैं, लेकिन पहले भी नीतीश कुमार का दो बार साथ छोड़ चुके हैं. अब एक बार फिर से उपेंद्र कुशवाहा को लेकर चर्चा हो रही है. नीतीश कुमार की नाराजगी साफ दिख रही है क्योंकि उपेंद्र कुशवाहा पार्टी नेतृत्व पर ही सवाल खड़ा कर रहे हैं. नीतीश कुमार उपेंद्र कुशवाहा के खिलाफ भले ही बयान दे रहे हों. लेकिन कोई बड़ी कारण कार्रवाई करेंगे, इसकी संभावना कम है.