पटना: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) ने बिहार में शराबबंदी के फायदे को लेकर फिर से अध्ययन (Study on the benefits of prohibition) कराने की बात कही है. सीएम ने कहा कि पूर्व में भी इसको लेकर एक सर्वे कराया गया था, जिसमें यह बात सामने आई थी कि शराबबंदी से काफी फायदा लोगों को हुआ है. खासकर महिलाओं को काफी लाभ हुआ. एक करोड़ 64 लाख लोगों ने शराब पीना छोड़ दिया है, जो पहले सेवन करते थे. सर्वे 2016 के आखिरी महीने में शुरू हुआ था, जो 2017 तक चला था.
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शराबबंदी के फायदे को लेकर स्टडी: सीएम नीतीश कुमार ने विधानसभा में अपने संबोधन में भी कहा था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब 2017 में पटना आए थे, तब शराबबंदी के फैसले को लेकर मेरी काफी प्रशंसा की थी लेकिन आज बीजेपी के नेता अनाप-शनाप बयान दे रहे हैं. बीजेपी समेत तमाम दलों ने 2016 में शराबबंदी पर अपना समर्थन दिया था.
वहीं मुख्यमंत्री ने मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर भी कहा है कि अभी इस पर चर्चा नहीं हुई है. कांग्रेस की भी एक सीट खाली हैं तो वहीं आरजेडी के दो मंत्री हटे हैं. विधानसभा के अपने चेंबर में मुख्यमंत्री ने सत्र की कार्यवाही के अंतिम दिन बातचीत के दौरान यह बात बोली. चर्चा के दौरान कुछ मीडियाकर्मी और कुछ दलों के नेता भी मौजूद थे.
शराबबंदी पर बैकफुट पर सरकार: दरअसल, छपरा जहरीली शराब से मौत मामले पर न्यायिक जांच की मांग के साथ मुआवजे की मांग बीजेपी की तरफ से लगातार हो रही है. अब महागठबंधन के सहयोगियों की तरफ से भी मुआवजे की मांग उठने लगी है. कांग्रेस की विधायक प्रतिमा कुमारी का कहना है कि बीजेपी हंगामा कर मुआवजा की मांग करना चाहती है, क्या यह सही तरीका है? बेहतर होता शिष्टमंडल लेकर मुख्यमंत्री के साथ बात करनी चाहिए थी. बीजेपी एक तरफ से मौत के आंकड़े को लेकर निशाना साध रही है. तो दूसरा मुआवजे पर भी नीतीश कुमार की मुश्किलें बढ़ा रखीं है. अब महागठबंधन के घटक दल हम, कांग्रेस और वामपंथी दलों के नेता मुआवजे की मांग कर नीतीश कुमार की मुश्किल दोगुनी कर दी है. एक तरह से नीतीश कुमार मुआवजे के मुद्दे पर अलग-थलग पड़ते दिख रहे हैं.
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