पटना: महागठबंधन से निकलकर नीतीश कुमार के बीजेपी में आने के बाद से मुस्लिम वोट बैंक नाराज है. उपचुनाव की बात करें या फिर लोकसभा चुनाव की. अल्पसंख्यकों का बड़ा तबका जदयू से दूर-दूर रहा है. ऐसे में नीतीश अल्पसंख्यकों को लुभाने के लिए कुछ भी करने को तैयार नजर आ रहे हैं. राजनीतिक हलकों में आरएसएस की जासूसी करने को उसी में से एक माना जा रहा है. पेश है ईटीवी भारत संवाददाता की रिपोर्ट:
महागठबंधन से अलगाव के बाद हुए यह हालात
लोकसभा चुनाव में एनडीए जरूर 40 में से 39 सीटों पर विजय पताका फहराने में कामयाब रहा. वहीं, जदयू 17 सीटों में से 16 पर विजय हुई. लेकिन, अल्पसंख्यकों का वोट जदयू से अभी भी दूर है. जदयू ने महागठबंधन से अलग होकर जब बीजेपी का हाथ थाम बिहार में सरकार बना ली, तब से ही ऐसा लग रहा है कि अल्पसंख्यक वोट बैंक नाराज बैठा है.
किशनगंज सीट गई कांग्रेस के पास
मालूम हो कि उपचुनाव के रिजल्ट में भी इसका असर साफ देखने को मिला था. साथ ही लोकसभा चुनावों के परिणाम से भी लगा कि अल्पसंख्यक एनडीए को वोट नहीं कर रहे हैं. किशनगंज में यदि अल्पसंख्यक जदयू को वोट करते तो जदयू के कैंडिडेट आसानी से विजय हो जाते. लेकिन, ऐसा नहीं हुआ. नतीजतन, एकमात्र किशनगंज का सीट ही कांग्रेस के खाते में चली गई.
अटकलों से विपरीत दावे कर रहे मंत्री
लेकिन, फिलहाल नीतीश कुमार अल्पसंख्यकों को रिझाने के लिए कुछ भी करने को तैयार नजर आ रहे हैं. पार्टी के मंत्री महेश्वर हजारी का तो दावा है कि अल्पसंख्यकों के लिए बिहार में नीतीश कुमार ने ही सबसे ज्यादा काम किया है. इसलिए, उनका वोट भी मिलता रहा है.
कांग्रेस दे रहा अलग तर्क
वहीं, पिछले दिनों आरसीएस की जासूसी को लेकर स्पेशल ब्रांच के एसपी की ओर से जारी किए लेटर पर काफी विवाद हुआ. लेकिन, कांग्रेस नेताओं को शक है कि यह सब कुछ नीतीश कुमार ने अल्पसंख्यकों को रिझाने के लिए ही किया है.
बीजेपी कर रही आरएसएस का बखान
बीजेपी विधायकों का कहना है कि आरएसएस के संपर्क में जो लोग नहीं आए हैं वहीं, आरसीएस के बारे में गलत बयान देते हैं. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी भी जब आरएसएस की तारीफ कर चुके हैं तो अब कहने को कुछ शेष नहीं है. नेताओं को पहले एक बार आरएसएस की शाखा में जाकर देखना चाहिए, फिर बयानबाजी करनी चाहिए. लेकिन, बीजेपी के नेता नीतीश कुमार के मुस्लिम तुष्टिकरण पर कुछ भी बोलने से बचते नजर आते हैं.
बहरहाल, 2020 में बिहार विधानसभा का चुनाव होना है. ऐसे में बिहार में कई तरह की चर्चाएं हैं. यदि बीजेपी जदयू से अलग रास्ता अपनाती है तो निश्चित ही नीतीश कुमार के लिए फिर से मुश्किलें बढ़ सकती हैं. वहीं, राजनीतिक विशेषज्ञों की मानें तो नीतीश कुमार उस परिस्थिति से निपटने की ही तैयारी कर रहे हैं.