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नीतीश कहीं विधानसभा चुनाव को लेकर मुस्लिम तुष्टिकरण का खेल तो नहीं खेल रहे!

2020 में बिहार विधानसभा का चुनाव होना है. ऐसे में बिहार में कई तरह की चर्चाएं हैं. यदि बीजेपी जदयू से अलग रास्ता अपनाती है तो निश्चित ही नीतीश कुमार के लिए फिर से मुश्किलें बढ़ सकती हैं.

नेताओं का बयान
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Published : Jul 21, 2019, 6:38 PM IST

पटना: महागठबंधन से निकलकर नीतीश कुमार के बीजेपी में आने के बाद से मुस्लिम वोट बैंक नाराज है. उपचुनाव की बात करें या फिर लोकसभा चुनाव की. अल्पसंख्यकों का बड़ा तबका जदयू से दूर-दूर रहा है. ऐसे में नीतीश अल्पसंख्यकों को लुभाने के लिए कुछ भी करने को तैयार नजर आ रहे हैं. राजनीतिक हलकों में आरएसएस की जासूसी करने को उसी में से एक माना जा रहा है. पेश है ईटीवी भारत संवाददाता की रिपोर्ट:

महागठबंधन से अलगाव के बाद हुए यह हालात
लोकसभा चुनाव में एनडीए जरूर 40 में से 39 सीटों पर विजय पताका फहराने में कामयाब रहा. वहीं, जदयू 17 सीटों में से 16 पर विजय हुई. लेकिन, अल्पसंख्यकों का वोट जदयू से अभी भी दूर है. जदयू ने महागठबंधन से अलग होकर जब बीजेपी का हाथ थाम बिहार में सरकार बना ली, तब से ही ऐसा लग रहा है कि अल्पसंख्यक वोट बैंक नाराज बैठा है.

ईटीवी भारत संवाददाता की रिपोर्ट

किशनगंज सीट गई कांग्रेस के पास
मालूम हो कि उपचुनाव के रिजल्ट में भी इसका असर साफ देखने को मिला था. साथ ही लोकसभा चुनावों के परिणाम से भी लगा कि अल्पसंख्यक एनडीए को वोट नहीं कर रहे हैं. किशनगंज में यदि अल्पसंख्यक जदयू को वोट करते तो जदयू के कैंडिडेट आसानी से विजय हो जाते. लेकिन, ऐसा नहीं हुआ. नतीजतन, एकमात्र किशनगंज का सीट ही कांग्रेस के खाते में चली गई.

अटकलों से विपरीत दावे कर रहे मंत्री
लेकिन, फिलहाल नीतीश कुमार अल्पसंख्यकों को रिझाने के लिए कुछ भी करने को तैयार नजर आ रहे हैं. पार्टी के मंत्री महेश्वर हजारी का तो दावा है कि अल्पसंख्यकों के लिए बिहार में नीतीश कुमार ने ही सबसे ज्यादा काम किया है. इसलिए, उनका वोट भी मिलता रहा है.

patna
मंत्री महेश्वर हजारी

कांग्रेस दे रहा अलग तर्क
वहीं, पिछले दिनों आरसीएस की जासूसी को लेकर स्पेशल ब्रांच के एसपी की ओर से जारी किए लेटर पर काफी विवाद हुआ. लेकिन, कांग्रेस नेताओं को शक है कि यह सब कुछ नीतीश कुमार ने अल्पसंख्यकों को रिझाने के लिए ही किया है.

patna
राजेश राम, कांग्रेस

बीजेपी कर रही आरएसएस का बखान
बीजेपी विधायकों का कहना है कि आरएसएस के संपर्क में जो लोग नहीं आए हैं वहीं, आरसीएस के बारे में गलत बयान देते हैं. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी भी जब आरएसएस की तारीफ कर चुके हैं तो अब कहने को कुछ शेष नहीं है. नेताओं को पहले एक बार आरएसएस की शाखा में जाकर देखना चाहिए, फिर बयानबाजी करनी चाहिए. लेकिन, बीजेपी के नेता नीतीश कुमार के मुस्लिम तुष्टिकरण पर कुछ भी बोलने से बचते नजर आते हैं.

patna
मिथिलेश तिवारी, बीजेपी

बहरहाल, 2020 में बिहार विधानसभा का चुनाव होना है. ऐसे में बिहार में कई तरह की चर्चाएं हैं. यदि बीजेपी जदयू से अलग रास्ता अपनाती है तो निश्चित ही नीतीश कुमार के लिए फिर से मुश्किलें बढ़ सकती हैं. वहीं, राजनीतिक विशेषज्ञों की मानें तो नीतीश कुमार उस परिस्थिति से निपटने की ही तैयारी कर रहे हैं.

पटना: महागठबंधन से निकलकर नीतीश कुमार के बीजेपी में आने के बाद से मुस्लिम वोट बैंक नाराज है. उपचुनाव की बात करें या फिर लोकसभा चुनाव की. अल्पसंख्यकों का बड़ा तबका जदयू से दूर-दूर रहा है. ऐसे में नीतीश अल्पसंख्यकों को लुभाने के लिए कुछ भी करने को तैयार नजर आ रहे हैं. राजनीतिक हलकों में आरएसएस की जासूसी करने को उसी में से एक माना जा रहा है. पेश है ईटीवी भारत संवाददाता की रिपोर्ट:

महागठबंधन से अलगाव के बाद हुए यह हालात
लोकसभा चुनाव में एनडीए जरूर 40 में से 39 सीटों पर विजय पताका फहराने में कामयाब रहा. वहीं, जदयू 17 सीटों में से 16 पर विजय हुई. लेकिन, अल्पसंख्यकों का वोट जदयू से अभी भी दूर है. जदयू ने महागठबंधन से अलग होकर जब बीजेपी का हाथ थाम बिहार में सरकार बना ली, तब से ही ऐसा लग रहा है कि अल्पसंख्यक वोट बैंक नाराज बैठा है.

ईटीवी भारत संवाददाता की रिपोर्ट

किशनगंज सीट गई कांग्रेस के पास
मालूम हो कि उपचुनाव के रिजल्ट में भी इसका असर साफ देखने को मिला था. साथ ही लोकसभा चुनावों के परिणाम से भी लगा कि अल्पसंख्यक एनडीए को वोट नहीं कर रहे हैं. किशनगंज में यदि अल्पसंख्यक जदयू को वोट करते तो जदयू के कैंडिडेट आसानी से विजय हो जाते. लेकिन, ऐसा नहीं हुआ. नतीजतन, एकमात्र किशनगंज का सीट ही कांग्रेस के खाते में चली गई.

अटकलों से विपरीत दावे कर रहे मंत्री
लेकिन, फिलहाल नीतीश कुमार अल्पसंख्यकों को रिझाने के लिए कुछ भी करने को तैयार नजर आ रहे हैं. पार्टी के मंत्री महेश्वर हजारी का तो दावा है कि अल्पसंख्यकों के लिए बिहार में नीतीश कुमार ने ही सबसे ज्यादा काम किया है. इसलिए, उनका वोट भी मिलता रहा है.

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मंत्री महेश्वर हजारी

कांग्रेस दे रहा अलग तर्क
वहीं, पिछले दिनों आरसीएस की जासूसी को लेकर स्पेशल ब्रांच के एसपी की ओर से जारी किए लेटर पर काफी विवाद हुआ. लेकिन, कांग्रेस नेताओं को शक है कि यह सब कुछ नीतीश कुमार ने अल्पसंख्यकों को रिझाने के लिए ही किया है.

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राजेश राम, कांग्रेस

बीजेपी कर रही आरएसएस का बखान
बीजेपी विधायकों का कहना है कि आरएसएस के संपर्क में जो लोग नहीं आए हैं वहीं, आरसीएस के बारे में गलत बयान देते हैं. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी भी जब आरएसएस की तारीफ कर चुके हैं तो अब कहने को कुछ शेष नहीं है. नेताओं को पहले एक बार आरएसएस की शाखा में जाकर देखना चाहिए, फिर बयानबाजी करनी चाहिए. लेकिन, बीजेपी के नेता नीतीश कुमार के मुस्लिम तुष्टिकरण पर कुछ भी बोलने से बचते नजर आते हैं.

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मिथिलेश तिवारी, बीजेपी

बहरहाल, 2020 में बिहार विधानसभा का चुनाव होना है. ऐसे में बिहार में कई तरह की चर्चाएं हैं. यदि बीजेपी जदयू से अलग रास्ता अपनाती है तो निश्चित ही नीतीश कुमार के लिए फिर से मुश्किलें बढ़ सकती हैं. वहीं, राजनीतिक विशेषज्ञों की मानें तो नीतीश कुमार उस परिस्थिति से निपटने की ही तैयारी कर रहे हैं.

Intro:पटना-- महागठबंधन से निकलकर नीतीश के बीजेपी के साथ बिहार में सरकार बनाने के बाद से मुस्लिम वोट बैंक नाराज है उपचुनाव की बात करें या फिर लोकसभा चुनाव की ही बात करें अल्पसंख्यकों का बड़ा तबका जदयू से भी दूर दूर रहा है ऐसे में नीतीश अल्पसंख्यकों को लुभाने के लिए कुछ भी करने को तैयार लग रहे हैं राजनीतिक हलकों में आर एस एस की जासूसी उसी में से एक माना जा रहा है।
पेश है spl रिपोर्ट---


Body: लोकसभा चुनाव में एनडीए जरूर 40 में से 39 सीटों पर विजय पताका फहराने में कामयाब रहा और जदयू 17 सीटों में से 16 पर विजय हुई लेकिन अल्पसंख्यकों का वोट जदयू से भी दूर दूर ही रहा । जदयू महागठबंधन से अलग होकर जब बीजेपी के साथ बिहार में सरकार बना ली उसके बाद से ही अल्पसंख्यक वोट बैंक नाराज बैठा है उपचुनाव के रिजल्ट में भी साफ देखने को मिला और लोकसभा चुनाव में भी साफ लग रहा था कि अल्पसंख्यक एनडीए को वोट नहीं कर रहा है किशनगंज में यदि अल्पसंख्यक जदयू को वोट करते तो जदयू के कैंडिडेट आसानी से विजय हो जाते हैं लेकिन ऐसा हुआ नहीं और एकमात्र किशनगंज का सीट कांग्रेस के खाते में चला गया लेकिन नीतीश कुमार अल्पसंख्यकों को रिझाने के लिए कुछ भी करने को तैयार है पार्टी के मंत्री महेश्वर हजारी का तो दावा है कि अल्पसंख्यकों के लिये बिहार में नीतीश कुमार ने ही सबसे ज्यादा काम किया है। इसलिए उनका वोट भी मिलता रहा है।
बाईट-- महेश्वर हजारी योजना एवं विकास मंत्री
पिछले दिनों आरसीएस की जासूसी को लेकर स्पेशल ब्रांच के एसपी की ओर से जारी किए लेटर पर काफी विवाद हुआ लेकिन कांग्रेस नेताओं को शक है कि यह सब कुछ नीतीश कुमार ने अल्पसंख्यकों को रिझाने के लिए ही किया है।
बाईट-- राजेश राम मुख्य सचेतक कांग्रेस विधानसभा
ऐसे तो बीजेपी विधायकों की नाराजगी अभी भी दूर नहीं हुई है लेकिन बीजेपी विधायकों का कहना है कि आर एस एस के संपर्क में जो लोग नहीं आए हैं वहीं आरसीएस के बारे में गलत बयान देते हैं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी जब तारीफ कर चुके हैं खुद शाखा में जाकर देख चुके हैं तब अब कुछ रहा कहां इसलिए एक बार आरएसएस की शाखा में लोग जाकर देखें उन्हें इस बात का पछतावा होगा कि क्यों नहीं ऐसे संगठन के साथ जुड़े हैं और हमें तो गर्व है कि हम आर एस एस के सदस्य हैं। लेकिन नीतीश कुमार के मुस्लिम तुष्टिकरण पर कुछ भी बोलने से बचते हैं।
बाईट--मिथिलेश तिवारी, बीजेपी विधायक।



Conclusion:2020 में बिहार विधानसभा का चुनाव होना है बिहार में कई तरह की चर्चाएं हैं ऐसे में यदि बीजेपी जदयू से अलग रास्ता अख्तियार करती है तो नीतीश कुमार के लिए फिर से मुश्किलें बढ़ सकती है और राजनीतिक क्षेत्र के विशेषज्ञों की माने तो नीतीश कुमार उस परिस्थिति से निपटने की ही तैयारी कर रहे हैं।
अविनाश, पटना।
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