पटनाः लोक आस्था का महापर्व छठ पूजा (Chhath Puja 2021) उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देने के साथ संपन्न हुआ. मुख्यमंत्री आवास एक अन्ने मार्ग में सीएम नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) ने सुबह का अर्घ्य दिया. मुख्यमंत्री की भाभी और कई परिजनों ने मुख्यमंत्री आवास में इस बार छठ पूजा की. इससे पहले सीएम ने बुधवार की शाम भी सूर्य भगवान को अर्घ्य दिया. जहां कई नेता और मंत्री भी मौजूद थे.
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दरअसल मुख्यमंत्री नीतीश कुमार छठ पूजा में खुद दिलचस्पी लेते हैं. सीएम न केवल सीएम हाउस में बल्कि पटना के गंगा घाट सहित पूरे बिहार में छठ आयोजन की तैयारी को लेकर नजर बनाए हुए थे. इस बार भी तीन बार पटना के गंगा घाटों का निरीक्षण किया है और शाम के अर्घ्य में मोटर वोट से घूमकर व्रर्तियों को प्रणाम भी किया और लोगों का अभिवादन भी स्वीकार किया. गुरुवार को मुख्यमंत्री आवास पर वो सुबह के अर्घ्य में भी शामिल हुए और प्रसाद ग्रहण किया.
बता दें कि इस महापर्व को कोरोना महामारी के कारण दो साल बाद छठ व्रतियों ने काफी हर्षोल्लास के साथ मनाया है. इस दौरान पूरे बिहार में लाखों की संख्या में छठ व्रतियों ने बुधवार को संध्या में डूबते सूर्य और गुरुवार की सुबह उगते सूर्य की अराधना की. छठ व्रतियों ने देश, समाज और परिवार के सुख-शांति और समृधि की कामना की. चार दिनों तक चलने वाले इस दौरान छठ के गीतों से पूरा बिहार छठमय हो गया. काफी संख्या में लोगों ने अपने घरों पर ही भगवान सूर्य को अर्घ्य दिया.
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शास्त्रों के अनुसार छठ देवी भगवान ब्रह्माजी की मानस पुत्री और सूर्य देव की बहन हैं, उन्हीं को प्रसन्न करने के लिए इस पर्व को मनाने की परंपरा सदियों से चली आ रही है. ब्रह्मवैवर्त पुराण में इस बात का उल्लेख मिलता है कि ब्रह्माजी ने सृष्टि रचने के लिए स्वयं को दो भागों में बांट दिया, जिसमें दाहिने भाग में पुरुष और बाएं भाग में प्रकृति का रूप सामने आया.
सृष्टि की अधिष्ठात्री प्रकृति देवी ने अपने आप को छह भागों में विभाजित किया. इनके छठे अंश को सर्वश्रेष्ठ मातृ देवी या देवसेना के रूप में जाना जाता है. प्रकृति का छठा अंश होने के कारण इनका एक नाम षष्ठी है, जिसे छठी मईया के नाम से सभी जानते हैं. शिशु के जन्म के छठे दिन भी इन्हीं की पूजा की जाती है. इनकी उपासना करने से बच्चे को स्वास्थ्य, सफलता और दीर्घायु का आशीर्वाद मिलता है. पुराणों में इन्हीं देवी का नाम कात्यायनी बताया गया है, जिनकी नवरात्रि की षष्ठी तिथि को पूजा की जाती है.
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