पटना: सीएम नीतीश कुमार के सरकारी आवास में छठ पूजा (Chhath Puja At CM House In Patna) मनाया जा रहा है. इस दौरान मुख्यमंत्री ने अस्ताचलगामी सूर्यदेव को पहला (CM Nitish Kumar Offered First Arghya) अर्घ्य दिया है. मिली जानकारी के अनुसार सीएम की भाभी और बहन छठ पूजा का व्रत रखीं है. छठ पूजा को लेकर सीएम हाउस में विशेष तैयारी की गयी थी. प्रांगण में ही बने घाट में सूर्यदेव को अर्घ्य समर्पित किया गया.
यह भी पढ़ें: Chhath Puja 2022: दीघा के मीनार घाट पर तेजस्वी ने डूबते सूर्य काे दिया अर्घ्य
दीघा में डिप्टी सीएम ने दिया अर्घ्य: इधर, डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव (Deputy CM Tejashwi) ने दीघा के मीनार घाट पहुंचकर सूर्यदेव का अर्घ्य (Tejashwi Yadav offered Arghya) दिया. इस बार राबड़ी आवास पर इस बार छठ पर्व नहीं हो रहा है. लालू यादव के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव छठ मनाने पैतृक गांव फुलवरिया गये हैं. इसके अलावा अन्य राजनेताओं के घर पर भी धूमधाम से छठ पूजा मनाया जा रहा है. वहीं पटना के विभिन्न छठ घाटों पर छठव्रतियों की भीड़ उमड़ी हुई है.
यह भी पढ़ें: सियासी परिवार में उत्साहपूर्वक मनाया जा रहा है छठ पर्व, मंत्री अशोक चौधरी सुबह से तैयार कर रहे प्रसाद
सियासी परिवारों में भी छठ पूजा: सियासी परिवारों में भी धूमधाम (Chhath Puja in family of political leaders) से चार दिवसीय छठ महापर्व मनाया जा रहा है. बिहार में हर तरफ छठ पूजा को लेकर चहल-पहल है. भवन निर्माण मंत्री अशोक चौधरी के यहां इस बार भी छठ हो रहा है. पोलो रोड स्थित सरकारी आवास में अशोक चौधरी की पत्नी नीता चौधरी छठ कर रही हैं. छठ पर्व का प्रसाद तैयार करने में भवन निर्माण मंत्री अशोक चौधरी ने भी घर की महिलाओं का हाथ बंटाया.
क्या है छठ पूजा से जुड़ी पौराणिक कथा? एक पौराणिक कथा के मुताबिक, प्रियव्रत नाम के एक राजा थे. उनकी पत्नी का नाम मालिनी था. दोनों के कोई संतान नहीं थी. इस वजह से दोनों दुःखी रहते थे. एक दिन महर्षि कश्यप ने राजा प्रियव्रत से पुत्र प्राप्ति के लिए यज्ञ करने को कहा. महर्षि की आज्ञा मानते हुए राजा ने यज्ञ करवाया, जिसके बाद रानी ने एक सुंदर पुत्र को जन्म दिया. लेकिन दुर्भाग्यवश वह बच्चा मृत पैदा हुआ. इस बात से राजा और दुखी हो गए. उसी दौरान आसमान से एक विमान उतरा जिसमें माता षष्ठी विराजमान थीं. राजा के प्रार्थना करने पर उन्होंने अपना परिचय दिया. उन्होंने बताया कि मैं ब्रह्मा की मानस पुत्री षष्ठी हूं. मैं संसार के सभी लोगों की रक्षा करती हूं और निःसंतानों को संतान प्राप्ति का वरदान देती हूं. तभी देवी ने मृत शिशु को आशीर्वाद देते हुए हाथ लगाया, जिससे वह पुन: जीवित हो गया. देवी की इस कृपा से राजा बेहद खुश हुए और षष्ठी देवी की आराधना की. इसके बाद से ही इस पूजा का प्रसार हो गया.