पटना: बिहार विधानसभा चुनाव में इस बार भी एनडीए और महागठबंधन के बीच टक्कर है. एनडीए में सीएम पद के नाम पर एक बार फिर से नीतीश कुमार की घोषणा कर दी गई है. तो दूसरी तरफ महागठबंधन में अभी सीटों सहित अन्य मुद्दों पर बात भी नहीं हुई है लेकिन आरजेडी प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी कह रहे हैं जनता तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री बनाना चाहती है. इन सबके बीच मजेदार बात यह है कि छोटे दलों के प्रवक्ता भी अपने-अपने नेता को मुख्यमंत्री बनाने का सपना देख रहे हैं.
'चिराग में सीएम पद की काबिलियत'
बिहार एनडीए में जहां बीजेपी ने नीतीश कुमार के नेतृत्व में चुनाव लड़ने की बात कही है तो वहीं लोजपा ने अब तक इस पर सहमति नहीं दी है. लोजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान भी अपने आप को मुख्यमंत्री के दावेदारों में देखते हैं. लोजपा प्रवक्ता संजय पासवान का कहना है कि चिराग पासवान मुख्यमंत्री पद के काबिल हैं और बिहार की जनता भी उन्हें मुख्यमंत्री के रूप में देखना चाहती है. 'बिहार फर्स्ट बिहारी फर्स्ट' लंबे समय से बड़ा मुद्दा बना रहे हैं.
'उपेंद्र कुशवाहा मुख्यमंत्री पद के योग्य'
ऐसा नहीं है कि एनडीए में शामिल लोजपा नेता ही अपने अध्यक्ष चिराग पासवान को सीएम बनाने की बात कह रहे हैं. महागठबंधन खेमे में शामिल रालोसपा के नेता भी अपने नेता यानी उपेंद्र कुशवाहा को मुख्यमंत्री पद के लिए योग्य उम्मीदवार बता रहे हैं. कभी उपेंद्र कुशवाहा केे साथ रहे पूर्व मंत्री नागमणि ने गांधी मैदान में आयोजित एक कार्यक्रम में कार्यकर्ताओं को एक पैर पर खड़ा होकर उपेंद्र कुशवाहा को मुख्यमंत्री बनाने की शपथ दिलाई थी. नागमणि तो अब उपेंद्र कुशवाहा का साथ छोड़ चुके हैं. लेकिन रालोसपा के नेताओं और कार्यकर्ताओं का कहना है कि उपेंद्र कुशवाहा में मुख्यमंत्री बनने की क्षमता है.
'जनता तेजस्वी को सीएम बनाना चाहती है'
यह सच है कि आरजेडी ने तेजस्वी यादव को पहले ही सीएम पद का चेहरा बता दिया है. हालांकि महागठबंधन के लोगों में अब तक सहमति नहीं बनी है. लेकिन आरजेडी प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी का कहना है कि मुख्यमंत्री वही बनेगा. जिससे जनता चाहेगी और जनता ने पहले तेजस्वी यादव को उपमुख्यमंत्री बनाया और अब मुख्यमंत्री बनाना चाहती है. ऐसे में किसी के लिए सपना देखना गलत नहीं है.
चिराग पासवान को पार्टी की विरासत पिता रामविलास पासवान से मिली है. उपेंद्र कुशवाहा लगातार महत्वाकांक्षा के कारण पार्टी बदलते रहे हैं. उपेंद्र कुशवाहा लोकसभा चुनाव में एनडीए के साथ तालमेल नहीं होने के कारण महागठबंधन खेमे में चले गए थे. 5 सीटों पर चुनाव लड़े लेकिन खाता तक नहीं खुला और अब एक बार फिर से महागठबंधन में उनकी कई सीटों पर दावेदारी है. ऐसे में महागठबंधन में सीटों पर किस तरह से तालमेल होता है यह भी एक सवाल है.
उपेंद्र कुशवाहा चिराग पासवान के साथ मुकेश साहनी भी उसी रास्ते पर हैं. लेकिन न तो बीजेपी, जेडीयू, आरजेडी और कांग्रेस जैसा कैडर है. न ही वोट बैंक पर दावेदारी. जातिगत वोट बैंक पर ध्यान दें तो 5 % से अधिक नहीं है. ऐसे में आसानी से समझा जा सकता है कि इनके दावों में कितना दम है.