नई दिल्ली/पटनाः लोजपा चिराग गुट (LJP Chirag Faction) के वरिष्ठ नेता एके वाजपेयी ने चुनाव आयोग (Election Commission Of India) के द्वारा लोजपा (LJP) के चुनाव चिह्न को फ्रीज किए जाने के फैसले को दुखद बताया है. उन्होंने कहा कि हम लोगों की बातों को बिना सुने यह फैसला लिया गया है. यह हम लोगों के साथ अन्याय हुआ है. इसके साथ ही उन्होंने इस पूरे घटनाक्रम के लिए सीएम नीतीश कुमार (CM Nitish) और केन्द्रीय मंत्री पशुपति कुमार पारस को जिम्मेदार ठहराया है.
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एके वाजपेयी ने कहा कि बिहार के मुखिया नीतीश कुमार और केन्द्रीय मंत्री पशुपति कुमार पारस के इशारे पर यह सब कुछ किया गया है. चूंकि पारस ने एक बयान में खुद कहा है कि चुनाव आयोग ने उनके कहने पर लोजपा के चुनाव चिह्न को जब्त कर लिया है. रामविलास पासवान ने जिस पार्टी को काफी मेहनत से खड़ा किया था, उसे साजिश के तहत खत्म करने की कोशिश की जा रही है, लेकिन हम लोग झुकेंगे नहीं.
उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग को हम लोगों ने बता दिया था कि सभी बागी सांसदों और नेताओं को पार्टी से निकाला जा चुका है. इसलिए ये लोग पार्टी व चुनाव चिन्ह पर दावा नहीं कर पाएंगे. हम लोगों ने चुनाव आयोग में दस्तावेज भी जमा किये थे कि पार्टी के पूरे बिहार सहित देशभर के संगठन के लोग चिराग के साथ हैं.
कार्यकारिणी की बैठक में भी 95 प्रतिशत नेता चिराग पासवान के ही साथ थे. इन सबके बावजूद आयोग ने लोजपा का चुनाव चिन्ह जब्त कर लिया. बिहार में दो सीटों कुशेश्वरस्थान और तारापुर पर विधानसभा उपचुनाव होने हैं. वहां हमलोग चुनाव लड़ने की तैयारी में थे, इसलिए हमलोगों के लिए चुनाव आयोग का यह निर्णय झटका है. लेकिन इसके बाद भी कानूनी तौर पर जो भी कदम उठाना होगा हम उठाएंगे ताकि यह चुनाव चिन्ह हमलोगों को मिले.
बता दें कि, चुनाव आयोग ने लोजपा के चुनाव चिन्ह ‘बंगले’ को जब्त कर लिया है. चुनाव आयोग ने कहा है कि लोजपा के दोनों धड़ों पशुपति कुमार पारस एवं चिराग गुट को पार्टी के चुनाव चिन्ह का उपयोग करने की अनुमति नहीं दी जाएगी. दोनों गुटों को अंतरिम उपाय के रूप में, उनके समूह के नाम व उनके उम्मीदवारों को चुनाव चिन्ह आवंटित किए जा सकते हैं. बता दें चिराग ने पार्टी के चुनाव चिह्न बंगला पर दावा ठोका था. वहीं, पशुपति पारस ने भी पार्टी पर असली दावेदारी पेश की थी.
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चिराग ने पारस के दावे को खारिज करने का भी आग्रह चुनाव आयोग से किया था. जिसमें उन्होंने कहा था कि उनके चाचा पशुपति कुमार पारस ने अन्य सांसदों के साथ मिलकर पार्टी पर अवैध रूप से कब्जा करने की कोशिश की है.
चुनाव आयोग ने लोजपा के चुनाव चिह्न को उस समय जब्त किया है जब बिहार के दो विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनाव में चिराग पासवान अपने उम्मीदवार उतारने वाले थे. बता दें ये दोनों सीटें जदयू के खाते में थी. जाहिर तौर पर अगर चिराग पासवान अपने उम्मीदार इन दोनों सीट पर उतारते तो इससे जदयू को नुकसान होता और महागठबंधन को फायदा.
पिछले साल हुए बिहार विधानसभा चुनाव में भी चिराग पासवान ने जदयू के खिलाफ हर सीट पर कैंडिडेट उतारा था जिससे जदयू को करीब 30 सीटों का नुकसान माना जाता है. इस कारण से पार्टी 43 सीटों पर ही सिमट गई थी.
गौरतलब है कि इसी साल जून के महीने में लोजपा में बड़ी टूट हुई थी. चिराग के चाचा एवं सांसद पशुपति पारस के साथ कुल पांच सांसद बागी हो गए थे. सांसदों ने चिराग की जगह पारस को संसदीय दल का नेता चुना था. इसके बाद पारस अपने गुट के कार्यकारिणी के लोगों के साथ बैठक कर चिराग की जगह पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बन गए. बाद में केंद्र सरकार में मंत्री भी बने.
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दूसरी तरफ चिराग भी अपने गुट के नेताओं के साथ बैठक की और खुद को राष्ट्रीय अध्यक्ष व असली लोजपा बताया. बागी नेताओं को उन्होंने पार्टी से निकाल दिया था. दोनों गुट खुद को असली लोजपा बता रहे हैं. मामला चुनाव आयोग में है. फिलहाल चुनाव आयोग ने पार्टी के चुनाव चिह्न को फ्रीज कर दिया है. आयोग के इस आदेश के बाद अब दोनों ही गुट 'बंगला' का इस्तेमाल नहीं कर सकते हैं.